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Swachh Survekshan 2023: स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का आज जारी होगा परिणाम, देशभर के इन शहरों ने लिया है हिस्सा

नई दिल्ली में गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के परिणामों की घोषणा की जाएगी। इसमें स्वच्छ सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले देशभर के शहरों की रैंकिंग घोषित होगी। इस प्रतिस्पर्धा में भोपाल ने भी भाग लिया है।हालांकि भोपाल की रैकिंग क्या होगी अभी इसका पता नहीं है। वर्ष 2017 और 18 में भोपाल देश का दूसरा सबसे स्वच्छत शहर था।

By Jagran News Edited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 11 Jan 2024 05:00 AM (IST)
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महापौर और निगम अधिकारी पुरस्कार लेने दिल्ली पहुंचे

जेएनएन, भोपाल। नई दिल्ली में गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के परिणामों की घोषणा की जाएगी। इसमें स्वच्छ सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले देशभर के शहरों की रैंकिंग घोषित होगी। इस प्रतिस्पर्धा में भोपाल ने भी भाग लिया है।

हालांकि भोपाल की रैकिंग क्या होगी, अभी इसका पता नहीं है। लेकिन नगर निगम के अधिकारी पांचवे नंबर पर आने का दावा कर रहे हैं। इसका पुरस्कार लेने के लिए महापौर मालती राय के साथ नगर निगम के अन्य अधिकारी दिल्ली पहुंच गए हैं।

बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की रैंकिंग 11 जनवरी को जारी करने की घोषणा पांच जनवरी को की जा चुकी है। अब गुरूवार को दिल्ली में केन्द्रीय शहरी आवासन मंत्रालय देशभर के स्वच्छ शहरों के रैकिंग की घोषणा करेगा। साथ नगरीय निकायों की स्वच्छता में रैकिंग की घोषण भी होगी।

इधर सर्वे में अच्छी रैंकिंग के संकेत मिलते ही स्वच्छता सर्वेक्षण के मुख्य कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल नगर निगम की महापौर मालती राय सहित निगम कमिश्नर फ्रैंक नोबल ए, अपर आयुक्त विनित तिवारी, उपायुक्त योगेन्द्र पटेल और एनजीओ की टीम दिल्ली पहुंच गई।

इंदौर ने बरकरार रखी रैकिंग, भोपाल पिछड़ रहा

वर्ष 2017 और 18 में भोपाल देश का दूसरा सबसे स्वच्छत शहर था। इसके बाद से हर वर्ष पिछड़ता जा रहा है। वहीं इंदौर हर बार नबंर वन पर रहा। उसने शुरु से ही अपनी रैकिंग बरकरार रखी है। हालांकि बीते वर्ष भोपाल 17वें स्थान से उछल कर 11वें पर पहुंचा था।

निजी एजेंसियों को काम सौंपने से पिछड़े

शहर की वर्तमान आबादी 24 लाख पहुंच गई है। निगम के 19 जोन व 85 वार्ड में साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम के नौ हजार कर्मचारियों के पास है। जिसमें से सात हजार कर्मचारी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में दैनिक वेतन भोगी हैं।

हर जोन में एक प्रभारी सहायक स्वास्थ्य, हर वार्ड में एक दरोगा और हर वार्ड में 25 से 30 कर्मचारी रोजाना साफ-सफाई करते हैं। लेकिन निगम अधिकारी सिर्फ एनजीओ और सलाहकारों पर निर्भर हैं। कर्मचारियों के श्रम से ज्यादा एनजीओ को तबज्जो दी जाती है। इसलिए हर साल निगम पिछड़ रहा है।