Swami Swaroopanand: राजकीय सम्मान के साथ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती समाधिस्थ, नए शंकराचार्यों की हुई घोषणा
Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati- ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के पंडित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री ने बताया कि श्रृंगेरी पीठ के सचिव वी गौरी शंकर और पुरी पीठ के प्रतिनिधि ने अभिषेक एवं पट्टा वस्त्र ओढ़ाकर शंकराचार्य की घोषणा की।
By Shivam YadavEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 11:15 PM (IST)
जबलपुर, जेएनएन। द्वारका शारदा पीठ व ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव तहसील स्थित परमहंसी गंगा आश्रम झौतेश्वर में विधि विधान एवं राजकीय सम्मान के साथ समाधि दी गई। इसी दौरान उनके उत्तराधिकारियों की भी घोषणा की गई। स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका पीठ और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य घोषित किया गया।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती रविवार को ब्रह्मलीन हुए थे। उनका अंतिम दर्शन करने देश भर से साधु-संत व भक्त पहुंचे। आश्रम में पूरे समय भजन-कीर्तन चलता रहा। ब्रह्मलीन शंकराचार्य को पालकी में विराजमान कर आश्रम के मंदिर से समाधि स्थल तक लाया गया। दोपहर करीब 3.40 बजे पालकी समाधि स्थल पर पहुंची, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनकी देह पर तिरंगा रखकर गार्ड आफ आनर दिया गया। समाधि स्थल के चारों तरफ हजारों की संख्या में विद्वतजन और श्रद्धालु मौजूद रहे। श्रृंगेरी मठ के प्रतिनिधि वीआर गौरीशंकर ने नए शंकराचार्यो के प्रस्ताव का वाचन किया।
पार्थिव शरीर के समक्ष नए शंकराचार्यों की घोषणा
गौरतलब है कि शंकराचार्य दो पीठों के स्वामी थे। अब स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका शारदा पीठ का और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ का प्रमुख घोषित किया गया है। दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य स्वरूपानंद की पार्थिव देह के सामने की गई।
ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के पंडित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री ने बताया कि श्रृंगेरी पीठ के सचिव वी गौरी शंकर और पुरी पीठ के प्रतिनिधि ने अभिषेक एवं पट्टा वस्त्र ओढ़ाकर शंकराचार्य की घोषणा की। पंच अग्निपीठ के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि रामकृष्णानंद ने शाल श्रीफल देकर दोनों शंकराचार्यों को सम्मानित किया।
सरस्वती महाराज ने ही निर्धारित किया था नाम
शंकराचार्यजी के पार्थिव शरीर के समक्ष निज सचिव रहे सुबुद्घानंद महाराज ने दोनों पीठों के उत्तराधिकारियों को शंकराचार्य बनाने की अधिकृत घोषणा की। बता दें कि दोनों पीठों के अगले शंकराचार्यों के नामों का स्वरूपानंद सरस्वती महाराज अपने जीवनकाल में ही निर्धारण कर चुके थे। इनके नामों को लिपिबद्घ किया गया था।
इस आदेश को संतों की मौजूदगी में पढ़ा गया। इसके बाद पालकी में शंकराचार्य की पार्थिव देह को समाधि स्थल लाया गया और समाधि की प्रक्रिया शुरू की गई। वाराणसी से आए आचार्य पं.अवधराम पांडे और वीरेश्वर दतार ने समाधि पूजन करवाया।
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