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MP Assembly Election 2023: सीटों के बंटवारे पर जयस कर रहा कांग्रेस के साथ मोलभाव

MP Assembly Election 2023 जयस अब खुद राजनीतिक ताकत बनना चाहता है। यही कारण है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जयस कांग्रेस से भी सीटों को लेकर मोलभाव करने के लिए दबाव बना रहा है। वह सीटों के बंटवारे में अपना हिस्सा चाहता है।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Tue, 18 Oct 2022 07:56 PM (IST)
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मप्र में विधानसभा सीटों के बंटवारे पर जयस कर रहा कांग्रेस के साथ मोलभाव। फाइल फोटो

भोपाल, जेएनएन। MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आदिवासी वोट बैंक को लेकर राजनीति तेज हो रही है। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की ताकत बना जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) इस बार किसके साथ होगा, यह अभी तय नहीं है।

जयस ने बुलाई महापंचायत

जयस ने 20 अक्टूबर को धार जिले के कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में महापंचायत बुलाई है। इसमें आदिवासियों की मौजूदगी में संगठन तय करेगा कि वह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देगा या अकेले चुनाव लड़ेगा। दरअसल, जयस अब खुद राजनीतिक ताकत बनना चाहता है। यही कारण है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जयस कांग्रेस से भी सीटों को लेकर मोलभाव करने के लिए दबाव बना रहा है। वह सीटों के बंटवारे में अपना हिस्सा चाहता है।

जयस का जो प्रत्याशी योग्य होगा, पार्टी उसे देगी ताकतः कमल नाथ

उधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ कह रहे हैं कि जयस का जो प्रत्याशी योग्य होगा, पार्टी उसे ताकत देगी। मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए 47 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं और लगभग 29 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। जयस का मालवा और महाकोशल के आदिवासी क्षेत्र में प्रभाव है। पिछले चुनाव में जयस के कारण आदिवासी वोट बैंक भाजपा से छिटककर कांग्रेस के साथ चला गया था। इस कारण भाजपा 109 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। जयस नेता डा. हीरालाल अलावा पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही विधायक चुने गए। वहीं, भाजपा सरकार में मंत्री रही रंजना बघेल, निर्मला भूरिया सहित इस वर्ग के स्थापित नेता विधानसभा चुनाव हार गए थे।

भाजपा भी आदिवासियों को अपने पाले में जुटी

उधर, भाजपा ने भी आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मु की ताजपोशी से लेकर कई ऐसी घोषणाएं की हैं, जिससे भाजपा को उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में आदिवासी वर्ग उसका साथ देगा। दरअसल, प्रदेश में आदिवासी वर्ग जिस दल के साथ होता है, वह सत्ता में आता है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 31 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा 15 सीटें ही जीत पाई थीं। एक विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहा था। 2013 के विधानसभा चुनाव में स्थिति इसके ठीक उलट थी। भाजपा को 31 सीटें मिली थीं, जबकि एक जो निर्दलीय प्रत्याशी जीता था, वह भाजपा का ही बागी था।

जयस की रीति-नीति भाजपा के विचारों से भिन्नः केके मिश्रा

मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा के मुताबिक, जयस की रीति-नीति भाजपा के विचारों से भिन्न है। कमल नाथ स्पष्ट कर चुके हैं कि जयस का डीएनए ही कांग्रेस का डीएनए है। जिस दौर में देश-प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पर अत्याचार की बाढ़ आ रही हो, तब जयस का समर्थन भाजपा को मिलेगा, यह सिर्फ सपना है।

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