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Mahakal Temple Ujjain: महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्तों को मिलेगा चाय और नाश्ता

Madhya Pradesh महाकाल मंदिर में गुरुवार से भस्म आरती दर्शन करने वाले भक्तों को चाय व नाश्ता दिया जाएगा। बड़े गणेश मंदिर के समीप स्थित मंदिर समिति के अन्नक्षेत्र में भक्त सुबह छह से आठ बजे तक सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Wed, 27 Apr 2022 07:53 PM (IST)
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महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्तों को मिलेगा चाय और नाश्ता। फाइल फोटो
उज्जैन, जेएनएन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गुरुवार से भस्म आरती दर्शन करने वाले भक्तों को चाय व नाश्ता दिया जाएगा। बड़े गणेश मंदिर के समीप स्थित मंदिर समिति के अन्नक्षेत्र में भक्त सुबह छह से आठ बजे तक सुविधा का लाभ ले सकेंगे। मंदिर प्रशासन के अनुसार मंदिर के निकास द्वार स्थित काउंटर से भक्तों को नाश्ते के लिए निशुल्क कूपन का वितरण किया जाएगा। दर्शनार्थी अन्नक्षेत्र में कूपन जमा कर चाय, पोहा का नाश्ता कर सकेंगे। मंदिर समिति पहली बार भक्तों के लिए चाय-नाश्ते की सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि भस्म आरती दर्शन के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन रात 11 बजे से दर्शन की कतार में लग जाते हैं, इसके बाद सुबह छह बजे आरती संपन्न होने तक मंदिर में ही रहते हैं। लंबे अंतराल में महिला, बुजुर्ग व छोटे बच्चों को स्वल्पाहार की आवश्यकता महसूस होती है। सोमवार तथा अन्य पर्व-त्योहार पर भक्तों को चाय के साथ फलाहारी खिचड़ी का वितरण किया जाएगा। अन्नक्षेत्र में चाय, पोहा की सुविधा का लाभ लेने के लिए दर्शनार्थियों को मंदिर से बाहर निकलते समय निकास द्वार के काउंटर से कूपन लेना अनिवार्य रहेगा। 

अनादिकाल से चली आ रही है भस्मारती की परंपरा

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भस्मारती की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। सत्यम, शिवम सुंदरम की अवधारणा को प्रतिपादित करती इस परंपरा का मुख्य आधार ब्रह्म परम सत्य है और जगत मिथ्या है। तात्पर्य यह कि जगत का अंतिम सत्य भस्म है। नश्वर संसार में सब कुछ नष्ट हो जाता है। शिव इसी सत्य को स्वीकार कर भस्म रमाते हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरी महाराज के अनुसार भस्म बनाने से रमाने तक की संपूर्ण प्रक्रिया वैदिक व गोपनीय है। परिसर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पीछे भस्मी कक्ष में अखंड धूना प्रज्जवलित है। इस धूने में प्रतिदिन औषधि मिश्रित गाय के गोबर से निíमत कंडों को जलाकर भस्म तैयार की जाती है। इस भस्म को कपड़े से छाना जाता है। सुबह भस्मारती के समय भस्म को गर्भगृह में ले जाया जाता है। भगवान को वैदिक मंत्रों के द्वारा भस्म रमाई जाती है। शिवलिंग पर किस मंत्र के माध्यम से, किस ओर भस्म रमाई जाएगी इसका पूरा विधान गोपनीय है। इस गोपनीय प्रक्रिया को महाकाल मंदिर समिति महानिर्वाणी अखाड़े के महंत अपने प्रतिनिधि को सिखाते हैं। इसके अतिरिक्त यह शिक्षा कहीं ओर नहीं दी जाती है। अखाड़े की परंपरा अनुसार गादीपति महंत भगवान महाकाल को भस्म रमाते हैं, या फिर उनके प्रतिनिधि (वर्तमान में महंत विनीतगिरी महाराज) भगवान को भस्म अर्पित करते हैं। इसके अलावा उनके प्रतिनिधि गणोशपुरी महाराज यह दायित्व निभा सकते हैं।

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