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हरी-भरी वादियों और जलप्रपातों का करना है दीदार, जगदलपुर और बस्तर जाना ना भूलें; नजारा ऐसा मोह लेगा मन

बस्तर में आपको प्रसिद्ध जलप्रपातों और प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला देने को मिलती है। वर्षा के मौसम में हरी-भरी वादियों में स्थित जलप्रपातों को देखना मन को आनंदित कर देता है और प्रकृति की सुंदरता का अनुभव कराता है। जलप्रपातों की कल-कल करती ध्वनि और जल की शीतल छुअन से मन प्रफुल्लित हो जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Fri, 20 Sep 2024 08:07 PM (IST)
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हरी-भरी वादियों और जलप्रपातों से भरा है जगदलपुर (फोटो-जागरण)
गोस्वामी साहू, जागरण न्यूज नेटवर्क, जगदलपुर : बस्तर में आपको प्रसिद्ध जलप्रपातों और प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला देने को मिलती है। वर्षा के मौसम में हरी-भरी वादियों में स्थित जलप्रपातों को देखना मन को आनंदित कर देता है और प्रकृति की सुंदरता का अनुभव कराता है। जलप्रपातों की कल-कल करती ध्वनि और जल की शीतल छुअन से मन प्रफुल्लित हो जाता है।

अगर चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात की सुंदरता से आपका मन भर गया है, तो गलगम जलप्रपात को देखना न भूलें। बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर घने जंगलों में स्थित यह जलप्रपात अभी पूरे शबाब पर है।

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की प्राकृतिक सुंदरता इतनी अद्वितीय है कि यहां की यात्रा करने वाले पर्यटकों को लगता है कि वे प्रकृति के स्वर्ग में हैं। यहां के जलप्रपात, जंगल व पहाड़ प्रकृति की सुंदरता को एक नया आयाम देते हैं। गलगम जलप्रपात तक पहुंचने के लिए करीब तीन किलोमीटर पगडंडी रास्ते से पैदल जाना पड़ता है। इसलिए ट्रैकिंग में रुचि रखने वाले युवाओं की यहां हमेशा भीड़ लगी रहती है।

गलगम जलप्रपात में क्या है खास?

गलगम जलप्रपात में हरियाली के बीच करीब 100 फीट से पानी की दुधिया धारा गिरती है, जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यह जलप्रपात जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर स्थित प्रसिद्ध नंबी जलप्रपात के रास्ते में पड़ता है।

संभाग के एक दर्जन से अधिक जलप्रपातों में शामिल नंबी को सबसे ऊंचा जलप्रपात माना जाता है। इसकी ऊंचाई 300 फीट से अधिक है। अब गलगम और नंबी गांव में पुलिस कैंप खुलने के बाद पर्यटक यहां तक आसानी से पहुंचने लगे हैं। बीजापुर में तीन पर्वतमालाओं से घिरा नीलम सरई जलप्रपात भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

जगदलपुर से 40 किमी दूर दो बड़े जलप्रपात

संभाग के प्रमुख जलप्रपातों में चित्रकोट और तीरथगढ़ को लेकर पर्यटकों में विशेष रुझान देखा जाता है। बस्तर में सबसे पहले आप जगदलपुर शहर पहुंचते हैं। यहां की 40 किमी की दूरी पर चित्रकोट व 35 किमी की दूरी पर तीरथगढ़ जलप्रपात स्थित है। 90 फीट की ऊंचाई वाला चित्रकोट प्रदेश का सबसे बड़ा व चौड़ा जलप्रपात है। चांदनी रात में इसकी धारा दुधिया दिखाई देती है। यहां अच्छा पिकनिक स्पाट बन चुका है। कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान में स्थित तीरथगढ़ की दूधिया झाग व फव्वारा आकर्षक लगता है।

श्रद्धालुओं के लिए दंतेश्वरी सहित कई मंदिर

जगदलपुर से लगभग 85 किमी दूर स्थित दंतेवाड़ा शहर में मां दंतेश्वरी का मंदिर है। यह स्थल शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है। इस परिसर में 800 वर्ष पुरानी गणेशजी की प्रतिमा है। दंतेवाड़ा से करीब 22 किमी दूर ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर एक हजार वर्ष पुरानी भगवान गणेश की प्रतिमा है। तीन घंटे पैदल चलकर तक पहाड़ी पगडंडियों से होकर प्रतिमा स्थल तक पहुंचना पड़ता है।

कांगेर वैली क्षेत्र में मिलेगा होम स्टे का आनंद

बस्तर जिले में स्थित कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण इसकी जैव विविधता है। यहां बाघ, तेंदुआ, स्लाथ भालू, काले भालू और विभिन्न प्रकार के हिरण पाए जाते हैं। पक्षियों में वाइट-ईज, ग्रीन पिज और अन्य रंगीन पक्षी शामिल हैं। कांगेर नदी और तीरथगढ़ झरना पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। वहीं, धुड़मारास से लगी कांगेर नदी में बंबू रफ्टिंग और कयाकिंग का मजा ले सकेंगे। यहां होम स्टे की सुविधा का आनंद भी लिया जा सकता है।

ऐसे पहुंचें और यहां रुके

रायपुर शहर रेल व हवाई सेवा के माध्यम से देशभर से जुड़ा हुआ है। यहां से बस्तर संभाग के प्रमुख शहरों जैसे जगदलपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा आदि के लिए लग्जरी बसें और निजी कार ही एकमात्र साधन हैं। राजधानी से 300 किमी दूर स्थित जगदलपुर के लिए भाठागांव अंतरराज्यीय बस स्टैंड से 24 घंटे बसें चलती है। रुकने के लिए बस्तर में कई होटल और रिसार्ट्स उपलब्ध हैं। चित्रकोट व तीरथगढ़ के पास होम स्टे की सुविधा भी उपलब्ध है।

छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का आनंद

बस्तर भ्रमण के दौरान आप स्थानीय छत्तीसगढ़ी और आदिवासी व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। यहां खाने-पीने की चीजें आमतौर पर सादगीपूर्ण, पौष्टिक और स्थानीय सामग्री से बनी होती हैं। इनमें चिला, फरा, सकाई, कुसली, आलू टिक्की, कोदा प्रमुख हैं। साथ ही आप बस्तर में ताजे फलों का भी आनंद ले सकते हैं। इस क्षेत्र की विशिष्ट खाद्य सामग्री स्थानीय बाजारों में आसानी से मिल जाती है, स्थानीय संस्कृति और परंपरा को भी दर्शाती हैं।

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