Navratri 2022: बेहद दिलचस्प है भोपाल के कर्फ्यू वाले माता मंदिर का इतिहास, चेक से आता है यहां दान
Navratri 2022 कर्फ्यू वाले माता मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प है। वर्ष 1981 में आश्विन मास की नवरात्र में मां की मूर्ति सोमवाड़ा (पीरगेट) चौराहे के पास चबूतरे पर स्थापित की गई थी। लेकिन इसके बाद यहां बवाल हो गया जिसके वजह से एक माह तक कर्फ्यू लगाना पड़ा।
By JagranEdited By: Babita KashyapUpdated: Wed, 28 Sep 2022 11:19 AM (IST)
भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्क। वर्ष 1981 आज से 41 साल पहले पुराना शहर काफी दिनों तक कर्फ्यू के साये में रहा था। उसके बाद यहां के चौक पर धूमधाम से मां भवानी की स्थापना की गई। इसी वजह से सोमवाड़ा में स्थित देवी मंदिर कर्फ्यू वाली मां के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।
इमामी गेट से मोती मस्जिद की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर बने इस मंदिर की शहर और आसपास के लोगों में काफी श्रद्धा है। सुबह से ही यहां मां के दर्शन के लिए भक्त जुटने लगते हैं। नवरात्र के मौके पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर का गर्भगृह सोने की परत चढ़ा हुआ है। माता का मुकुट भी सोने का है।
कर्फ्यू वाले माता मंदिर का इतिहास
वर्ष 1981 में आश्विन मास की नवरात्रि में जयपुर से मंगवायी गई मां की मूर्ति सोमवाड़ा (पीरगेट) चौराहे के पास चबूतरे पर स्थापित की गई थी। षष्ठी को दिन मंदिर को लेकर इलाके में बवाल हो गया। जिसकी वजह से कर्फ्यू लगाना पड़ा।करीब एक महीने बाद सरकार झुकी और मंदिर की स्थापना की अनुमति मिल गई। यहां मंदिर निर्माण की भूमिका बाबूलाल माली (सैनी) और पुजारी पंडित श्रवण अवस्थी ने की थी। मंदिर ने अब भव्य रूप धारण कर लिया है।
मंदिर में जलती है दो अखंड ज्योत
मंदिर के पुजारी नरेश अवस्थी के अनुसार इस मंदिर में घी और तेल की दो शाश्वत ज्वालाएं जलाई जाती हैं। इसके लिए छह महीने में 45 लीटर तेल और 45 लीटर घी की जरूरत होती है। नवरात्र के दौरान यहां एक विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।इसमें शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। मंदिर सुबह पांच बजे खुलता है। सुबह 6.30 बजे मां की पहली आरती होती है।
दूसरी आरती सुबह नौ बजे होती है। दोपहर 12:30 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, जिन्हें शाम 4.30 बजे फिर से खोल दिया जाता है। नवरात्रि के मौके पर रात 12 बजे तक लोग दर्शन के लिए आते रहते हैं।
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मंदिर समिति के अध्यक्ष रमेश सैनी के ने बताया कि माता के दरबार से शहरवासियों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। यहां मन्नत मांगने वाली मां के चरणों में अर्जी लगाकर जाते है। यहां आने वाले माता के भक्त कलावा बांधकर भी मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त प्रसाद भी चढ़ाते हैं। सुरक्षा के लिए यहां सीसीटीवी लगाए गए हैं। 50 रुपये से अधिक का दान यहां केवल चेक के माध्यम से स्वीकार किया जाता है।यह भी पढ़ें-Navratri 2022 3rd day: साहसी और नीडर बनाती है मां चंद्रघंटा, नवरात्र के तीसरे दिन होता युद्ध की देवी का पूजनNavratri 2022: आदिशक्ति मां दुर्गा क्यों करती हैं शेर की सवारी, इससे जुड़ा है रोचक किस्सा