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क्या I.N.D.I.A में बड़ी भूमिका निभाएंगे कमलनाथ? गठबंधन सरकार में मध्यस्थता के लिए क्या है संकेत

गांधी परिवार का करीबी होने के कारण कांग्रेस कमलनाथ को आगे करती और गठबंधन के दल भी उन पर भरोसा करते थे। इस बार कांग्रेस की अगुआई वाला आइएनडीआइए बहुमत से 38 सीटों की दूरी पर है। कांग्रेस के कई नेता इस बार बहुमत पाने वाले एनडीए के अन्य दलों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने की आस लगाए हुए हैं लेकिन इस परिदृश्य में कमलनाथ कहीं नहीं हैं।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 06 Jun 2024 11:45 PM (IST)
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कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, भोपाल। देश में कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए की सरकार की जब भी बात आई तो दिग्गज नेता कमलनाथ की भूमिका बड़े मध्यस्थ की रहती थी। गांधी परिवार का करीबी होने के कारण कांग्रेस कमलनाथ को आगे करती और गठबंधन के दल भी उन पर भरोसा करते थे। इस बार कांग्रेस की अगुआई वाला आइएनडीआइए बहुमत से 38 सीटों की दूरी पर है। कांग्रेस के कई नेता इस बार बहुमत पाने वाले एनडीए के अन्य दलों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने की आस लगाए हुए हैं, लेकिन इस परिदृश्य में कमलनाथ कहीं नहीं हैं।

इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला-बेहद प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में उनके बेटे नकुल नाथ चुनाव हार गए। दूसरा-लोकसभा चुनाव के पहले कमल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलें थीं। माना जा रहा है कि इस कारण गांधी परिवार का उन पर भरोसा कम हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर कमल नाथ की सक्रियता न के बराबर हो गई है। कभी कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कहा जाता था।

साल 2023 से ही बन रही थी पार्टी से दूरी 

राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी होने के साथ अच्छी छवि के कारण उन्होंने सरकार और संगठन में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। केंद्र में कांग्र्रेस कमजोर हुई तो पार्टी ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले कमलनाथ को मध्य प्रदेश भेज दिया। कांग्रेस की जीत के बाद वह मुख्यमंत्री भी बने। हालांकि, सरकार 15 महीने ही चल पाई। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से गांधी परिवार ने कमल नाथ से दूरी बनानी शुरू कर दी।

भाजपा में जाने की अटकलों ने भी बढ़ाई दूरी 

इस बीच लोकसभा चुनाव के पहले कमलनाथ और उनके बेटे नकुल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलों ने भी गांधी परिवार से उनकी दूरी बढ़ा दी। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से कांग्रेस में गुटबाजी थमी नहीं। सबसे ताकतवर माने जाने वाले कमल नाथ पार्टी में अकेले पड़ गए हैं। बुधवार को उन्होंने भावुक होकर कह भी दिया कि छिंदवाड़ा की जनता ने विदाई दी है और यह विदाई मैं स्वीकार करता हूं।

राहुल गांधी से संबंध सहज नहीं

दरअसल, मार्च 2023 में राज्यसभा चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी और कमल नाथ के बीच की खटास भी जगजाहिर हो गई, जो विधानसभा चुनाव हारने के बाद और बढ़ गई। राहुल गांधी की नाराजगी के बाद कमल नाथ को हटाकर जीतू पटवारी को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। वैसे भी, विधानसभा चुनाव हारने के बाद कमल नाथ का मन मध्य प्रदेश में नहीं लग रहा था।

कांग्रेस में भी अलग-थलग पड़े कमलनाथ

कांग्रेस में भी इन दिनों कमलनाथ अलग-थलग पड़ गए हैं। जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो रहा था, तब कमल नाथ का नाम भी अध्यक्ष की दौड़ में आगे बढ़ाया गया था। तब कमल नाथ ने यह सोचकर अपने कदम पीछे खींच लिए थे कि वह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बना लेंगे तो पार्टी में ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे, लेकिन परिणाम कुछ और हुआ। कांग्रेस हार गई। अब लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है।

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