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MP Congress: मध्य प्रदेश में क्षत्रिय, दलित और ब्राह्मण वर्ग के चेहरे तलाश रही कांग्रेस, पार्टी को मजबूत करने के लिए किस पर दांव लगाएगी?

पिछले 20 वर्ष से मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत पाने में असफल रही प्रदेश कांग्रेस अब क्षत्रिय दलित और ब्राह्मण वर्ग के चेहरे आगे लाएगी। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पराजय झेलने के बाद पार्टी प्रदेश में संगठन को दोबारा खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। इस दृष्टि से सभी वर्ग के प्रादेशिक चेहरों की नए सिरे से तलाश चल रही है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 23 Jul 2024 07:04 AM (IST)
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मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी खुद को मजबूत करने की तैयारी कर रही है।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। पिछले 20 वर्ष से मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत पाने में असफल रही प्रदेश कांग्रेस अब क्षत्रिय, दलित और ब्राह्मण वर्ग के चेहरे आगे लाएगी। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पराजय झेलने के बाद पार्टी प्रदेश में संगठन को दोबारा खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। इस दृष्टि से सभी वर्ग के प्रादेशिक चेहरों की नए सिरे से तलाश चल रही है। पार्टी नेताओं का मानना है कि अब प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेता मुख्यधारा में नहीं हैं।

कांग्रेस को सिंधिया की जगह नहीं मिल रहा चेहरा

ग्वालियर-चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद कोई बड़ा चेहरा बचा नहीं है। ब्राह्मण वर्ग के नेता रहे सुरेश पचौरी कांग्रेस छोड़ चुके हैं। क्षत्रिय नेता और मध्य प्रदेश विधानसभा में दो बार नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह विंध्य में ही पार्टी की उपेक्षा के शिकार हैं। पार्टी केवल आदिवासी वर्ग में उमंग सिंघार और ओमकार सिंह मरकाम जैसे युवाओं को तैयार कर पाई है। ओबीसी वर्ग में भी पार्टी के पास प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं।

कांग्रेस का पूरा ढांचा चरमराया

प्रदेश में कांग्रेस का संगठन दशकों तक श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, कमल नाथ, जमुना देवी, माधव राव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। लेकिन इनमें से अधिकांश नेता अब नहीं हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए। इससे कांग्रेस का पूरा ढांचा चरमरा गया है। कमल नाथ हों या दिग्विजय सिंह, दोनों ने किसी अन्य नेता को आगे आने नहीं दिया।

यही वजह है कि इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया होने के बाद पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश में सफाई अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसी रणनीति के तहत महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण कमेटी को भोपाल भेजा गया था। पार्टी अब इसकी अंतरिम रिपोर्ट पर आगे की रणनीति बना रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भरपाई चुनौती है। यहां से डॉ. गोविंद सिंह कई बार विधायक रहे लेकिन वे जिले के बाहर के नेता नहीं बन पाए। रामनिवास रावत यहां ओबीसी वर्ग के बड़े नेता थे। लेकिन त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होकर मंत्री बन गए। अब पार्टी यहां जाटव यानी दलित, क्षत्रिय चेहरे तलाश रही है।

मालवा अंचल व मध्य भारत में पार्टी के पास बड़ा चेहरा नहीं

मालवा अंचल और मध्य भारत क्षेत्र में भी पार्टी के पास बड़ा चेहरा नहीं है। यहां कांग्रेस के पास तुलसी सिलावट और प्रभुराम चौधरी जैसे दलित चेहरे होते थे। लेकिन वे भाजपा में चले गए। महाकौशल में भी अब कमल नाथ का वजन कम हो गया तो यह क्षेत्र भी नेतृत्वहीन हो गया है। विंध्य में अजय सिंह लंबे समय से पार्टी में हाशिए पर पड़े हैं।

पूर्वी मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जैसे धाकड़ नेता की उन्होंने विरासत को संभाली लेकिन पार्टी ने उनका उपयोग नहीं किया। अब पार्टी क्षत्रिय नेता की भरपाई करने के लिए अजय सिंह की को आगे लाने पर विचार कर रही है। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, कमलेश्वर पटेल को केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी देकर आगे बढ़ाने व प्रदेश में महत्व देने पर विचार किया जा रहा है।

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