Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी को जरूर लगाएं मिश्री का भोग, पूजा करते समय इन बातों का भी रखें ध्यान
Shardiya Navratri 2nd Day नवरात्र का आज दूसरा दिन है इस दिन मां जगदम्बा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति में तप त्याग सदाचार संयम और वैराग्य जैसे गुणों की वृद्धि होती है।
By JagranEdited By: Babita KashyapUpdated: Tue, 27 Sep 2022 07:50 AM (IST)
भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्क। Shardiya Navratri 2nd Day:आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है, पंचांग के अनुसार आज आश्विन शुक्ल द्वितीया है तिथि है। इन नौ दिनों में मां जगदम्बा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
दूसरे दिन मां जगदम्बा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने का विधान है। ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाला। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्या करने वाली।
मां जगदम्बा का ब्रह्मचारिणी रूप बहुत ही शांत, सौम्य और तेजस्वी है। मां ब्रह्मचारिणी के दांये हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। भगवान शिव से विवाह करने की प्रतिबद्धता के कारण माता पार्वती को ब्रह्मचारिणी कहा जाता था।
मां ब्रह्मचारिणी पूजन का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी ही हैं जो व्यक्ति को मार्ग दिखाती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों की वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है।मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को हमेशा अपने काम में सफलता मिलती है। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी दुनिया में ऊर्जा प्रवाहित करती हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इस विधि से करें मां का पूजन
इस दिन सुबह जल्दी उठकर जल्दी स्नान कर लें। साफ कपड़े पहनें। फिर पूजा स्थल पर गंगाजल डालकर शुद्ध करें। इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। फिर मां जगदम्बा की मूर्ति का गंगा जल से अभिषेक करें।माता से प्रार्थना करें। उन्हें अक्षत, सिंदूर चढ़ाएं। देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद और सुगंधित फूल अर्पित करने चाहिए। मां को मिश्री या सफेद रंग की मिठाई खिलाएं और फल अर्पित करें। इसके बाद माता की आरती करें।इन मंत्रों से करें मां की आराधना
दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।ऊं भूर्भुवः स्वः ब्रह्मचारिणी। इहागच्छ इहतिष्ठ। ब्रह्मचारिण्यै नमः। ब्रह्मचारिणीमावाहयामि स्थापयामि नमः। पाद्यादिभिः पूजनम्बिधाय।।वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्। जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥ परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥ब्रह्मचारिणी मां की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो।ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।जय गायत्री वेद की माता।जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।कमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुख सहने न पाए।उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने।रुद्राक्ष की माला ले कर।जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।आलस छोड़ करे गुणगाना।मां तुम उसको सुख पहुंचाना।ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी।यह भी पढ़ें-Navratri 2022: मां ब्रह्मचारिणी का नाम कैसे पड़ा उमा, जिनकी तपस्या से तीनों लोकों में मच गई थी त्राहि-त्राहिNavratri 2022: संपूर्ण पृथ्वी को कहा जाता है माता का मायका, शैलपुत्री के रूप में क्यों होती है मां की पूजा