International Yoga day 2022: योग के ये आठ अंग शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी बनाते हैं बेहतर
International Yoga day 2022 योग की प्रसांगिता को दुनिया के कई देशों ने भी स्वीकार किया है। इन्हें अपनाकर कोई न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी बेहतर बन सकता है। भारतीय दर्शन के छह भाग न्याय वैशेषिक सांख्य योग मीमांसा और वेदांत हैं।
इंदौर, जेएनएन। International Yoga day 2022: मानव जीवन में योग का बहुत महत्व है। इसका अर्थ ही है जुड़ना। आत्मा की परमात्मा से एकता आत्मसंयम से स्थापित होती है। हमारे तपस्वियों ने छह हजार साल पहले योग सीखा और मानव कल्याण के लिए इसका प्रसार किया। योग विशेषज्ञ श्रीराम माहेश्वरी के अनुसार योग को अपनाने से दुनिया के कई देशों को स्वास्थ्य लाभ मिलने लगा और उन्होंने इसकी प्रासंगिकता को स्वीकार किया।
योग एक प्राचीन विद्या
महर्षि पतंजलि ने योग के आठ अंगों को यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि बताया है। इन्हें अपनाकर कोई न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी बेहतर बन सकता है। यदि यम में ब्रह्मचर्य, सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह को सम्मिलित कर लिया जाए तो शौच, सन्तोष, तपस्या, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान नियम के अंतर्गत आते हैं। वस्तुतः योग वैदिक दर्शन के अंतर्गत एक प्राचीन विद्या है। भारतीय दर्शन के छह भाग न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत हैं। इसमें योग का विशेष महत्व है। योग का अभ्यास एक प्रकार से पवित्रता का व्रत है।
आचरण और व्यवहार में लाता है परिवर्तन
योग का अभ्यास शुरू करने से पहले यह जानना जरूरी है कि हमें योग क्यों करना चाहिए। योग का संबंध केवल व्यायाम तक ही सीमित नहीं है। योग आचरण और व्यवहार में परिवर्तन लाता है। यह जीवन को सुखी और आनंदमय बनाता है। योग के लिए हमें आसन में बैठना होता है। आसन का अर्थ है सीधा बैठना और मन को शांत करना। बैठने की ऐसी मुद्रा जो व्यक्ति को सुख देती हो, उस मुद्रा को अपनाना चाहिए। कुछ लोग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग करते हैं। उनके लिए आसन हैं- शीर्षासन, सर्वांगासन, हल्लासन, भुजंगासन और सुप्त वज्रासन। कुछ साधक मानसिक शांति के लिए योग करना चाहते हैं। मकरासन और शवासन इनके लिए उपयुक्त हैं। ध्यान में रुचि रखने वालों के लिए, आसन हैं - सिद्धासन, स्वास्तिकासन, समसन और पद्मासन।
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