'संगिनी' सुगम करेगी दृष्टिहीनों, बुजुर्गों व दिव्यांगों की राह, टक्कर से बचाएगा 'सहारा'
मध्य प्रदेश के इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के पूर्व विज्ञानी ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है। उन्होंने दृष्टिहीन बुजर्गों व दिव्यांगों के लिए रिचार्जेबल छड़ियां बनाई हैं। ये छड़ी दिव्यांगो बुजुर्गों और दृष्टिहीनों की राह सुगम करेगी। इन छड़ियों में खासियत भी हैं। तीनों ही छड़ियां रिचार्जेबल हैं और इनमें सी पोर्ट टाइप चार्जिंग पाइंट लगाया गया है।
इंदौर। दिव्यांगो, बुजुर्गों और दृष्टिहीनों की राह सुगम करने के लिए इंदौर के एक विज्ञानी ने ऐसी छड़ियां बनाई हैं, जो न केवल चलने के दौरान मददगार होंगी, बल्कि इन्हें कई बाधाओं से भी बचाएगी। ये छड़ियां आपातकालीन स्थिति में भी अपने धारक को सुरक्षा देंगी। तीनों ही छड़ियां रिचार्जेबल हैं और इनमें सी पोर्ट टाइप चार्जिंग पाइंट लगाया गया है। ऐसे में ये मोबाईल के चार्जर से भी चार्ज की जा सकती हैं।
चार दिन तक चलेगी बैटरी
एक बार चार्ज करने पर बैटरी चार दिन तक चलती है। पोर्टेबल सोलर सिस्टम के जरिए भी इन्हें चार्ज किया जा सकता है। इन छड़ियों का कुल वजन 200 से 300 ग्राम है। भविष्य में इनमें कैमरा भी जोड़ा जाएगा। राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र इंदौर के पूर्व विज्ञानी संजय खेर व उनकी टीम ने इन छड़ियों को तैयार करने के बाद प्रयोग के लिए कुछ संस्थानों को सौंपा है। इसके परिणाम बेहतर मिले है।
पहली छड़ी संगिनी: हाथ फ्रीज होते ही बजेगा अलार्म
बुजुर्गों में पार्किंसन की समस्या आम है। कई बार चलने के दौरान उनके हाथ फ्रीज या कठोर हो जाते हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं होता। इस समस्या से निपटने के लिए यह विशेष छड़ी तैयार की गई है, जिसे 'संगिनी' नाम दिया गया है।छड़ी में लगा टाइमर
फ्रीज डिटेक्शन सिस्टम से लैस इस छड़ी में टाइमर लगाया गया है। यदि हाथ फ्रीज होता है, तो 20 सेकेंड में यह सिस्टम इसका पता लगा लेगा और छड़ी में मौजूद अलार्म बजने लगेगा। इस छड़ी में लेजर लाइट भी लगाई गई है, जो बुजुर्गों को गड्ढों से बचाएगी। साथ ही रात में चलने के दौरान सुविधा देने के लिए एक टॉर्च भी लगाई गई है। इसके अलावा इसमें एक पैनिक बटन भी लगाया गया है, जो आपाताकालीन स्थिति में बुजुर्गों की मदद करेगा।
दूसरी छड़ी में सोनार सेंसर: ठोकर से बचाएगी
यह छड़ी दृष्टिबाधित और दृष्टिहीनों को टक्कर और ठोकर से बचाएगी। इसे सहारा नाम दिया गया है। इसमें सोनार नामक सेंसर लगाया गया है। यह चलने के दौरान सामने आनी वाली बाधाओं को भांप लेता है। चलने के दौरान सामने कोई वस्तु या व्यक्ति आता है तो सेंसर इसका पता लगा लेगा और तुरंत बजर बजने लगेगा। जैसे-जैसे व्यक्ति आगे बढ़ेगा और बाधा के नजदीक पहुंचता जाएगा, यह बजर और तेज होता जाएगा। सेंसर को एक फीट से लेकर 20 फीट तक की दूरी के लिए सेट किया जा सकता है। इस छड़ी में भी पैनिक बटन दिया गया है।तीसरी छड़ी में साउंड नेविगेशन सिस्टम: राह के रोड़ों से बचाएगी
यह छड़ी भी माइक्रो कंट्रोलर बेस्ड सोनार सेंसर से लैस है। यह सेंसर सामने आने वाले अवरोधों की पहचान करेगा और जिस बुजुर्ग के हाथ में यह छड़ी है, उसे अलर्ट कर देगा, ताकि वह किसी अवरोध से टकरा न जाए। इस छड़ी में साउंड नेविगेशन सिस्टम के साथ ही बुजुर्गों के लिए मददगार बटन भी दिए गए हैं।
राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के पूर्व विज्ञानी संजय खेर ने कहा कि कई बुजुर्गों और दिव्यांगों को चलने के दौरान आने वाली समस्याओं से जूझते देखा तो इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई वैज्ञानिक उपकरण तैयार करने का विचार आया। इसी के परिणाम स्वरूप ऐसी छड़ियां बनाई।उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने के साथियों के साथ लगातार प्रयोग किए और उनमें सुधार करते चले गए। अब ये छड़ियां प्रयोग के लिए कुछ संस्थानो को दी गई है जहां दृष्टिहीनों और बुजुर्ग इसका उपयोग कर रहे हैं।
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