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मंदसौर : सघन वन और कलकल करते झरनों के बीच इतिहास, आस्था और रोमांच की अद्भुत त्रिवेणी

Madhya Pradesh Mandsaur Tourism मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित गांधीसागर अभयारण्य एक बेहद रमणीय पर्यटन स्थल है। यहां 12वीं सदी का चतुर्भुज मंदिर और हिंगलाजगढ़ किला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आप 68 वर्ग किमी में फैले जलाशय में स्पीड बोटिंग पक्षियों के कलरव के बीच ट्रेकिंग के रोमांच का अनुभव किया जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 25 Aug 2023 07:18 PM (IST)
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मंदसौर : सघन वन और कलकल करते झरनों के बीच इतिहास, आस्था और रोमांच की अद्भुत त्रिवेणी

MP Tourism : आलोक शर्मा, मंदसौर। पर्यटन के लिए हम क्या खोजते हैं? पहाड़, हरे-भरे जंगल, नदी, झरनों से समृद्ध प्राकृतिक सौंदर्य। यदि इसके साथ इतिहास, आस्था और रोमांच का संगम भी हो तो क्या ही कहने।

यात्रा पैकेज संपूर्ण लगने लगता है। अतुल्य भारत के ऐसे ही अद्भुत पर्यटन स्थलों में से एक है मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित गंगासागर अभयारण्य।

इसी नाम के विशाल जलाशय पर बना बांध और क्रूज व स्पीड बोटिंग की सुविधा इस यात्रा को रोमांचक बनाती है।

पक्षियों के कलरव से गुंजित वनक्षेत्र में ट्रेकिंग अलग ही अनुभव है। स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को बुंदेलखंडी स्वाद से परिचित करा आत्मतुष्टि का भाव प्रदान करते हैं।

हिंगलाज किले की प्राचीर से अभयारण्य का मनोरम दृष्य

पर्वत शृंखला के आंचल में बिखरी चंबल की विपुल जलराशि

पर्वत शृंखला के आंचल में बिखरी चंबल की विपुल जलराशि, वनक्षेत्र में अटखेलियां करते वन्य जीवों को निहारते हुए जंगल सफारी का आनंद लेना है तो राजस्थान की सीमा पर बसे गांधी सागर अभयारण्य चले आइये।

मंदसौर जिले का इस अभयारण्य क्षेत्र में देश के पुराने जलाशयों में से एक गांधीसागर बांध भी स्थित है। 323 वर्ग किमी क्षेत्र के वनक्षेत्र और 68 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली जलाराशि पर्यटकों को रोमांच से भर देती है।

अभयारण्य में चीतल, चिंकारा सहित अन्य वन्य जीव विचरण करते नजर आते हैं।

ताखाजी का कुंड, हिंगलाजगढ़ किले जैसे ऐतिहासिक स्थलों के बीच जगह-जगह पहाड़ों से फूटते झरने पर्यटकों का कदम-कदम पर स्वागत करते हैं।

यहां के वातावरण की अनुकूलता को देखते हुए ही कूनो के बाद गांधी सागर को चीतों का दूसरा घर बनाने की तैयारी तेजी से हो रही है।

मंदसौर जिला मुख्यालय से लगभग 150 किमी दूर स्थित गांधीसागर अभयारण्य मंदसौर जिले के साथ ही राजस्था़न के चित्तौड़गढ़ व कोटा जिले की सीमा तक फैला हुआ हैं।

गांधीसागर अभयारण्य में अरावली की पर्वता श्रृंखलाओं से जगह-जगह बहते झरने इसीतरह के मनोरम दृष्य उपस्थित करते हैं।

इस अभयारण्य में तेंदुएं अच्छी-खासी संख्या में हैं और पर्यटकों को नजर भी आ जाते हैं। इसके अलावा वन विभाग ने लगभग 300 चीतल यहां लाकर छोड़े थे उनका कुनबा भी अब बढ़ रहा हैं।

पक्षियों का कलरव सुबह और शाम को बेहद खुशनुमा बना देता है। लेक व्यूं पाइंट, चंबल माता की प्रतिमा, बांध स्थखल के साथ ही क्षेत्र में बिखरी ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को रोमांचक यात्रा का लुत्फ देती हैं।

चीतों का अगला घर बनेगा गांधीसागर

कूनो के बाद अब गांधीसागर को अफ्रीका से आने वाले चीतों का नया घर बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादूून के वैज्ञानिकों ने पहले भी गांधीसागर को ही पसंद किया था।

अभी यहां वन विभाग बाड़े बनाने में जुटा हैं। नवंबर के बाद कभी भी यहां चीते लाए जा सकते हैं। पिछली बार हुई पशुगणना में गांधीसागर में लगभग 50 से अधिक तेंदुओं की मौजूदगी के प्रमाण मिले थे।

इसके अलावा लकड़बग्घा, सियार, चीतल, नीलगाय, जंगली सुअर, लंगूर, भालू आदि वन्य प्राणी विचरण समय-समय पर देखे जा सकते हैं।

गांधी सागर बांध का विहंगम दृष्य

226 प्रजातियों के पंछी कर रहे बसेरा

गांधीसागर अभयारण्य में 226 प्रजातियों के पक्षी हैं। इनमें गिद्धों की विलुप्त प्राय प्रजातियां लाग बिल्ड वल्चर, रेड हेडेड वल्चर, व्हाइट रम्पेड वल्चर, स्टेपी इगल, इजिप्टियर वल्चर भी यहां मिली है। रेड क्रस्टेड पोचार्ड, रेड नेक्ड फाल्कन, क्रेस्टेड हाक ईगल, ह्वाइट बेलिड मिनिवेस्ट, डेसर्ट ह्वीटीयर, छोटे कान वाला उल्लू, ब्राउन फिश उल्लू, पेंटेड सेंडग्राउस, मोटल्ड उल्लू, स्पाटेड रेड शंक, फेरुजिनस पोचार्ड, डालमतीन पेलीकेन, टफ्टेड डक भी यहां पर्यटकों को रोमांचित करते हैं।

पहाड़ियों की बीच से बहती नदी और गिरते झरने पर्यटकों का ध्यान बरबस आकर्षित करते हैं।

चंबल माता की प्रतिमा, झील में बोटिंग, हिंगलाजगढ़ की सैर प्रमुख आकर्षण

गांधीसागर आठ सेक्टर में बटा हुआ हैं। यहां गांधीसागर बांध स्थल पर बनी हुई चंबल माता की प्रतिमा व आस-पास बना गार्डन आकर्षण का केंद्र हैं।

इसके अलावा गांधीसागर झील में बोटिंग और घने जंगल के बीच बना हिंगलाजगढ़ का किला इतिहास की भव्यता को दर्शाता है। सन सेट प्वाइंट, जंगल सफारी, कथीरिया झरना, तक्षकेश्व्र (ताखाजी) सहित अन्य स्थल पर्यटकों को सुकून देते हैं।

एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है गांधीसागर

चंबल नदी पर गांधीसागर बांध 1960 में बनकर तैयार हुआ हैं। इसकी आधारशिला रखने भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आए थे और लोकार्पण करने भी।

अपने निर्माण के समय गांधीसागर बांध एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील था। गांधीसागर झील लगभग 68 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई हैं।

झील में अभी पर्यटन विकास निगम द्वारा क्रूज, स्पीड बोट व अन्य बोट से पर्यटकों को भ्रमण कराया जाता है।

गांधीसागर झील में पर्यटक बोटिंग का लुत्फ भी उठाते हैं।

ऐसे पहुंचें गांधीसागर

गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान व मप्र दोनों राज्यों में बसा हुआ हैं। यहां सड़क मार्ग से जाने के लिए नीमच, मंदसौर, कोटा, उज्जैन से पहुंचा जा सकता हैं।

रेल मार्ग से भी कोटा, नीमच, मंदसौर, शामगढ़ होकर पहुंचा जा सकता हैं। दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर स्थित रामगंज मंडी, भवानी मंडी, शामगढ़, गरोठ स्टेलशन पर उतरकर भी अभयारण्य पहुंच सकते हैं।

निकटतम हवाई अड्डा इंदौर(220 किमी) व उदयपुर(250 किमी) हैं। गांधीसागर अभयारण्य की सैर करने आने वाले पर्यटकों को रुकने के लिए पर्यटन विकास निगम ने मोटल बनाया हैं। इसके अतिरिक्त निजी होटेल-रेस्टहाउस भी यहां है।

बेहतर पर्यटन स्थल बनाने का प्रयास

गांधीसागर क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने में पर्यटन विकास निगम और वन विभाग दोनों लगातार प्रयास कर रहे हैं। यहां चीते लाने की तैयारी की जा रही हैं। उसके बाद पर्यटक भी बढ़ेंगे। गांधीसागर झील के बीच टापू पर भी पर्यटन विकास निगम एक रिसोर्ट बना रहा हैं। - दिलीप कुमार यादव, कलेक्टर, मंदसौर

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