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ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघ शावक की मौत, 2 घायल; 15 दिन पहले किया था रेस्क्यू

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी ने बताया कि शावक की मंगलवार को मौत हो गई क्योंकि बचाव के बाद से ही वह खाना नहीं खा रहा था। यह शावक उन दो घायल शावकों में से था जिन्हें 17 जुलाई को पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) की एक ही डिब्बे वाले विशेष एसी ट्रेन के मार्फत सीहोर जिले के बुधनी के पास मिडघाट सेक्शन से भोपाल लाया गया था।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Wed, 31 Jul 2024 04:00 PM (IST)
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घायल हुए बाघ शावक की मौत (फाइल फोटो)
एजेंसी, भोपाल। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में दो हफ्ते पहले ट्रेन की चपेट में आने से चोटिल हुए एक बाघशावक की भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में इलाज के दौरान मौत हो गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी ने बताया कि शावक की मंगलवार को मौत हो गई, क्योंकि बचाव के बाद से ही वह खाना नहीं खा रहा था।

यह शावक उन दो घायल शावकों में से था, जिन्हें 17 जुलाई को पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) की एक ही डिब्बे वाले विशेष एसी ट्रेन के मार्फत सीहोर जिले के बुधनी के पास मिडघाट सेक्शन से भोपाल लाया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि 14 जुलाई की रात भोपाल से 70 किलोमीटर दूर स्थित इस वन क्षेत्र (मिडघाट सेक्शन) में ट्रेन की चपेट में आने से कुल तीन बाघ शावक घायल हो गये थे।

चिकित्सा दल के सदस्यों ने की बाघ शावकों की जांच

उनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो घायल शावकों को उपचार के लिए वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के बचाव केंद्र में लाया गया। अधिकारियों ने बताया कि 17 जुलाई को पशु चिकित्सकों और चिकित्सा दल के अन्य सदस्यों की तरफ से दो बाघ शावकों की विस्तृत स्वास्थ्य जांच की गयी। उन्होंने बताया कि अन्य विशेषज्ञों के परामर्श से वन विहार के चिकित्सक शावकों का इलाज कर रहे थे।

अधिकारियों के अनुसार अन्य घायल बाघ शावक की हालत भी गंभीर है। वह कम मात्रा में भोजन खा रहा है और उसका उपचार किया जा रहा है। उसपर लगातार नजर रखी जा रही है।

बाघ शावक का किया गया पोस्टमार्टम

अधिकारियों ने बताया कि लेकिन बाघ शावक के शरीर का पिछला हिस्सा काम नहीं कर रहा है और हालत में कोई अपेक्षित सुधार नहीं देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मृत बाघ शावक का पोस्टमार्टम किया गया और अब उसका वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार दाहकर्म किया जाएगा।

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