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MP Foundation Day 2024: आजादी के बाद कैसे बना था 'भारत का हृदय'; रोचक है एमपी और छत्तीसगढ़ के बंटवारे की कहानी

MP Foundation Day 2024 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया था। हालांकि राज्य की राजधानी को चुनने में तत्कालीन सरकार की काफी सिरदर्दी बढ़ गई थी। आइए पढ़ते हैं कि आखिर जबलपुर की जगह आखिर क्यों भोपाल को राजधानी बनानी पड़ी। वहीं साल 2000 में किस तरह छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर एक नए राज्य का दर्जा दिया गया। 

By Piyush Kumar Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 31 Oct 2024 12:09 PM (IST)
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MP Foundation Day 2024: मध्य प्रदेश राज्य से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं पर एक नजर।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। MP Foundation Day 2024। 'अतुल्य भारत का हृदय' कहे जाने वाले मध्य प्रदेश राज्य के लिए 1 नवंबर का दिन बेहद खास है। साल 1956 में इसी दिन यह राज्य वजूद में आया था। 'भारत का हृदय' कहे जाने वाले इस राज्य का इतिहास, संस्कृति और धरोहर अतुल्य है। यह राज्य अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और ऐतिहासिक इमारतों के लिए दुनियाभर में मशहूर है।

आजादी के बाद मध्य भारत और विंध्य प्रदेश के नए राज्यों को पुरानी सेंट्रल इंडिया एजेंसी से अलग कर दिया गया। फिर तीन साल बाद 1950 में मध्य प्रांत और बरार का नाम बदलकर मध्य प्रदेश कर दिया गया। शुरुआत में राज्य में 43 जिले थे।

इसके बाद वर्ष 1972 में दो बड़े जिलों का विभाजन किया गया, भोपाल को सीहोर से और राजनांदगांव को दुर्ग से अलग किया गया। साल 2000 में राज्य के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को विभाजित करके एक नया राज्य छत्तीसगढ़ बनाया गया। वर्तमान मध्य प्रदेश 308 लाख हेक्टेयर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है।

मध्य प्रदेश बनने की कहानी

जब देश के आजादी मिली तब देश में कई छोटी-छोटी रियासतें थीं, जिन्हें आजादी के बाद स्‍वतंत्र भारत में शामिल कर लिया गया था। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ, फिर 1952 में पहले आम चुनाव संपन्न हुए। इसी कारण, संसद एवं विधान मंडल अस्तित्व में आए। इसके बाद 1956 में राज्यों के पुनर्गठन की कवायद के परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को देश में एक नया राज्य, यानी मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया।

मध्य प्रदेश के गठन के समय, मध्य भारत, विन्‍ध्‍य प्रदेश एवं भोपाल इसके घटक राज्य थे। शुरुआती दौर में तो सभी की अपनी विधानसभाएं थी, लेकिन बाद में फैसला किया गया कि सभी को मिलाकर एक ही विधानसभा बनाई जाएगी। 1 नवंबर, 1956 को पहली मध्‍यप्रदेश विधान सभा वजूद में आई। इसका पहला और अंतिम अधिवेशन 17 दिसंबर, 1956 से 17 जनवरी, 1957 के बीच पूरा हुआ।

भोपाल कैसे बनी MP की राजधानी?

साल 1972 में भोपाल को राज्य का राजधानी घोषित किया गया। भोपाल को राजधानी बनाए जाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान और पंडित जवाहर लाल नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका रही। गौरतलब है कि राज्य की राजधानी ग्वालियर बनाई जानी थी। जबलपुर को लेकर भी राज्य की राजधानी का दावा किया जा रहा था।

हालांकि, भोपाल के नवाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे। केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि 'भारत का हृदय' राट्र विरोधी गतिविधों में शामिल हो इसलिए सरदार पटेल ने भोपाल पर नजर रखने के लिए उसे राजधानी बनाने का फैसला किया।

सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है राज्य

  • भगवान राम के वनवास से जुड़ी पौराणिक कथाओं से लेकर पांडव कालीन गुफाएं तक, राज्य अपनी पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत (History Of MP) के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश के तीन स्मारक और दो शहर यूनिस्को की लिस्ट में शामिल है।
  • खजुराहो स्मारक' की नागर-शैली की वास्तुकला, नायकों और देवताओं की सुंदर मूर्तियों का दीदार करने के लिए दुनियाभर से प्रयटक छतरपुर जिले आते हैं। हर साल फरवरी महीने में राज्य सरकार के द्वारा खजुराहो डांस फेस्टिवल का आयोजन कराया जाता है। यह सांस्कृतिक आयोजन कला और स्थापत्य का अद्भुत मिश्रण है।

  • मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित सांची के ऐतिहासिक स्तूप पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सांची स्तूप को तीसरी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया था। माना जाता है कि इस विशाल स्तूप में बुद्ध का अवशेष हैं।
  • भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर भीमबेटका रॉक आश्रय स्थित है। यह मध्य भारत में एक पुरातात्विक स्थल है। लियर किले, सिंधिया रॉयल पैलेस, जय विलास पैलेस को लेकर पर्यटकों की जबरदस्त रुचि रहती है।

जब मध्य प्रदेश का हुआ था बंटवारा

1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग कर एक नया राज्य बनाया गया। स्थापना के बाद मध्य प्रदेश की 26.62 आबादी और 30.4 प्रतिशत जमीन छत्तीसगढ़ में चली गई। भाजन के पहले मध्य प्रदेश में 320 विधानसभा सीटें होती थीं और छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 230 सीटें नए राज्य को दे दी गईं।

विभाजन के बाद मध्य प्रदेश के 7,000 कर्मचारी छत्तीसगढ़ ट्रांसफर कर दिया गया। 111 आईएएस ऑफिसर, 73 आईपीएस ऑफिसर और 99 आईएएस ऑफिसर का छत्तीसगढ़ ट्रांसफर किया गया। वहीं, नए राज्य की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश के 96,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

बंटवार के समय मध्य प्रदेश सरकार का स्वीकृत बजट 23 हजार करोड़ रुपए था। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रारंभिक पांच महीने के खर्च के लिए छत्तीसगढ़ को 3,000 करोड़ रुपये दिए गए।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी अपनी किताब राजनीतिनामा मध्यप्रदेश में लिखते हैं कि दोनों राज्यों के बीच अफसर, पैसे और जंगल का ही बंटवारा नहीं हुआ, बल्कि टेबल, कुर्सियों, अलमारी का भी बंटवारा हुआ। 6 वीआईपी टेबल, 345 ऑफिस टेबल, 40 वीआईपी कुर्सियां, 985 ऑफिस चेयर, 12 बड़ी सेंट्रल टेबल, 466 की स्टील अलमारी मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ भेजे गए।

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