MBBS हिंदी की प्रथम व द्वितीय वर्ष की हिंदी पुस्तकों में हो सकता है संशोधन, छात्रों से लिया जाएगा फीडबैक
एमबीबीएस प्रथम वर्ष हिंदी (MBBS First Year Hindi) की किताबें छात्रों को अभी नहीं मिल पायी है। दिसबंर किताबें बाजार में आएंगी। किताबों को लेकर छात्रों का फीडबैक लेने के बाद उनमें बदलाव किया जाएगा। पहले छात्रों को रफ सामग्री नमूने के तौर पर दी जाएगी।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Tue, 25 Oct 2022 07:45 AM (IST)
भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्क। एमबीबीएस (MBBS) के प्रथम वर्ष में हिंदी में पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक छात्रों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। किताबें दिसंबर में ही बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है। इसका कारण यह है कि प्रकाशक को डर है कि किताबें प्रकाशित करने के बाद अगर वे नहीं बिकी तो नुकसान की भरपाई कैसे कर पाएंगे।
इन किताबों को पढ़कर छात्रों से फीडबैक लिया जाएगा। उनके सुझाव के अनुसार पुस्तकों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके अलावा एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के लिए तैयार की जा रही पुस्तकों को अंतिम रूप देने से पहले ही सुझावों के अनुसार उनमें संशोधन किया जाएगा।
नमूने के तौर पर मांगी रफ सामग्री
प्रथम वर्ष की किताबें तैयार करने वाली समिति में शामिल प्रोफेसरों ने कहा कि कुछ छात्रों को नमूने के तौर पर कुछ रफ सामग्री दी गयी। सुझाव के अनुसार किताबें तैयार की गई। अब पूरी पुस्तक का अध्ययन कर विद्यार्थियों से प्राप्त सुझावों को शामिल करते हुए पुस्तकों में संशोधन किया जाएगा। बता दें कि अंग्रेजी की किताबों को हिंदी में बदल दिया गया है।किताबों में हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी के शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 अक्टूबर को राज्य में हिंदी में चिकित्सा शिक्षा की शुरुआत की थी और भोपाल के लाल परेड ग्राउंड से पुस्तकों का विमोचन किया था।
एमबीबीएस (MBBS) प्रथम वर्ष हिंदी में पढ़ाई शुरू
गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाते समय जब प्रोफेसरों ने छात्रों से पूछा कि वहां कितने हिंदी माध्यम के लोग हैं तो 250 में से केवल सात ने हां कहा। लगभग हर मेडिकल कॉलेज का यही हाल है। ऐसे में प्रकाशक को भी चिंता है कि किताबें नहीं बिक पाएंगी। दूसरे, एमबीबीएस छात्र पाठ्यपुस्तकों के बजाय कोचिंग संस्थानों के नोट्स का उपयोग करते हैं।
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