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MP News: राजस्थान का प्रतापगढ़ था एमडी ड्रग्स आपूर्ति का मुख्य केंद्र, एनसीबी की पूछताछ में हुआ पर्दाफाश

भोपाल में बनाई जाने वाली एमडी ड्रग्स के कारोबारियों का नेटवर्क राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात और मध्य प्रदेश तक फैला था। एमडी ड्रग्स बनाने के लिए कच्चे सामान की खरीदी भी इन्हीं राज्यों में होती थी। आरोपितों से पूछताछ में एनसीबी को पता चला है कि राजस्थान का प्रतापगढ़ आपूर्ति का मुख्य केंद्र था। भोपाल से पहले माल वहीं जाता था फिर वहां से दूसरे राज्यों में भेजा जाता था।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 13 Oct 2024 12:46 AM (IST)
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राजस्थान का प्रतापगढ़ था एमडी ड्रग्स आपूर्ति का मुख्य केंद्र

राज्य ब्यूरो, भोपाल। भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र में बनाई जाने वाली एमडी ड्रग्स के कारोबारियों का नेटवर्क राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश तक फैला था। एमडी ड्रग्स बनाने के लिए कच्चे सामान की खरीदी भी इन्हीं राज्यों में होती थी। आरोपितों से पूछताछ में एनसीबी को पता चला है कि राजस्थान का प्रतापगढ़ आपूर्ति का मुख्य केंद्र था। भोपाल से पहले माल वहीं जाता था, फिर वहां से दूसरे राज्यों में भेजा जाता था।

एनसीबी की पूछताछ में पर्दाफाश

एनसीबी ने जानकारी राजस्थान पुलिस से साझा की है। माना जा रहा है कि अब आरोपितों से राजस्थान पुलिस भी पूछताछ कर जानकारी जुटा सकती है।बता दें कि गुजरात एटीएस और एनसीबी ने पिछले दिनों भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र बगरोदा में एमडी ड्रग्स बनाने का कारखाना पकड़ा था। यहां से एमडी ड्रग्स और उसे बनाने का कच्चा माल पकड़ा गया था।

इसकी कीमत 1814 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। इस मामले में नासिक के सान्याल बाने, भोपाल के अमित चतुर्वेदी और मंदसौर के हरीश आंजना को गिरफ्तार किया गया है। चौथे आरोपित प्रेमसुख पाटिल ने भी शुक्रवार को मंदसौर जिले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सान्याल, अमित और आंजना 14 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में हैं।

अब मंदसौर के शोएब लाला की तलाश

आरोपितों से अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि मंदसौर का शोएब लाला राजस्थान और दूसरे राज्यों में तस्करों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता था। पुलिस अब उसकी भी तलाश कर रही है। वह फरार बताया जा रहा है।

सेना के रिटायर्ड अफसर और प्रोफेसर साइबर ठगों के निशाने पर

भोपाल में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस वर्ष 21 लोग शिकार बने हैं। इन पीड़ितों में सेना के रिटायर्ड अधिकारी और आइसर जैसे बड़े संस्थान के प्रोफेसर भी शामिल हैं। इसके अलावा शहर के उच्च संस्थानों में दूसरे शहरों से पढ़ने के लिए आने वाले विद्यार्थियों के घर भी जालसाज फोन कर ठगी का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे मामलों में झूठे प्रकरण में नाम फंसाने की धमकी देकर और अपने बच्चों के अपहरण जैसी बात से डराकर ठगी का शिकार बनाया गया। हालांकि कुछ मामलों में लोग सूझबूझ दिखाते हुए पुलिस और जानकारों से बात करके बच गए।

इस तरह डराया और ठग लिए रुपये 

निशातपुरा इलाके में रहने वाले सेना के रिटायर्ड अधिकारी को पिछले दिनों साइबर ठगों ने झूठे प्रकरण में नाम आने को लेकर ब्लैकमेल किया था। वे कुछ सोच-समझ पाते इससे पहले ही ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर वीडियो काल किया और कुछ ही घंटों में करीब 67 लाख रुपये की ठगी कर ली।

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