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Exclusive Interview: लक्ष्य है कि मोदी जी के गुजरात जैसा बन जाए मध्य प्रदेश - डा. मोहन यादव

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत कई बड़े नेताओं को किनारे करके जब मुख्यमंत्री पद के लिए डा. मोहन यादव का नाम तय किया तो राजनीतिक गलियारे चौंक उठे। उज्जैन सीट से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए डा. यादव उस वक्त विधायक दल की बैठक में पीछे बैठे हुए थे जब मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम कीघोषणा हुई।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 23 Mar 2024 04:20 PM (IST)
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (जागरण फोटो)

सदगुरु शरण, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत कई बड़े नेताओं को किनारे करके जब मुख्यमंत्री पद के लिए डा. मोहन यादव का नाम तय किया, तो राजनीतिक गलियारे चौंक उठे। उज्जैन सीट से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए डा. यादव उस वक्त विधायक दल की बैठक में पीछे बैठे हुए थे, जब मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम की घोषणा हुई। वह खुद हैरान रह गए। उन्हें नेतृत्व के इस फैसले की भनक नहीं थी। बहरहाल, दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर वह मिशन 2024 यानी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने का संकल्प लेकर मैदान में उतरे, तो एक बार फिर सबके चौंकने की बारी थी। दरअसल, जिस परिस्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी, उसे देखते हुए कई लोगों को आशंका थी कि नए मुख्यमंत्री को पार्टी के अति-महत्वाकांक्षी वरिष्ठों की गुटबाजी के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, पर उन्होंने परिपक्वता दिखाते हुए अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में बेहतरीन टीमवर्क और नेतृत्व क्षमता का नमूना पेश किया। शायद केंद्रीय नेतृत्व ने इसी उम्मीद के साथ उन्हें कुर्सी सौंपी थी।

डा. यादव महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के उदाहरण से प्रेरित हैं जिन्होंने किशोरावय में दिग्गज खिलाड़ियों से भरी टीम इंडिया में प्रवेश किया और अपनी प्रतिभा एवं परिश्रम के बल पर खुद को जीनियस साबित किया। उनके सामने 2019 लोकसभा चुनाव और 2023 विधानसभा चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ कई बड़े फैसले किए, बल्कि प्रदेश के अधिकतर अंचलों का भ्रमण भी कर डाला। इसके लिए वह स्वाभाविक रूप से कड़ा परिश्रम कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार छिंदवाड़ा सीट भी भाजपा के खाते में आएगी जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुलनाथ एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार बनाए गए हैं। 2019 में सिर्फ यही एकमात्र सीट कांग्रेस को मिली थी, बाकी 28 भाजपा को।

कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर चुके डा. मोहन यादव ने अपने नए सफर के इस पड़ाव पर नईदुनिया के राज्य संपादक सदगुरु शरण से विस्तारपूर्वक बातचीत की और उन तमाम सवालों से स्पष्ट जवाब दिए, जो उन्हें लेकर आम-ओ-खास के दिमाग में उठते हैं। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंश।

मुख्यमंत्री की भूमिका में पहले 100 दिनों का अनुभव कैसा है? निजी जीवन में कैसा बदलाव महसूस करते हैं?

पिछले 100 दिन मेरे लिए अविस्मरणीय हैं। ये दिन सुशासन की रणनीति बनाने और उसे धरातल पर उतारने में बीते। भगवान जब कुछ नया करवाना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको तैयार भी करते हैं। सुबह से देर रात तक काम में व्यस्त रहता हूं, पर थकावट नहीं होती। मेरा परिवार भोपाल में मेरे साथ नहीं रहता, इसके बावजूद साढ़े आठ करोड़ प्रदेशवासियों की फिक्र और स्नेह में परिवार की कमी महसूस नहीं होती। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद खुद को घर के मुखिया जैसा महसूस करता हूं। किसी दिन नई शर्ट पहन लेने पर भी बदलाव महसूस होता है, तो नया दायित्व मिलने पर मेरे जीवन में भी बदलाव आया है। मेरे हृदय में प्रदेशवासियों के लिए जो अपनापन उपजा है, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

भाजपा नेतृत्व ने कई वरिष्ठों को छोड़कर आपको मुख्यमंत्री बनाया। इस घटना को आप किस तरह देखते हैं?

मेरे जैसे सामान्य कार्यकर्ता को ऐसी जिम्मेदारी भाजपा ही सौंप सकती है। बहरहाल, यह नहीं कहना चाहिए कि मुझे वरिष्ठों के बीच से चुना गया। सही बात यह है कि मुझे वरिष्ठों के साथ चुना गया। मेरा सौभाग्य है कि मुझे अनुभवी और ऊर्जावान टीम मिली है। ऐसी टीम किसी भी मोर्चे पर कभी विफल नहीं हो सकती।

क्या जटिल मामलों में शिवराज जी से भी परामर्श करते हैं?

हां, क्यों नहीं। शिवराज जी ने चार बार मध्य प्रदेश की कमान संभाली। वह प्रदेश की रग-रग से परिचित हैं। मैं लगातार उनसे मिलता रहता हूं और मुझे उनका मार्गदर्शन मिलता है। जब भी मुझे लगता है कि किसी विषय में उनका मार्गदर्शन जरूरी है, मैं उनसे मिल लेता हूं। वह अपने विचारों से जटिलता को सरलता में बदल देते हैं। मुझे भरोसा है कि वह आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

आपको मध्य प्रदेश के साथ यूपी, बिहार, हरियाणा और राजस्थान आदि में भी भाजपा के चुनाव अभियान में योगदान करना पड़ रहा है। इस भूमिका के साथ कैसे सामंजस्य बिठाते हैं?

नए दायित्वों के साथ नई ऊर्जा भी मिलती है। पार्टी मां की तरह है, उसकी हर आज्ञा का पालन करना ही है। पार्टी के दूसरे नेता भी ऐसा करते हैं। दूसरे राज्यों के नेता भी मध्य प्रदेश आते हैं। यह प्रक्रिया है। इन भूमिकाओं के लिए सबको समय निकालना ही पड़ता है।

एक साथ सारे दायित्वों की पूर्ति के लिए आप कहां से ऊर्जा पाते हैं?

मैं गरीब मजदूर का बेटा हूं, इसलिए आम आदमी का दर्द और परेशानी अच्छी तरह समझता हूं। जनसेवा मेरे स्वभाव और मानस का अभिन्न हिस्सा है। जनसेवक होने के नाते अब मेरे समय का हर पल जनता के लिए समर्पित है। मेरे समय पर पहला अधिकार मध्य प्रदेश की जनता का है। जनता के प्यार और विश्वास से ही मुझे ऊर्जा मिलती है।

आप भाजपा के किस मुख्यमंत्री को अपना रोल मॉडल मानते हैं?

भाजपाशासित सभी राज्यों में हुए कार्य मील के पत्थर हैं। हमारी पार्टी ने जहां-जहां कमान संभाली, वो राज्य उदाहरण बना। नरेंन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनके फैसलों ने, उनकी कार्यशैली ने गुजरात की दिशा बदल दी। सब गुजरात मॉडल की बात करने लगे। मोदी जी की कार्यशैली है कि जिस काम की घोषणा करें, उसका शिलान्यास भी करें। रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों की बात हो, उद्योग-धंधों की बात हो या फिर पर्यटन, हर स्थिति में गुजरात मॉडल ही सामने होता है। मेरा लक्ष्य है कि देश में गुजरात की तरह मध्य प्रदेश भी जाना जाए।

कई लोगों की धारणा है कि आपको अपने प्रत्येक फैसले के लिए केंद्रीय नेतृत्व से अनुमति लेनी पड़ती है, यानी आपको खुद फैसले लेने की छूट नहीं है?

आपके घर में कोई कार्य होता है, तो बुजुर्गों से राय-मशवरा तो करते होंगे न। रही बात फैसले लेने की छूट न मिलने की, तो यह हास्यास्पद बात है। सरकार बनते ही हमने अनियंत्रित ध्वनि विस्तारक यंत्रों की नकेल कसी। खुले में मांस-मछली की बिक्री रोकी। चिकित्सा शिक्षा विभाग और लोक चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग का विलय किया। हमने शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत अंकित करने का निर्णय किया। इसी प्रकार गौ-वंश रक्षा वर्ष मनाने और हर जिला अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध करवाने जैसे फैसले किए। जहां आवश्यक होगा, केंद्रीय नेतृत्व से सुझाव लेते रहेंगे। मध्य प्रदेश में डबल इंजन सरकार है, तो प्रदेश की डबल तरक्की निश्चित है।

मुख्यमंत्री के रूप में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

मध्य प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता ही मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जन-कल्याण, सुशासन और विकास मेरी प्राथमिकता है। मोदी जी की गारंटी पूरी करना और संकल्प-पत्र में जनता से किए गए वादों को धरातल पर उतारना मेरी प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री द्वारा निश्चित की गईं चार जातियां गरीब, किसान, युवा और महिला का कल्याण मेरी प्राथमिकता है। मध्य प्रदेश आत्मनिर्भर और विकसित भारत का आधार-स्तंभ बने, यह मेरी प्राथमिकता है। बिना थके, बिना रुके मध्य प्रदेश के कल्याण के लिए अनवरत कार्य करना ही मेरी प्राथमिकता है।

मध्य प्रदेश के विकास में किसानों की अग्रणी भूमिका है। आपकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए क्या करेगी?

किसान मध्य प्रदेश की रीढ़ और मुकुट हैं। पिछले 20 वर्षों में भाजपा सरकार ने प्रदेश को बीमारू से बेमिसाल राज्य बना दिया है। इसमें सबसे बड़ा योगदान किसानों का ही है। प्रदेश को सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिलना इसका प्रमाण है। बात परंपरागत खेती की हो, प्राकृतिक खेती की हो या फिर श्रीअन्न उत्पादन की, हमारे किसान हर मोर्चे पर अग्रणी हैं। हमारे शरबती गेहूं, चिन्नौर चावल और सुंदरजा आम के स्वाद का लोहा दुनियां मान रही है। ऐसे पराक्रमी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए डबल इंजन सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हमने संकल्प पत्र में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2700 रुपये करने का वादा किया है। संकल्प पत्र पांच वर्षों के लिए होता है। हम अपना यह वादा अवश्य पूरा करेंगे।

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राजनीति में शुचिता आपके लिए कितनी अहमियत रखती है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मूल्यों पर चलते हुए मैंने शुचिता का पालन करने का संकल्प लिया है। मेरा परिवार मुझे प्राप्त शासकीय सुविधाओं से दूर है, यहां तक कि मेरा परिवार मेरे साथ मुख्यमंत्री आवास में भी नहीं रहता। पिछले दिनों मेरे पुत्र का विवाह भी सादगीपूर्वक हुआ। उस वक्त भी मैं चकाचौंध से दूर अपने काम में लगा रहा। मुझे संतोष है कि मेरा परिवार इस संकल्प की पूर्ति में मेरा पूरा साथ दे रहा।

मध्य प्रदेश कर्ज से दबा प्रदेश है। राज्य को इस स्थिति से उबारने की क्या योजना है?

देखिए, कार्यों के लिए अर्थ और सामर्थ्य दोनों की आवश्यकता पड़ती है। मध्य प्रदेश के पास दोनों हैं। डबल इंजन सरकार है हमारी, हमारे पास पैसों की कमी नहीं है। इसी प्रकार मोदी जी के नेतृत्व की वजह से सामर्थ्य की भी कमी नहीं है। जनकल्याण और विकास कार्यों के लिए हमारा खजाना भरा हुआ है। डबल इंजन सरकार का यह सबसे बड़ा लाभ है कि किसी अभाववश कोई काम नहीं रुक सकता।

आपके मुख्यमंत्री बनते ही लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। स्वाभाविक रूप से यह चुनाव व्यक्तिगत रूप से आपके लिए भी चुनौती है। आप इसके लिए किस तरह तैयारी कर रहे हैं?

लोकसभा चुनाव न मेरे लिए चुनौती है और न भाजपा के लिए। पिछले 20 वर्षों में भाजपा सरकारों ने जिस तरह मध्य प्रदेश की सेवा की है, सूरत बदली है और बीमारू प्रदेश को चमकता प्रदेश बनाया है, उसके बदले पार्टी को जनता का अपार स्नेह और विश्वास मिल रहा है। इसी का परिणाम है कि यहां कांग्रेस लगभग खत्म हो गई है। हमें विश्वास है कि लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें भाजपा को सौंपकर मध्य प्रदेश की जनता मोदी जी के 400 पार लक्ष्य की सिद्धि में 100 प्रतिशत योगदान देगी।

बड़ी बातें

  • सचिन तेंदुलकर जब भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने थे, उस समय बड़े-बड़े खिलाड़ी पहले से मौजूद थे। तेंदुलकर ने अपनी शैली से, अपने खेल से और वरिष्ठों के अनुभव से सीखते हुए अपनी अमिट पहचान बनाई।
  • मध्य प्रदेश ने हमेशा पूंजीगत कार्यों के लिए कर्ज लिया है और कभी डिफाल्टर नहीं हुआ। सरकार को जरूरी विकास कार्यों की गति बनाए रखने और जनता की सुविधा के लिए आवश्यकतानुसार लोन लेना पड़ता है।
  • मेरा परिवार मुझे मिली शासकीय सुविधाओं से दूर है। मेरा पुत्र भोपाल में ही हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता है। वह मुझसे मिलने आता है, फिर अपने हॉस्टल लौट जाता है। वह एक भी रात मुख्यमंत्री आवास में नहीं रुका।
  • जब से मुख्यमंत्री के रूप में मध्य प्रदेश की सेवा करने का दायित्व मिला, भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेकर, चरैवेति मंत्र को अंगीकार करते हुए बीते 100 दिनों में राज्य के कल्याण के लिए अथक और निरंतर प्रयास किए।
  • खुद को मुख्यमंत्री नहीं, घर के मुखिया जैसा महसूस करता हूं। पहले जैसी चिंता अपने परिवार की होती थी, अब वैसी ही चिंता पूरे प्रदेश के लिए होती है। पिछले 100 दिनों में मैंने अपने अंदर बहुत बदलाव महसूस किया।

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