Ganesh Chaturthi 2024: हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बना चार सौ साल पुराना गणेश मंदिर, बनने में लगे 35 साल; पढ़ें इसकी खासियत
मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर की तरह है सागर में भी करीब 400 साल पुराना गणेश मंदिर है। यह मंदिर शिवाजी कालीन है। भारत के दूसरे गणेश मंदिर के रूप में मशहूर इस मंदिर के गर्भ गृह का निर्माण आठ कोणों में हुआ है। इसी पद्धति पर सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई का भी निर्माण हुआ है। सन 1600 में यहां खोदाई के दौरान भगवान गणेश की यह मूर्ति मिली थी।
जागरण न्यूज नेटवर्क, सागर। मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर की तरह है सागर में भी करीब 400 साल पुराना गणेश मंदिर है। यह मंदिर शिवाजी कालीन है। भारत के दूसरे गणेश मंदिर के रूप में मशहूर इस मंदिर के गर्भ गृह का निर्माण आठ कोणों में हुआ है। इसी पद्धति पर सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई का भी निर्माण हुआ है। सन 1600 में यहां खोदाई के दौरान भगवान गणेश की यह मूर्ति मिली थी। इसीलिए इन्हें स्वयंभू गणेश भी कहा जाता है।
1640 में पूरा हुआ, बनने में लगे 35 साल
पूरे पैंतीस साल में महाराष्ट्र के कारीगरों ने 1640 में इस मंदिर को बनाकर तैयार किया। ये वो दौर था जब शिवाजी महाराज का परचम लहराया करता था। इसके बाद मराठाकाल में बाजीराव के साम्राज्य में इस मंदिर का स्वर्णिम दौर रहा। यहां बुंदेलों और मराठों का इतिहास लिखा गया जो नागपुर में आज भी सुरक्षित है।चार सौ साल बाद भी मराठा गणेश महादेव मंदिर की भव्यता बरकरार है। मंदिर में लगे संस्कृत अभिलेख में मराठा शासकों द्वारा इसकी स्थापना का उल्लेख है। परिसर में 350 साल पुराना राधाकृष्णजी का भी प्राचीन मंदिर है।
मुगल काल के दौरान लाया गया था शिवलिंग
यहां के शिवलिंग के बारे में पुजारी ने बताया कि मुगल काल के दौरान रामेश्वर से यह शिवलिंग यहां लाकर स्थापित किया गया था।काफी पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने एक अभिमंत्रित लोहे की कील गणेशजी के सिर पर ठोकी, जो आज भी प्रतिमा में देखी जा सकती है। इसके बाद प्रतिमा उसी लंबाई में है। यहां गणेशजी को सिर्फ सिंदूर और पीले फूल ही अर्पित किए जाते हैं।
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