मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने की तैयारी
मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को अब जनजातीय भाषा में पढ़ाई करवायी जाएगी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आलीराजपुर व झाबुआ जिले के प्राथमिक स्कूलों से इसकी शुरुआत की जाएगी।
भोपाल, अंजलि राय। राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने की तैयारी की गयी है। इसके अंतर्गत भीली, बैगनी, गोंडी, कोरकू और सहरिया भाषाओं में किताबें तैयार कर उनमें पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर अध्यापन शुरू किया जाएगा। इस नए कदम के तहत इसी शैक्षणिक सत्र से भीली भाषा में पढ़ाई शुरू की जाएगी।
अलीराजपुर और झाबुआ जिले के प्राइमरी स्कूलों से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया जाएगा। इसके अलावा अन्य जनजातियों की भाषाओं में भी शिक्षण सामग्री तैयार करने को लेकर के अधिकारी और विशेषज्ञ आपस में चर्चा कर रहे हैं। इसे राज्य के अन्य आदिवासी इलाकों के सरकारी स्कूलों में भी शुरू किया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आलीराजपुर व झाबुआ जिले के प्राथमिक स्कूलों से इसकी शुरुआत की जाएगी। इसके अतिरिक्त अन्य जनजातियों की भाषाओं में शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए अधिकारी व विशेषज्ञ मिलकर विचार-विमर्श कर रहे हैं। प्रदेश के अन्य आदिवासी जिलों के सरकारी स्कूलों में भी शुरुआत की जाएगी।
भोपाल में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में अलीराजपुर और झाबुआ के लगभग दो हजार सरकारी स्कूलों को भीली भाषा में पढ़ाया जाएगा। राजधानी के डीआईजी बंगले स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन एजुकेशन (IASE) में 23 से 25 नवंबर तक भीली भाषा में शिक्षा देने और शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए कार्यशाला का आयोजन होगा। इस कार्यशाला में अलीराजपुर एवं झाबुआ जिले के भीली भाषा विशेषज्ञ एवं शिक्षक सहित भाषा विशेषज्ञ, राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
मुख्यमंत्री ने 15 सितंबर को की थी घोषणा
15 सितंबर को अलीराजपुर जिले में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि जिले में प्राथमिक स्तर पर भीली में स्थानीय भाषा पढ़ाई जाए। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके बाद इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना तैयार कर ली है।
आडियो और वीडियो तैयार हो जाएगा
विभाग वहां के शिक्षकों से भीली भाषा में आडियो और वीडियो तैयार किया जाएगा। इससे बच्चों को सीखने में आसानी होगी। इसमें इनमें अन्य स्थानीय भाषाओं को भी शामिल किया जा रहा है। स्थानीय भाषाओं के अलावा इन्हें हिंदी में भी पढ़ाया जाएगा, अधिकारियों ने बताया कि भीली के साथ किताबों में हिंदी में भी लिखा होगा।
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