Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

उमा भारती ने बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें, कहा- "भाजपा को ही वोट देना जरूरी नहीं"

एक बार फिर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का बगावती सुर देखने को मिला है। उन्होंने लोधी समाज द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा कि मैं आपसे नहीं कहूंगी कि आप भाजपा को वोट दें। राजनीति के बंधन से आप मेरी तरफ से स्वतंत्र हैं।

By Edited By: Praveen Prasad SinghUpdated: Wed, 28 Dec 2022 08:14 PM (IST)
Hero Image
उमा भारती के बगावती सुर का वीडियो वायरल।

भोपाल, जागरण डेस्क। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बगावती सुर एक बार फिर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करते नजर आ रहे हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें उमा भारती के बगावती सुर देखने को मिले हैं।

"मेरे कहने पर भाजपा को वोट देने की जरूरत नहीं"

दरअसल, इस वीडियो में उमा भारती लोधी समाज के सम्मेलन में कह रही हैं कि मेरे कहने पर भाजपा को वोट देने की जरूरत नहीं है। मैं नहीं कहती कि लोधियों, तुम भाजपा को ही वोट दो। हम प्यार के बंधन में बंधे हैं पर राजनीति के बंधन से आप मेरी तरफ से स्वतंत्र हैं। आप अपना वोट खुद का मान- सम्मान और हित देखकर देना। आपको बता दें, उमा भारती भी लोधी समाज से आती हैं। वायरल होने वाला ये वीडियो बीते रविवार को लोधी समाज की ओर से आयोजित सम्मेलन का है।

बयान से मची हलचल

विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही उमा भारती का ऐसा बयान आने से भाजपा में हलचल मच गई है। ऐसा माना जा रहा है कि लोधी समाज के नेता और उमा के खास समर्थक प्रीतम लोधी को भाजपा ने बर्खास्त कर दिया था इसके बाद से ही उमा पार्टी से नाराज चल रही हैं। दरअसल, प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण वर्ग के लिए अपशब्द कहे थे जिसके कारण पार्टी को उन्हें निकालने का फैसला करना पड़ा था। 

हालांकि, इसके बाद प्रीतम ने ओबीसी महासभा का गठन कर लिया और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इस बीच उमा भारती का यह बयान भाजपा के ओबीसी वोट बैंक को झटका दे सकता है। साथ ही प्रीतम लोधी की ताकत बढ़ सकती है।

कई बार भाजपा के खिलाफ बदले उमा भारती के सुर

उमा भारती ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव अपनी इच्छा से नहीं लड़ा था। इसके बाद से ही वे राजनीति की मुख्यधारा से बाहर हैं। मोदी सरकार में मंत्री होने के साथ ही उमा भारती भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं। साथ ही अमित शाह की टीम में इन्होंने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भूमिका निभाई थी लेकिन जेपी नड्डा के कार्यकाल में उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिल सका।

आपको बता दें, उमा भारती पहले एक बार भाजपा छोड़ चुकी हैं। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद भी वो लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करती रही थीं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। सभी बातों से परेशान होकर उमा भारती ने अपनी भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन किया था और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन कुछ समय बाद भाजपा में इसकी वापसी हुई, इस दौरान पार्टी ने उन्हें सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। संगठन ने उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से अलग करके उत्तर प्रदेश भेज दिया। यहां तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी ने तो उन्हें उत्तर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री तक घोषित कर दिया था। बाद में उन्हें झांसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाया गया लेकिन चाहकर भी वो राजनीति में अपनी पहले जैसी वापसी नहीं कर पा रही थी।

पहले भी कई बार विरोध में दिखींं उमा भारती

ऐसा नहीं है कि भाजपा के खिलाफ उमा भारती का ये रूप पहली बार देखने को मिला है। इससे पहले भी कई बार उन्हें भाजपा के लिए मुसीबतें खड़ी करते हुए देखा गया है। उन्होंने कई बार ट्वीट कर मोदी सरकार को गंगा सफाई अभियान से जुड़े मामले को लेकर कठघरे में खड़ा किया। इतना ही नहीं उन्होंने कई बार मध्य प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की मांग उठाई है और कई शराब की दुकानों में तोड़फोड़ भी की है।

यह भी पढ़ें: Fact Check : WHO नहीं, बल्कि ‘वर्ल्ड डॉक्टर्स अलायंस’ की बैठक की है यह वीडियो

शेयर बाजार और सोने से दोगुना रिटर्न दिया चांदी ने, इन वजहों से आई तेजी