MP News: ईसाई धर्म अपना चुके 38 परिवारों के 184 सदस्यों की हुई घर वापसी, प्रलोभन में किया था मतांतरण
MP News कोई छह माह तो कोई दो—तीन साल पहले मतांतरित हो गया था। मतांतरण के खिलाफ आवाज उठाने व लोगों को समझाने का परिणाम है कि 24 गांवों के ग्रामीणों ने स्वेच्छा से आगे आकर घर वापसी की है।
By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Mon, 07 Nov 2022 09:22 PM (IST)
झाबुआ, आनलाइन डेस्क। MP News: मध्य प्रदेश में झाबुआ जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर स्थित कल्याणपुरा में सोमवार को ईसाई धर्म अपना चुके 38 परिवारों के 184 ग्रामीणों ने सनातन धर्म अपनाते हुए वैदिक रीतियों के साथ घर वापसी की। सभी परिवार 24 गांवों के निवासी हैं और गरीबी के चलते प्रलोभन में आकर उन्होंने मतांतरण कर लिया था।
विश्व हिंदू परिषद के प्रयासों से उनकी घर वापसी संभव हो पाई है। कल्याणपुरा के हायर सेकंडरी स्कूल के खेल मैदान में विहिप की मालवा प्रांत शाखा ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार विशेष रूप से उपस्थित हुए। इस दौरान हवन—पूजन के साथ ही समस्त आयोजन वैदिक परंपरा के अनुसार किए गए।
आलोक कुमार और गो-रक्षा प्रमुख सोहन विश्वकर्मा ने ग्रामीणों का स्वागत किया। उनके समक्ष मतांतरित हुए ग्रामीणों ने मूल धर्म को अंगीकार करते हुए कहा कि मजबूरी के चलते उनसे गलती हो गई थी, जो उन्होंने अब सुधार ली है। बता दें कि ग्रामीणों को मतांतरण के लिए रपये, सामान, इलाज का लालच दिया जाता है।
गांव-गांव में लोगों को समझा रहे परिषद के प्रांत प्रवर्तन प्रमुख राजू निनामा ने बताया कि क्षेत्र में ग्रामीणों की गरीबी व मजबूरी का फायदा उठाते हुए उन्हें मतांतरित करने का कृत्य लंबे समय से चल रहा है। परिषद के मैदानी कार्यकर्ता इसके खिलाफ गांव—गांव में कार्य करते हुए ग्रामीणों को समझाइश दे रहे हैं।
कोई छह माह तो कोई दो—तीन साल पहले मतांतरित हो गया था। मतांतरण के खिलाफ आवाज उठाने व लोगों को समझाने का परिणाम है कि 24 गांवों के ग्रामीणों ने स्वेच्छा से आगे आकर घर वापसी की है। उन्होंने बताया कि मेघनगर प्रखंड अंतर्गत कल्याणपुरा-रामा क्षेत्र के 120 से 125 गांवों में भी समझाइश की मुहिम चल रही है।अच्छा नहीं लग रहा थासोमवार को घर वापसी करने वाले रामचंद सिंगाड़, पारू भूरिया, सुन्नोबाई, अन्नू भूरिया, किड़ीबाई, प्रकाश डामोर, कालू डिंडोर व रामसिंह वास्केल का कहना था कि वे मतांतरित जरूर हो गए थे, लेकिन उन्हें कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। अब वे अपनी जड़ों की ओर लौट आए हैं।
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