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भोपालः नई डिवाइस से कम समय और लागत में हो सकेगी कोशिका की जांच, IISER के वैज्ञानिकों ने की तैयार

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आइसर) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व कंप्यूटर साइंस और केमिस्ट्री विभाग के विज्ञानियों को कोशिकाओं की सूक्ष्म जांच में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने इसके लिए माइक्रोफ्लुइडिक उपकरण तैयार कर लिया है। इसे इसकी लागत विशेष बनाती है क्योंकि वर्तमान में कोशिका जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों की कीमत एक करोड़ से अधिक होती है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Wed, 19 Jul 2023 07:01 PM (IST)
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भोपालः नई डिवाइस से कम समय और लागत में हो सकेगी कोशिका की जांच, IISER के वैज्ञानिकों ने की तैयार

अंजली राय, भोपाल। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आइसर) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व कंप्यूटर साइंस और केमिस्ट्री विभाग के विज्ञानियों ने कोशिकाओं की सूक्ष्म जांच के लिए माइक्रोफ्लुइडिक उपकरण तैयार किया है।

इस उपकरण को इसकी लागत विशेष बनाती है क्योंकि वर्तमान में कोशिकाओं की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों की कीमत एक करोड़ से अधिक होती है।

विज्ञानियों का कहना है कि बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन होने पर यह मशीन बाजार लगभग तीन हजार रुपये में ही उपलब्ध हो जाएगी। इस शोध का प्रकाशन वैज्ञानिक पत्रिका बायोमाइक्रोफ्लुइडिक्स में किया जा चुका है।

ऐसे काम करेगा उपकरण

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. शांतनु तालुकदार ने बताया कि इस उपकरण की मदद से मनुष्य के शरीर की पूरी एनाटामी ( संरचना) को समझा जा सकता है।

इसकी मदद से हर कोशिका को बारीकी से देखा जा सकता है। किसी भी तरह की बीमारी होने पर किसी खास कोशिका के छोटे से हिस्से पर काम भी किया जा सकता है।

कुल मिलायक ये उपकरण पूरा उसी तरह से काम करेगा जो काम अभी बेहद महंगी मशीनों से होता है।

50 माइक्रोन से छोटी सी एलिगेंस पर किया शोध

डॉ. तालुकदार ने बताया कि इस उपकरण की मदद से सी एलिगेंस पर शोध भी किया जा चुका है। सी एलिगेंस एक प्रकार का राउंडवर्म (एक प्रकार की कृमि) है, जिसकी एनाटामी लगभग मनुष्य के समान है।

आकार में 50 माइक्रोन से भी छोटा होने के कारण बाकी मशीनों की मदद से इस पर काम करना मुश्किल होता था, लेकिन इस उपकरण की मदद से इस कृति की पूरी एनाटामी को समझा जा सकता है।

ऐसे होगा परीक्षण

केमिस्ट्री विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रति शर्मा ने बताया कि इसे तैयार करने में ग्लास स्लाइड और पालीमर लेयर सहित अन्य चीजों का उपयोग किया गया है।

इस माइक्रोफ्लुइिडक उपकरण को पहले किसी माइक्रोस्कोप पर रखा जाएगा। इसमें छिद्र बने होते हैं। इन छिद्रों में से कोशिका द्रव्य डाला जाएगा । इसके बाद उसकी बारीकी से जांच की जा सकेगी।

हमारे लिए इस तरह उपयोगी

  • छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों का पता आसानी से लगाया जा सकेगा।
  • सस्ता होने के कारण हर जगह उपलब्ध हो पाएगा।
  • बीमारियों के इलाज में समय और पैसे की बचत होगी।

विज्ञानियों द्वारा तैयार किए गए इस उपकरण का उपयोग चिकित्सा विज्ञान में कारगर साबित होगा। यह सस्ता और उपयोगी साबित होगा। - शिवा उमापति, डायरेक्टर, आइसर

इस उपकरण का माइक्रोस्कोप में उपयोग कर कोशिका का परीक्षण कर सकेंगे। इसका उपयोग चिकित्सा और शोध संस्थानों में किया जा सकेगा। इससे लोगों की समय की बचत भी होगी। - डॉ. रति शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर,केमिस्ट्री विभाग

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