मोहन यादव को MP की कमान मिलने के बाद अब केंद्र में आ सकते हैं शिवराज, केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की सुगबुगाहट तेज
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ¨सह चौहान के पुनर्वास के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल का छोटा-सा विस्तार हो सकता है। मोदी कैबिनेट में कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है ऐसे में माना जा रहा है कि शिवराज को कृषि मंत्रालय का प्रभार दिया जा सकता है। साथ ही विष्णु दत्त शर्मा भी केंद्रीय मंत्री बनाए जा सकते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 14 Dec 2023 08:20 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुनर्वास के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल का छोटा-सा विस्तार हो सकता है। मोदी कैबिनेट में कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, ऐसे में माना जा रहा है कि शिवराज को कृषि मंत्रालय का प्रभार दिया जा सकता है।
शिवराज सिंह चौहान को मिल सकता बड़ा मंत्रालय
चौहान के साथ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी केंद्रीय मंत्री बनाए जा सकते हैं। विधानसभा चुनाव में शर्मा के कुशल प्रबंधन से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व गदगद है।
उल्लेखनीय है कि मोदी कैबिनेट से जिन मंत्रियों को अलग-अलग राज्यों में चुनाव लड़ाया गया था, उनमें से मध्य प्रदेश से संबंधित नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल त्याग-पत्र दे चुके हैं।
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पार्टी को शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा
भाजपा सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में साढ़े अठारह वर्ष तक मुख्यमंत्री का सफर तय करने वाले नेता शिवराज सिंह चौहान के पुनर्वास को लेकर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व गंभीर है। कई वर्षों से यह कयास लगाए जा रहे थे कि चौहान को मोदी कैबिनेट में लिया जा सकता है, लेकिन जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को पराजय मिली तो पार्टी ने यू-टर्न ले लिया था।पार्टी नेताओं का कहना है कि कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को हटाए जाने के कारण भाजपा को पराजय मिली, यदि वह ही मुख्यमंत्री बने रहते तो परिणाम कुछ और होते। इसी वजह से भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद चौहान की कुर्सी पर डा. मोहन यादव को बिठाया।अब पार्टी चौहान को केंद्रीय राजनीति में ले जाना चाहती है। इसके दो उद्देश्य हैं, पहला केंद्र में बेहतर प्रदर्शन वाले मंत्रियों की संख्या कम हो गई है। ऐसे में बड़े मंत्रालयों को अतिरिक्त प्रभार में रखने से मोदी सरकार के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है। दूसरी वजह, केंद्र की राजनीति में चौहान को ले जाने से प्रदेश का नया नेतृत्व बिना किसी नैतिक दबाव के काम कर पाएगा।
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