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देश पर शहीद भाई मती दास-जती दास के वंशज थे डॉ.महावीर

मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. भाई महावीर, भाई मती दास व भाई जती दास के वशंज थे, जिन्हें औरंगजेब ने आरी से चिरवा दिया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sun, 04 Dec 2016 03:41 AM (IST)
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भोपाल, ब्यूरो। मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. भाई महावीर, भाई मती दास व भाई जती दास के वशंज थे, जिन्हें औरंगजेब ने आरी से चिरवा दिया था। डॉ.भाई महावीर इस वंश की तेरहवीं पी़ढी के थे। 94 साल की उम्र में भाई महावीर का दिल्ली में निधन होने पर राज्यपाल ओपी कोहली, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा व उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।

12 अप्रैल 1998 में मप्र के राज्यपाल बने डॉ. भाई महावीर अपने पूरे कार्यकाल में सादगी और मितव्ययिता के लिए याद किए जाते हैं। सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में उनकी सादगी की चर्चाएं आम रहती हैं। राज्यपाल पद की शपथ लेकर उनके छह मई 2003 को प्रदेश से विदा होने तक प्रेस अधिकारी के रूप में उनके साथ रहे सुरेश आवतरमानी बताते हैं कि वे भाई मती दास और भाई जती दास के वशंज थे। उनके परिवार को भाई की उपाधि उन्हीं से मिली थी। वे बताते हैं कि उनके पिता भाई परमानंद क्रांतिकारी थे, उन्हें भी अंग्रेज सरकार ने फांसी की सजा सुनाई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और एनी बेसेंट के हस्तक्षेप के बाद फांसी की सजा को कम कर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
कुलपति की नियुक्ति संबंधी विधेयक पर असहमति
डॉ. भाई महावीर ने राज्यपाल पद की गरिमा ब़$ढाई। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता व विश्वविद्यालयों में अकादमिक वातावरण बनाने में योगदान दिया। तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति के अधिकार अपने पास लेने के लिए विधेयक पारित करा लिया था और इसे राजभवन भेजा था। डॉ. भाई महावीर ने इस विधेयक पर असहमति जता दी और बाद में इसे उन्होंने दिल्ली भेज दिया था। आज तक यह विधेयक लौटकर नहीं आया है।

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