Mantra Jaap Benefits: मंत्र जाप का एक अलग महत्व है, अगर आप मंत्र जाप करते हैं तो इन बातों का रखें खास ध्यान
मंत्र जपने से पहले कौन सा मंत्र ज्योतिष के हिसाब से उपयोगी व शीघ्र सफलता देने वाला है यह आपके नाम व मंत्र के अक्षर ज्ञान से समझें। किस दिन नक्षत्र दिशा रंग पहर माला योगिनी चंद्रमा अधीनस्थ ईष्ट की जानकारी के बाद ही मंत्र की साधना करना चाहिए।
जबलपुर, जेएनएन । सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। ऐसे कई मंत्र का जाप है जो देश कल्याण या हम सैम के कल्याण के लिए जपा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनेक प्रकार के मंत्र, यंत्र, तंत्रों के बारे में सुनता रहा है। व्यक्ति मंत्रों के सहारे बड़ी जल्दी अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहता है। यह बहुत कम लोगों को पता है कि लाखों प्रयास के बावजूद भी मंत्र जाप के बाद लोगों को सफलता नहीं मिल पाती। इसका कारण वह समझ नहीं पाते।
मालूम हो कि कई बार मंत्र जाप की सफलता में अच्छे ज्योतिषी और गुरु की भूमिका भी सराहनीय होती है। इसलिए अगर आप मंत्र जाप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि इसमें अशुद्ध उच्चारण न हो। अपने ज्योतिषी या गुरु से मंत्र दीक्षा लेकर उनके द्वारा बताए अनुसार भी मंत्रों का जाप कर सकते है इस सब से जीवन में सफलता मिल सकती है।
मंत्र जाप में समय का विशेष महत्व है इसके बगैर मंत्र जाप असफल ही रहेगा। शांति प्रयोग के लिए दोपहर के बाद शहर में वशीकरण के लिए शाम का समय एवं मारण के लिए रात्रि का प्रयोग किया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मंत्र जपने से पहले कौन सा मंत्र ज्योतिष के हिसाब से उपयोगी व शीघ्र सफलता देने वाला है यह आपके नाम व मंत्र के अक्षर ज्ञान से समझें। इसके बाद किस दिन, नक्षत्र, दिशा, रंग, पहर, माला, योगिनी, चंद्रमा, अधीनस्थ ईष्ट की जानकारी के बाद ही मंत्र की साधना करना चाहिए। यदि मंत्रों को 6 भागों में बांट दें तो शांति कर्म वशीकरण स्तंभन विद्वेषण उच्चाटन मारण आदि पर योग बनते हैं। उनके देवता भी अलग-अलग हैं। जाप से पहले उनका आव्हान और पूजन करके ही मंत्र जाप किया जाता है। यह बात अलग है कि कुछ लोग पारंपरिक तरीके से मंत्र की विधि दूसरों को बता देते हैं पर वह ज्योतिष सम्मत ही होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित का कहना है कि शांति प्राप्त करने के लिए ईशान दिशा, वशीकरण के लिए उत्तर, स्तंभन के लिए पूर्व दिशा, विद्वेषण के लिए नेऋत्य, उच्चाटन के लिए धायव्य तथा मारण के लिए अग्नि कोण में मुख करके मंत्र जाप किया जाता है।