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Mohammad Rafi Death Anniversary: मोहम्मद रफी की पुुण्यतिथि पर जानिए उनके एक ऐसे दीवाने की दीवानगी जिसने अपने घर का नाम ही रख दिया ‘मोहम्मद रफी मेंशन

वैसे मोहम्मद रफी के गानों का दीवाना भला कौन नहीं होगा लेकिन मंसूर अहमद की बात ही निराली है। इनके पास रफी साहब के गानों की लगभग तीन हजार कैसेट्स का संग्रह है। ऐसा एक भी दिन नहीं जाता जब वे रफी साहब का गानों को सुने बिना निकाल दें।

By Priti JhaEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 11:56 AM (IST)
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ऐसे दीवाने की दीवानगी जिसने अपने घर का नाम रखा ‘मोहम्मद रफी मेंशन
भोपाल, जागरण ऑनलाइन डेस्क Mohammad Rafi Death Anniversary: । आज जहां रियेलिटी शोज के जरिए हर साल नए कलाकार देश को मिल रहे हैं और चंंद सालों में वे गुमनामी के अंधेरे में खो जा रहे हैं, वहीं देश में कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जो उनके गुजरने के सालों बाद भी लोगों के दिलो-दिमाग पर छाए हुए हैं। ऐसे ही फनकार हैं मोहम्मद रफी। 31 जुलाई को उनकी पुुण्यतिथि है। आज उन्हें गुजरे भले ही 42 साल हो गए लेकिन उनके गाने आज भी जिंदा है। विभिन्न मौके पर लोग उनके गानों को गाते हैं, उन्हें याद करते हैं।

रफी के गानों की लगभग तीन हजार कैसेट्स

मालूम हो कि वैसे मोहम्मद रफी के गानों का दीवाना भला कौन नहीं होगा, लेकिन राजधानी के जिंसी चौराहे पर रहने वाले मो. मंसूर अहमद की बात ही निराली है। इनके पास रफी साहब के गानों की लगभग तीन हजार कैसेट्स का संग्रह है। ऐसा एक भी दिन नहीं जाता, जब वे रफी साहब का गानों को सुने बिना निकाल दें।

बचपन से अंतिम यात्रा तक की बोलती तस्वीरें मौजूद

इनके पास रफी साहब के बचपन से लेकर अंतिम यात्रा तक की बोलती तस्वीरें मौजूद हैं। मो. मंसूर को रफी साहब से जुड़ी चीजों के संग्रह का शौक 1985 से लगा। पहले उनके इस शौक से उनकी पत्नी बहुत परेशान होती थी, लेकिन अब वो भी उनका खूब साथ देती है और हर कैसेट, सीडी, फोटो, काागजात को करीने से संभाल कर रखती हैं।

रफी साहब के 21 भाषाओं में गाए हुए गानों का संग्रह

मालूम हो कि इनके पास रफी साहब के 21 भाषाओं में गाए हुए गानों के संग्रह मौजूद हैं। मंसूर अहमद ने अपने घर के एक कमरे को रफी साहब की चीजों को संग्रहालय बना दिया है।

घर का नाम रखा ‘मोहम्मद रफी मेंशन

मंसूर साहब की दीवानगी हीं है कि सभी उन्हें और उनके संग्रह के बारे में इतनी अच्छी तरह जानते हैं। यहां तक कि उनके घर का नाम भी मोहम्मद रफी मेंशन है। उस चौराहे पर सिर्फ उनका नाम कह देने भर से लोग उनके घर का पता बता देते हैं। मंसूर साहब बताते हैं कि एक बार जब रफी साहब की बेगम बिलकीस जहां की बड़ी बहन भोपाल आई थी, उनको मेरे कलेक्शन के बारे में पता चला तो वह मिलने आ गयीं और यह सब देख कर कह उठी - बेटा, तुमने इतना सब जो संभाल रखा है, इतना तो हमारे पास भी नहीं होगा। जब उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा तो मेरी आंखें नम हो गईं। 

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