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सच के साथी सीनियर्स: इंदौर में वरिष्‍ठ नागरिकों को दी गई फैक्‍ट चेकिंग की ट्रेनिंग

Sach Ke Sathi Seniors मुख्य तौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जागरण न्‍यू मीडिया के एडिटर-इन-चीफ एवं सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजेश उपाध्‍याय ने प्रतिभागियों को सच के साथी-सीनियर्स अभियान और विश्‍वास न्‍यूज के बारे में विस्‍तार से बताया। कार्यक्रम में फेक सूचनाओं की पहचान के बुनियादी तौर-तरीकों और ऑनलाइन टूल्स के बारे में भी जानकारी दी गई।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Fri, 15 Mar 2024 06:54 PM (IST)
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जागरण न्‍यू मीडिया के एडिटर-इन-चीफ राजेश उपाध्‍याय ने इंदौर में वरिष्‍ठ नागरिकों को फैक्‍ट चेकिंग की ट्रेनिंग दी। (Photo Jagran)
जेएनएन, इंदौर। इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान भी बढ़ गया है। इस सूचनाओं में कई फर्जी और भ्रामक भी होती हैं, जिन्हें कुछ यूजर्स अनजाने में तो कुछ जानबूझकर भेजते हैं। इससे व्यक्तिगत छवि खराब होने के अलावा वित्तीय नुकसान भी हो सकता है। इसी तरह की संदिग्ध सूचनाओं और फिशिंग लिंक्स वाले संदेशों से सचेत करने के लिए जागरण न्यूज मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने इंदौर में एक बार फिर से कार्यशाला का आयोजन किया।

'सच के साथी-सीनियर्स' अभियान के तहत 15 मार्च को इंदौर के श्री मध्‍य भारत हिंदी साहित्‍य समिति में कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य तौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जागरण न्‍यू मीडिया के एडिटर-इन-चीफ एवं सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजेश उपाध्‍याय ने प्रतिभागियों को 'सच के साथी-सीनियर्स' अभियान और विश्‍वास न्‍यूज के बारे में विस्‍तार से बताया।

राजेश उपाध्‍याय ने कहा कि आपके मोबाइल पर जो भी संदिग्ध सूचना आ रही है, उसे पहले जांच लें। इसके लिए उसके सोर्स की जांच करें। सोर्स आपके लिए टॉर्च का काम करेगी। इससे आपको संदिग्ध सूचना की सच्चाई पता चल जाएगी और फिर उसे आगे फॉरवर्ड करें। उन्होंने कहा कि जिस तरह गलत खानपान से शरीर को नुकसान होता है, वैसे ही गलत सूचनाओं से व्‍यक्ति को, समाज को और देश को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि इसकी चेन को नहीं तोड़ा गया, तो यह नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

कार्यक्रम में फेक सूचनाओं की पहचान के बुनियादी तौर-तरीकों और ऑनलाइन टूल्स के बारे में भी जानकारी दी गई। इस दौरान विश्‍वास न्‍यूज के एसोसिएट एडिटर एवं फैक्‍ट चेकर अभिषेक पराशर ने बताया कि पिछले कुछ वक्‍त से डीपफेक वीडियो और तस्‍वीरों के कारण कुछ लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्‍होंने सचिन तेंदुलकर के डीपफेक वीडियो का उदाहरण देते इन्हें पहचानने के तरीके बताए।

अभिषेक ने कहा कि ऐसे वीडियो में लिप सिंक देखकर या शरीर के हावभाव देखकर इनके डीपफेक होने के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। डीपफेक तस्वीरों को पहचानने के लिए कुछ एआई टूल्स मौजूद हैं। कार्यक्रम में उन्होंने फेक और भ्रामक सूचनाओं में अंतर और खतरे के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा एक गेम के जरिए मौजूद प्रतिभागियों को सच और झूठ का अंतर समझाया। अंत में उन्होंने जागरूक मतदाता बनने के लिए लोगों को प्रेरित किया।

इंदौर में पहले भी दी जा चुकी है ट्रेनिंग

इससे पहले भी मध्य प्रदेश के इंदौर में इस तरह के प्रशिक्षण का आयोजन किया जा चुका है। इसके अलावा छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और बिहार के अलग-अलग शहरों में भी इस तरह का कार्यक्रम हो चुका है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सहयोग से संचालित हो रहे इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।

अभियान के बारे में

'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को उठाने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। इसमें रजिस्ट्रेशन करने के लिए www.vishvasnews.com/sach-ke-sathi-seniors/ पर क्लिक करें।

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