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धार की भोजशाला को लेकर हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई, 98 दिनों की खुदाई का खुलेगा राज

Bhojshala ASI Survey धार में भोजशाला सर्वेक्षण मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। कोर्ट एएसआई के सर्वेक्षण रिपोर्ट खोलेगी जिसमें 98 दिनों की खुदाई का विवरण है। ऐसे में सोमवार को पता चलेगा कि रिपोर्ट में क्या है। इधर मामले से जुड़े पक्षकारों का दावा कर रहे हैं कि सर्वे में एएसआई को भोजशाला वाग्देवी (सरस्वती देवी) के मंदिर होने के पक्के सबूत मिले हैं।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 22 Jul 2024 12:05 AM (IST)
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कोर्ट सोमवार को एएसआई की ओर से दाखिल रिपोर्ट को खोलेगी। (File Image)

जेएनएन, इंदौर। मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला मामले में सोमवार को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी। भोजशाला परिसर में 98 दिन चले सर्वे के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बंद लिफाफे में 15 जुलाई को हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कोर्ट सोमवार को इन लिफाफों को खोलेगी।

इसके बाद ही अधिकृत रूप से पता चलेगा कि रिपोर्ट में क्या है। हालांकि, मामले से जुड़े पक्षकार दावा कर रहे हैं कि सर्वे में एएसआई को इस बात के पक्के साक्ष्य मिले हैं कि भोजशाला वाग्देवी (सरस्वती देवी) का मंदिर ही है। एएसआई को वहां की खोदाई में देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मिली हैं। इसके अलावा स्तंभों की जांच भी स्पष्ट कह रही है कि वे मंदिर के स्तंभ हैं।

सुप्रीम कोर्ट में भी होनी है सुनवाई

सर्वे में भोजशाला के परमारकालीन होने की भी पुष्टि हुई है। दरअसल, हाई कोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह सर्वे रिपोर्ट कोर्ट के पटल पर रखने के साथ ही इस रिपोर्ट की एक-एक प्रति मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को उपलब्ध करवाए। भोजशाला मामले में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से प्रस्तुत आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है। मप्र हाई कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को एएसआई को आदेश दिया था कि वह भोजशाला का सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक से किया था इंकार

मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल 2024 को आदेश दिया था कि सर्वे पर रोक नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं करेगा। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस एक अप्रैल के इस अंतरिम आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

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