MP News: 'यहां के नटवरलाल तुम हो', अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से की धोखाधड़ी तो जमकर लगी फटकार
MP High Court News एक अधिवक्ता द्वारा जमानत याचिकाओं में फर्जी लोगों के हलफनामे दायर किए जा रहे हैं। अधिवक्ता ने गलत तरीके से चेंज ऑफ काउंसिल का आवेदन करने और जमानत याचिकाओं में फर्जी लोगों के हलफनामे लगाए। शासकीय अधिवक्ता अजय निरंकारी ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने जस्टिस आर्या को इस गड़बड़ी के बारे में बताया तो जस्टिस ने अधिवक्ता की जमकर फटकार लगाई।
जेएनएन, ग्वालियर। MP High Court News मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ में आज एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई। यहां एक अधिवक्ता द्वारा जमानत याचिकाओं में फर्जी लोगों के हलफनामे दायर किए जा रहे हैं। दरअसल, अधिवक्ता अशोक जैन पर ये आरोप लगे हैं। उन्होंने गलत तरीके से चेंज ऑफ काउंसिल का आवेदन करने और जमानत याचिकाओं में फर्जी लोगों के हलफनामे लगाए।
जस्टिस आर्या ने जताई नाराजगी
शासकीय अधिवक्ता अजय निरंकारी ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने जस्टिस आर्या को इस गड़बड़ी के बारे में बताया तो जस्टिस ने अशोक जैन की जमकर फटकार लगाई। न्यायिक प्रणाली को शर्मसार करने वाली इस घटना पर गुस्साए जस्टिस आर्या ने कहा कि ‘एक वो नटवरलाल हुआ करता था, यहां के नटवरलाल तुम हो।
तुम अधिवक्ताओं पर कलंक हो...
जस्टिस आर्या ने कहा कि अधिवक्ता होकर ऐसी हरकत करते हो आपको शर्म नहीं आती है? ऐसी हरकत पर तो चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता जैन को लताड़ते हुए यह भी कहा कि ‘तुम्हें पैसे का कितना लालच है जिसने तुम्हें अंधा कर दिया है। तुम अधिवक्ताओं पर कलंक हो’।जज की फटकार के बीच अधिवक्ता अपनी सफाई देता रहा लेकिन फिर भी हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ आदेश दे दिए। हाईकोर्ट के उनके प्रत्येक हलफनामें को वैरीफाई करने के लिए आदेश दिया है, साथ ही यह भी कहा है कि अगर किसी क्रिमिनल अपील में यह हलफनामा दायर करते हैं तो उनको संबंधित थाने में जाकर हलफनामे में बताए व्यक्ति का वेरिफिकेशन करवाना होगा। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश शुक्ला ने भी आगामी सुनवाईयों में हलफनामा दायर करने वाले हर व्यक्ति का थाने में वैरिफाई करवाए जाने की बात कही।
जेल में जाकर वकालतनामे पर करवाते थे हस्ताक्षकर
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता जैन पर कोर्ट में मौजूद अन्य अधिवक्ताओं ने कई आरोप लगाए। अधिवक्ताओं ने काह कि यह आए दिन जेल जाकर कैदियों से मिलते हैं और उन्हें फुसलाकर वकालतनामे पर हस्ताक्षर करवा लाते हैं।उसके बाद दूसरे दिन हाईकोर्ट में आकर चेंज ऑफ काउंसिल का आवेदन दर्ज कर देते हैं जिसके लिए वह संबंधित वकील से एनओसी भी नहीं लेते हैं। हाल ही में पैरोल पर आए एक अपराधी के साथ भी उन्होंने ऐसा ही किया था।
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