बारिश के मौसम में देश के दिल में बसा मांडू न देखा तो क्या देखा, यहां वादियों में गूंजती हैं तिलिस्मी प्रेम कहानियां
अगर आपके मन में गहरी शांति अनुभव करने और प्रकृति का अपूर्व सौंदर्य निहारने का मन हो तो फिर मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित मांडू से बेहतर और क्या होगा। गहरी घाटियां उत्तुंग पहाड़ और उनमें से बहते झरने तो यहां बाहें फैलाए आपका स्वागत करते ही हैं। प्रदेश में फैली विंध्याचल पर्वतमाला के पहाड़ों में बसा मांडू देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है।
ईश्वर शर्मा, धार। अगरचे आपके मन में गहरी शांति अनुभव करने और प्रकृति का अपूर्व सौंदर्य निहारने का मन हो, तो फिर मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित मांडू से बेहतर और क्या होगा। गहरी घाटियां, उत्तुंग पहाड़ और उनमें से बहते झरने तो यहां बाहें फैलाए आपका स्वागत करते ही हैं, किंतु यहां की वादियों में गूंजने वाली रानी रूपमती के प्रेम की तिलिस्मी कहानियां भी आपको एक अलग दुनिया में ले जाती हैं।
रानी रूपमती महल मोहक दृष्यों से पर्यटकों को करवाता है रूबरू
मध्य प्रदेश में फैली विंध्याचल पर्वतमाला के पहाड़ों में बसा मांडू देश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। यह कई मायनों में देश के अन्य पर्यटन स्थलों से बहुत अलग है। यहां ना तो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों जैसा भारी भीड़-भड़क्का है, ना ही दक्षिण भारत के ऊटी या मुन्नार जैसी परेशान करने वाली उमस।
बारिशों के मौसम में तो यहां जैसे पूरी घाटी एयर कंडीशंड हो जाती है। घने वन के बीच बनी सर्पीली घुमावदार सड़कों से होते हुए यहां तक आना जीवन के श्रेष्ठ अनुभवों में से एक हो सकता है। ...तो वर्षा के इस सीजन में जरा अपने जूतों के फीते बांधिए, मन में कुछ नया देखने का मनसूबा सजाइए और अपूर्व अनुभव का आनंद लेने के लिए मांडू चले आइए।
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से महज 99 किलोमीटर दूर बसा प्रकृति का यह सगा बेटा मांडू, इस वर्षा के सीजन में आपको बुला रहा है। यहां न तो पहाड़ धंसने का डर है, न नदियों में अचानक बाढ़ आने का भय। यहां पर्यटकों से अंतहीन वसूली का खेला भी नहीं, तो यहां सड़क पर पर्यटकों की गाड़ियों से लगे जाम में फंसकर अपना आनंद खो देने की आशंका भी नहीं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।वर्षाकाल में देखने को बनती है इसकी छटा
यहां तो प्रकृति सावन की मद्धम फुहारों के बीच, सुबह-शाम के हल्के झुटपुटे में आपको वह आनंद दे सकती है, जो आपके रोम-रोम को पुलकित कर सकता है। एक बार अगरचे किसी ने मांडू को दिल भरकर देख लिया, तो फिर मांडू उसके दिल से कभी जाने वाला नहीं।वास्तुशिल्प की वजह से देश-दुनिया में ख्यात
दुनिया में कम ही हैं मांडू जैसी जगहें
यूं तो जमाना पर्यटन स्थलों से भरा पड़ा है, किंतु मांडू उस भीड़ से अलग एकांत का नीरव स्वर लिए आपको बुलाता है। आप चाहे यहां स्थित जहाज महल को देखें या हिंडोला महल को, नीलकंठ महादेव के दर्शन करें या रानी रूपमती के महल से सुदूर चांदी की पतली लकीर जैसी धवल दिखाई देती मां नर्मदा की जलधारा को देखें, यह सबकुछ आपको चकित करते हुए रोमांच से भर सकता है। यहां प्राकृतिक इको पाइंट भी हैं, जहां आप जो भी शब्द बोलेंगे, उस ध्वनि को यहां की पहाड़ियां दोगुना-तिगुना करके फिर लौटा देंगी और आपको सुनाई देगी अपने ही शब्दों की रहस्यमयी अनुगूंज। यदि आप यहां प्रकृतिस्थ होना चाहते हैं, तो सैकड़ों तरह की वनस्पतियों से भरे वन आपको लुभाएंगे। किंतु यदि आप इतिहास में डूबना चाहते हैं, तो लोहानी की रहस्यमय गुफाएं, नहर झरोखा और सोनगढ़ किला जैसे संरचनाएं रोमांचित कर देंगे।मानसून में पल-पल बदलता है मौसम
यदि आप अकेले आ रहे हैं, तो यहां जैसा सुकून कहीं और नहीं, लेकिन यदि परिवार के साथ आ रहे हैं, तो घूमने-फिरने, फोटो खिंचवाने और यादें समेटने का इससे बेहतर स्थल नहीं। यदि आप लोक-जीवन देखने के शौकीन हैं तो यहां के ग्रामीण चेहरों में आपको भारत की असल झलक दिखेंगी। यदि आप ग्राम्य खानपान के शौकीन हैं, तो पेड़ के पत्तों में रखकर सुर्ख अंगारों पर सेंके गए दाल-पानिए आपकी जीभ को इस सृष्टि के सबसे लौकिक भोजन का आनंद देंगे। दरअसल, मांडू हमेशा के लिए आपके जहन में बस सकता है। बस देर है तो एक बार यहां आने और इसका दोस्त बन जाने की।एक दिन भी बहुत और जिंदगी गुजार लो तो भी कम
मांडू अपनेआप में ऐसा अनूठा पैकेज है कि यह सबके शेड्यूल में फिट हो जाता है। यदि आपके पास घूमने को केवल एक दिन हो, तो पूरे मांडू को एक दिन में भी देखकर लौटा जा सकता है। किंतु यदि आपके पास गीतकार गुलजार के अंदाज में दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात-दिन वाला खूब समय हो, तो यहां जिंदगी गुजारना भी कम लग सकता है। मांडू का सौंदर्य देखने वाले की आंख पर निर्भर करता है। यदि देखने वाले की आंख में आकाश है, तो फिर मांडू अनंत है, लेकिन यदि आंख में अगले दिन की रिटर्न टिकट दिख रही है, तो यह सुबह से शाम तक में भी आपके आनंद की झोली भर सकता है।ऐसे पहुंचें मांडू
देश के मध्य में स्थित होने के कारण मांडू तमाम राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह मप्र की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के पास है। यहां इस तरह पहुंचा जा सकता है।- हवाईजहाज से : समीपस्थ हवाई अड्डा इंदौर में है। यहां से सड़क मार्ग से 99 किलोमीटर की दूरी पर मांडू स्थित है। यहां दिल्ली (862 किमी), मुंबई से (559 किमी), जयपुर (607 किमी), हैदराबाद (852 किमी), अहमदाबाद (331 किमी), नागपुर (530 किमी), रायपुर (806 किमी) व कोलकाता (1692 किमी) से नियमित उड़ानें हैं।
- रेलमार्ग से : दिल्ली-मुंबई मुख्य रेल लाइन पर मांडू से सबसे समीपस्थ रेलवे स्टेशन रतलाम (124 किमी) है। रतलाम पश्चिम रेलवे का प्रमुख जंक्शन है। दिल्ली-मुंबई रूट की सभी ट्रेनें यहां रुकती हैं।
- सड़क मार्ग से : मांडू इंदौर, रतलाम, धार आदि शहरों से अच्छे सड़क नेटवर्क द्वारा जुड़ा हुआ है। इंदौर से टैक्सी, निजी वाहन या नियमित बस सेवा से जाया जा सकता है। सड़क मार्ग से इंदौर से धार और धार से मांडू जाना होगा। महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आने वाले श्रद्धालु एक दिन मांडू के लिए निकाल सकते हैं क्योंकि उज्जैन से मांडू महज 154 किमी दूर है।
- बाइक से : यदि आपकी उम्र और हौसला इजाजत दे, तो इंदौर से किराये की बाइक लेकर मांडू देखना अलग ही अनुभव हो सकता है। रिमझिम फुहारों के बीच हरियाली के बीच से गुजरी सड़क से होकर मांडू जाना और वहां थकने पर गरमागरम दाल-पानिये खाना आपको स्वर्ग की नई परिभाषा सिखा सकता है।