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Sanchi Buddhist festival 2022: सांची में बौद्ध महोत्सव की तैयारियां, लाखों की संख्‍या में आएंगे पर्यटक

Buddhist festival सांची में बौद्ध महोत्सव मनाने के लिए तैयारियां चल रही हैं। 26 और 27 नवंबर को बौद्ध महोत्सव के आयोजन के दौरान भगवान बुद्ध के शिष्यों मोदग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियों को भी जनता के दर्शनों के लिए निकाला जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Fri, 25 Nov 2022 07:49 AM (IST)
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Sanchi Buddhist festival 2022: 26 और 27 नवंबर को सांची में दो दिवसीय बौद्ध महोत्सव काआयोजन
रायसेन, अच्छेलाल वर्मा। सांची में कोविड काल के बाद बौद्ध महोत्सव को भव्य पैमाने पर मनाने की तैयारी चल रही है। जिसमें श्रीलंका, जापान समेत विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायी और शिक्षार्थी शामिल होंगे। 26 और 27 नवंबर को यहां दो दिवसीय बौद्ध महोत्सव के आयोजन के दौरान भगवान बुद्ध के शिष्यों मोदग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियों को जनता के दर्शन के लिए निकाला जाएगा।

यहां लाखों की संख्‍या में आने वाले पर्यटक बौद्ध दर्शन के साथ-साथ सनातन संस्कृति को भी देख सकेंगे। सांची के प्राचीन अभिलेखों में बौद्ध दर्शन और सनातन संस्कृति का समावेश देखने को मिलता है।

सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया सिंह स्तंभ

सम्राट अशोक द्वारा निर्मित सिंह स्तंभ में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है।संस्कृत की भांति ब्राह्मी लिपि को सनातन लिपि माना गया है। विश्व संरक्षित विरासत सांची के मुख्य स्तूप के प्राचीनतम तोरण द्वार पर उकेरी गई भगवान बुद्ध की जातक कथाओं में भी सनातन संस्कृति के दर्शन होते हैं।

जिस प्रकार सनातन में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा है, उसी प्रकार स्तूपों के तोरण द्वार पर भगवान बुद्ध की जातक कथाओं का चित्रण मिलता है। पत्थर के खंभों पर भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की जातक कथाएं उकेरी गई हैं।

चार मेहराबों में जातक कथाएं

सम्राट अशोक ने सांची में मिट्टी और ईंटों से मुख्य स्तूप का निर्माण कराया था। उसके बाद, शुंग और सातवाहन के शासनकाल के दौरान, स्तूप का विस्तार पत्थरों से किया गया था और भगवान बुद्ध की जातक कथाओं को चार मेहराबदार दरवाजों पर उकेरा गया है। प्रत्येक तोरण में दो वर्गाकार स्तंभ होते हैं। जिस पर चार शेर, हाथी, वानर आदि को उकेरा गया है।

इनमें पांच प्रजातियों के दृश्य मिलते हैं। इन पांच जातकों में छददंत जातक, महाकपि जातक, महावेसंतरा जातक, अलम्बुसा जातक और साम जातक। तोरणों में उकेरे गए भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े दृश्यों में भारतीय दर्शन देखने को मिलता है।

जैसे जन्म, ज्ञान प्राप्ति, प्रथम उपदेश, महापरिनिर्वाण, स्वप्न और माता महामाया की अवधारणा। चार चक्कर जिसमें उसने एक बूढ़ा मरीज, एक शव और एक साधु को देखा। मानव बुद्ध से संबंधित दृश्य। गौतम बुद्ध सहित पहले के छह मानुषी बुद्धों को सांची स्तूप के प्रवेश द्वार पर प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया गया है।

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