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सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, धार भोजशाला में सर्वे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज

धार की भोजशाला में एएसआई ने आज सुबह सर्वे शुरू कर दिया है। दोपहर 12 बजे तक सर्वे का काम पूरा कर लिया जाएगा। सर्वे के बाद जुमे की नमाज की तैयारी की जाएगी। शुक्रवार होने के कारण भोजशाला में मुस्लिम समाज को नमाज की अनुमति होती है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी जिसे खारिज कर दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Fri, 22 Mar 2024 11:08 AM (IST)
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हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने भोजशाला में पूजा का अधिकार देने की मांग के साथ याचिका दाखिल की थी।
जेएनएन, धार। हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक परमारकालीन भोजशाला में शुक्रवार (22 मार्च) की सुबह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की टीम वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे को लेकर एएसआइ, जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया था। सर्वे के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के लिए परिसर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात है।

भोजशाला को माता वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर बताते हुए हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने वहां हिंदू समाज को पूजा का अधिकार देने की मांग के साथ याचिका दाखिल की थी।

Live Updates:

  • मुस्लिम पक्ष द्वारा सर्वे पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है।
  • अभी चार याचिकाएं चल रही हैं। सर्वे आज सुबह 6 बजे शुरू हुआ। रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट को सौंपी जाएगी। अगली सुनवाई 29 अप्रैल को है: वकील श्रीश दुबे
  • सर्वे का लगभग एक घंटा पूरा हो चुका है।
  • फिलहाल यह तय किया जा रहा है कि किस तरह से सर्वे की प्रक्रिया को आगे जारी रखा जाएगा।
  • शुक्रवार होने के कारण भोजशाला में मुस्लिम समाज को नमाज की अनुमति होती है।
  • माना जा रहा है कि दोपहर 12 तक सर्वे का प्रथम चरण पूरा कर लिया जाएगा।
  • दोपहर 1 से 3 बजे तक नमाज अदा होने के बाद फिर से सर्वे का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा।

सदियों पुराना विवाद

भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं, जबकि अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। संगठन की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कोर्ट में कहा था कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं, वह साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।

हिंदुओं को यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है और यह अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एएसआइ को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। टीम को छह सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था। आदेश के 11 दिन बाद सर्वे शुरू हो रहा है। ऐसे में एएसआइ को सर्वे पूरा करने के लिए सिर्फ साढ़े चार सप्ताह मिलेंगे। उसे 29 अप्रैल को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

हर चल-अचल वस्तु की होगी जांच

11 मार्च 2024 को दिए आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर एएसआइ को लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए उसे कुछ अन्य जांच करनी है तो वह परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें कर सकता है। एएसआइ भोजशाला स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवारें, खंभों, फर्श की जांच करेगा। जांच में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। परिसर स्थित हर वस्तु की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि वह कितनी पुरानी है।

हाईकोर्ट ने भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) व जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से करने को कहा है। जीपीआर में लगे रडार से जमीन में छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तरों, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।

सर्वे में मिले थे विष्णु और कमल चिह्न

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया था कि वर्ष 1902-03 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। फोटोग्राफ के साथ रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत है। फोटोग्राफ में भगवान विष्णु और कमल चिह्न परिसर में स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है।

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