MP: रातापानी अभयारण्य में वन्य जीव पर्यटन संग पुरातात्विक के साथ धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों के भी कीजिए दर्शन
रातापानी अभयारण्य में गत दिसंबर से ही जंगल सफारी शुरू की गई है। बरखेड़ा स्थित मुख्य द्वार के अतिरिक्त देलावाड़ी और झिरी गेट से सफारी आरंभ की जा सकती है। यहां बैटरी चलित वाहनों से सफारी की जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 10 Mar 2023 05:21 PM (IST)
अतीक अहमद, मंडीदीप (रायसेन)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 किमी दूर स्थित रातापानी अभयारण्य अनूठा है। अभयारण्य में न सिर्फ समृद्ध वन्य जीवन पनप रहा है, बल्कि पुरातात्विक, ऐतहासिक धरोहरों से लेकर धार्मिक स्थलों तक को यह अपने में समेटे हुए है।
यह पर्यटन का ऐसा पैकेज है जहां रोमांच के साथ प्रकृति दर्शन और आस्था का संगम देखने को मिलता है। जंगल में सुरक्षा और उपलब्ध आहार शृंखला के कारण बाघ सहजता से निवास करते हैं।
बैटरी वाहन से सफारी, पैदल भी कर सकते हैं भ्रमण
अभयारण्य में गत दिसंबर से ही जंगल सफारी शुरू की गई है। बरखेड़ा स्थित मुख्य द्वार के अतिरिक्त देलावाड़ी और झिरी गेट से सफारी आरंभ की जा सकती है।यहां बैटरी चलित वाहनों से सफारी की जाती है। इसके अलावा बफर जोन में दो किलोमीटर का पैदल ट्रेक भी है। वन क्षेत्र में सैलानियों को आकर्षित करने वाले झरने, कुंड और जलाशय भी हैं।
यह हैं दर्शनीय स्थल
कैरी महादेव का झरना वर्षाकाल में पूरे जोर पर होता है, जहां प्राकृतिक रूप से महादेव का अभिषेक होता है। नीलगाय के जंगल में तीन परमार कालीन प्राचीन मंदिरों के अवशेष, रणभैंसा व धूपगढ़ के विहंगम दृश्य की यात्रा के अतिरिक्त जलाशय में सुबह के समय प्रवासी पक्षियों का कलरव आकर्षित करता है।साथ ही विश्व धरोहर भीमबैठका के हजारों वर्ष प्राचीन शैलचित्र, द ग्रेट वाल, रानी कमलापति का गिन्नौरगढ़ किला और परमार कालीन मंदिर व अन्य ऐतिहासिक धरोहरें स्थित हैं। निकट ही भोजपुर का शिव मंदिर और आशापुरी में बिखरी प्राकृतिक संपदा भी दर्शनीय है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।दुर्लभ पक्षी, शाकाहारी व मांसाहारी वन्य जीव
रातापानी अभयारण्य में दुर्लभ पक्षी, शाकाहारी व मांसाहारी वन्य जीव दिखते हैं। विलेज क्राफ्ट सेंटर, घने जंगल, चारों ओर हरियाली से भरी गगनचुंबी पर्वत शृंखला, कुलांचे भरते चौसिंगा, हिरण, नीलगाय, चीतल, बाघ, तेंदुआ, भालू, काले और लाल मुंह वाले वानरों का समूह, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा व अन्य वन्यजीवों के साथ कई प्रजातियों के पक्षी व सैकड़ों किस्म की तितलियां यात्रा को रोमांचक बनाने के साथ मन मोह लेती हैं।आदिवासी संस्कृति से भी हों परिचित
विंध्याचल पर्वत शृंखला में 926 वर्ग किमी में फैले इस अभयारण्य में प्राकृतिक दृश्य बरबस ही आकर्षित करते हैं। यात्रा में आदिवासी समूहों की जीवनशैली और संस्कृति से परिचित होने का भी अवसर मिलता है। सफारी शुरू होने के दो माह में ही दो हजार से अधिक देसी-विदेशी पर्यटक रातापानी अभयारण्य की यात्रा कर चुके हैं।ऐसे पहुंच सकते हैं
भोपाल के गांधी नगर हवाई अड्डे से बरखेड़ा प्रवेश द्वार की दूरी 55 किलोमीटर है, जबकि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से यह मात्र 35 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। बरखेड़ा गेट नर्मदापुरम मुख्य मार्ग के ठीक सामने स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए भोपाल बस स्टैंड से हर 15 मिनट पर बस उपलब्ध रहती है।रेहटी नसरुल्लागंज मार्ग से आने वाले पर्यटक देहलावाड़ी से प्रवेश कर सकते हैं। भोपाल के कोलार मार्ग पर झिरी गेट से भी पहुंचा जा सकता है।हो चुकी हैं मप्र की कैबिनेट बैठकें
रातापानी अभयारण्य में दुर्लभ पक्षी शाकाहारी व मांसाहारी वन्य जीवों के साथ प्राकृतिक झरने और जलाशय भी स्थित हैं। कैरी महादेव का झरना वर्षाकाल में पूरे जोर पर होता है, जहां प्राकृतिक रूप से महादेव का अभिषेक होता है। वहीं, जलाशय में जलस्तर कम तो होता है लेकिन जल वर्षभर रहता है।यहां का शांत वातावरण और हरियाली मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इतनी पसंद है कि वह साल में कम से कम एक बार यहां परिवार सहित अवश्य आते हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री यहां तीन बार अपनी कैबिनेट की बैठक कर चुके हैं। पुरातत्विक विशेषज्ञ नारायण व्यास बताते हैं कि रातापानी अभयारण्य देश का इकलौता ऐसा स्थान है, जहां सभी चीजों का समावेश है।प्रकृति प्रेमी राजीव जैन व हाजी अब्दुल रहीम खान बताते हैं कि हमने अनेक स्थानों का भ्रमण किया, लेकिन रातापानी अभयारण्य में वह सब मौजूद है जिसे आम और खास भारतीय पसंद करते हैं। दूसरी और भोजपुर का शिव मंदिर और आशापुरी भी धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।रातापानी में वन्यजीव
- बाघ : 60
- चौसिंगा : 500 से अधिक
- भालू : 500 से अधिक
- भेड़िया : 20 से अधिक
- सांभर : 600 अधिक
- तेंदुए : 100 अधिक
- जंगली कुत्ते : लगभग 50 से 60
- इसके अलावा बड़ी संख्या में चिंकारा, नीलगाय, हिरण भी मिलते हैं।