Madhya Pradesh News: एमपी में 35 मुस्लिम परिवारों के 190 लोग बने सनातनी, फिर दोहराया 200 साल पुराना इतिहास
Madhya Pradesh News देवास मध्य प्रदेश में देवास जिले के अंतिम छोर पर स्थित नर्मदा नदी के तट पर सिद्धक्षेत्र नेमावर में 35 मुस्लिम परिवारों के 190 लोगों ने संत समाज की उपस्थिति में सनातन धर्म में वापसी की। इन लोगों ने नर्मदा स्नान मुंडन हवन कर यज्ञोपवीत धारण किया। चार पीढ़ी पहले इन लोगों के पूर्वज मतांतरित होकर मुस्लिम हो गए थे।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 01 Aug 2023 06:02 AM (IST)
जेएनएन, देवास। मध्य प्रदेश में देवास जिले के अंतिम छोर पर स्थित नर्मदा नदी के तट पर सिद्धक्षेत्र नेमावर में 35 मुस्लिम परिवारों के 190 लोगों ने संत समाज की उपस्थिति में सनातन धर्म में वापसी की। इन लोगों ने नर्मदा स्नान, मुंडन, हवन कर यज्ञोपवीत धारण किया। चार पीढ़ी पहले इन लोगों के पूर्वज मतांतरित होकर मुस्लिम हो गए थे। इसके बावजूद ये लोग कुलदेवी चामुंडा मां को ही मानते थे।
घरों में कुलदेवी का पूजन होता था। सनातन परंपरानुसार विवाह आदि की रस्में संपन्न करते थे। जामनेर गांव में रह ये लोग मदारी का काम करते थे। इनके परिवारों की नई पीढ़ी ने पूजा-अर्चना की परंपरा देख संत समाज से घर वापसी के लिए सहयोग मांगा था।
घर वापसी पर मोहम्मद शाह (अब परिवर्तित नाम राम सिंह) ने कहा कि उनके पूर्वज भले ही परिस्थितिवश मुस्लिम हो गए थे, पर हमारे रक्त में सनातनी संस्कार ही प्रवाहित हो रहे हैं। संत आनंदगिरि महाराज ने बताया कि ये लोग मूलरूप से रतलाम जिले के आंबा गांव के निवासी हैं।
इनके पूर्वज सनातनी थे। ये भालू या अन्य वन्यजीवों का खेल दिखाकर परिवार का भरणपोषण करते थे। चार वर्ष पूर्व इनके परिवार के लोगों ने घर वापसी के लिए संपर्क किया था। सोमवार को इन लोगों की विधिवत घर वापसी कराकर नामकरण किया गया।
हो रही थी घुटन: घर वापसी करने वाले लोगों ने कहा कि मतांतरण के बावजूद परिवार ने सनातनी संस्कृति अपनाए रखी। कुलदेवी की पूजा करते रहे। शादी समारोह आदि भी सनातन संस्कार के अनुरूप होते रहे। इससे मुस्लिम समाज हम लोगों को उपेक्षित भी करता था। ऐसे में वहां बहुत घुटन महसूस होती थी।
चामुंडा मां की करते थे पूजा
इतिहासकार दिलीप सिंह जाधव कहते हैं कि करीब दो सौ साल पहले भी इस क्षेत्र में मुस्लिम जमींदारों का वर्चस्व था। उस समय धुमंतू जातियों के तमाम लोगों को जबरिया मतांतरित कराया गया था। फिर भी मतांतरित लोग अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते रहे हैं।
देवास की माता टेकरी पर तुलजा भवानी और चामुंडा माता विराजित हैं। तब देवास से तीन-चार सौ किलोमीटर की परिधि के लोग कुलदेवी के रूप में चामुंडा माता की पूजा करते थे। मुगल शासनकाल के बाद यहां अंग्रेज आए, लेकिन इसके बाद भी यहां मुस्लिम जमींदार हावी रहे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।