Radha Ashtami 2022: '333 साल से राधा रानी इस गर्भग्रह में हैं विराजमान', साल में सिर्फ आज के दिन ही खुलता इनका पट
Radha Ashtami 2022 देश में वृंदावन के बरसाना के अलावा विदिशा के नंदवाना में ही है राधा रानी का मंदिर। औरंगजेब के अत्याचारों के दौरान 353 साल पहले सन् 1669 में गुप्तरुप से विदिशा लाई गई थीं। शुरूआती दौर में ठकुराइन को 21 तोपों की सलामी दी जाती थी।
By Priti JhaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 10:33 AM (IST)
विदिशा, जागरण ऑनलाइन डेस्क। देश में राधा रानी के प्राचीन मात्र दो ही मंदिर के बारे में बताये जाते हैं जिनमें एक मंदिर वृदावन के बरसाना और दूसरा मंदिर शहर के नंदवाना में स्थित है। मालूम हो कि बरसाना में तो राधारानी की हवेली बनी हुई है, जहां ठकुराइन के श्रद्धालुओं को रोज दर्शन होते हैं, लेकिन विदिशा में पिछले 333 साल से राधा रानी एक छोटे से गर्भग्रह में विराजमान हैं। जहां साल भर गुप्त रूप से उनकी सेवा की जाती है और राधा अष्टमी के मौके पर आम श्रद्धालुओं के लिए पट खोले जाते हैं।
साल में एक बार राधा अष्टमी पर खुलते पट
जानकारी के अनुसार शहर के नंदवाना गली स्थित राधा रानी के प्राचीन मंदिर के पट अभी साल में सिर्फ एक बार राधा अष्टमी पर खुलते हैं। वहीं, मंदिर के सेवक का भी कहना यही है कि जब तक ठकुराइन (राधा रानी) की हवेली (मंदिर) नहीं बनती तब तक साल भर मंदिर के पट नहीं खुल सकते। इस अवधि में श्रद्धालु राधा रानी के दर्शन नहीं कर पाते। मंदिर में गुप्त पूजा होती है। परंपरा के चलते इस बार भी आज रविवार को राधा अष्टमी पर सिर्फ एक दिन के लिए मंदिर के पट खुले हैं। इसके बाद एक वर्ष के लिए पट बंद हो जाएंगे।
राधा रानी की प्रतिमा 7 इंच अष्टधातु की है
मालूम हो कि 7 इंच की अष्टधातु की राधा रानी की प्रतिमा के साथ ही उनकी सहेलियां भी यहां विराजमान हैं। मंदिर के सेवकों का कहना है कि हम सब चाहते है कि साल भर मंदिर के पट खुलते रहे, लेकिन जब उन्होंने राधावल्लभ मंदिर वृंदावन पीठ के प्रधान पीठाधीश्वर से इसके लिए आग्रह किया तो उन्होंने पहले हवेली बनाने की हीं बात कही है। उनका कहना था कि यदि ठकुराइन के लिए हवेली बन जाए तो नित्य पट खोलने पर विचार किया जा सकता है।ऐसा लगा अब राधा रानी की हवेली का निर्माण हो जाएगा
वहीं दूसरी और मंदिर बोर्ड के सदस्यों का यह कहना है कि प्रशासन को आगे आकर इस बात की पहल करना चाहिए। मालूम हो कि दो साल पहले केंद्रीय पर्यावरण एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल भी राधा अष्टमी के दिन अपने पूरे परिवार के साथ राधा रानी [ठकुराइन] के दर्शन करने पहुंचे थे, उन्होंने बोर्ड और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। उन्होंने इस मंदिर बनाने को लेकर मंदिर बोर्ड के सदस्यों से बात की थी। उस समय ऐसा लग रहा था कि अब राधा रानी के लिए जल्दी ही अच्छी हवेली का निर्माण हो जाएगा, लेकिन बाद में इस मामले में कुछ हुआ नहीं मामला ठंड़े बस्ते में चला गया।
राधा रानी चांदी के पालने में झूलेंगी
जानकारी के अनुसार मंदिर प्रबंधन के मुताबिक जल्दी ही 14 किलो चांदी से ठकुराइन के लिए महल बनवाया जाएगा। वर्तमान में चंदन की लकड़ी से बने महल में राधा रानी विराजमान हैं। मालूम हो कि इस साल मंदिर प्रबंधन ने राधा रानी को आठ किलो चांदी से पालना और नया सिंहासन भी बनवाया है। एक सप्ताह से नाथद्वारा से आए पांच कारीगर पालना और चांदी का सिंहासन बना रहे थे। [आज ] 4 सितंबर रविवार को राधा अष्टमी के मौके पर इस साल पहली बार वह चांदी के पालना में झूलते हुए श्रद्धालुओं को दिखाई देंगी।353 वर्ष पहले गुप्त रुप से लाये थे मूर्ति
वहीं मंदिर के सेवकों का कहना है कि जो प्रतिमाएं नंदवाना स्थित मंदिर में विराजमान हैं, वह औरंगजेब के अत्याचारों के दौरान 353 साल पहले सन् 1669 में गुप्तरुप से विदिशा लाई गई थीं। बताया जाता है कि शुरूआती दौर में ठकुराइन को 21 तोपों की सलामी दी जाती थी। जानकारी के अनुसार इन प्रतिमाओं को स्वामी परिवार लेकर आया था। इससे पहले यह प्रतिमाएं वृंदावन में जमुना जी के किनारे राधा रंगीराय मंदिर में विराजमान थीं। वर्तमान में उनकी 12वीं पीढ़ी गुप्त रुप से सेवा करती आ रही है।
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