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Ganesh Chaturthi 2024: यहां गणेश जी को चिट्ठी भेजते ही मनोकामना होती है पूरी, 700 साल पुरानी है प्रतिमा

Ganesh Chaturthi 2024 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। भगवान गणेश को बुद्धि समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था। जानिए इंदौर के प्राचीन भगवान गणेश जी के मंदिर की महिमा।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sat, 07 Sep 2024 10:34 AM (IST)
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श्री चिंताहरण खड़े गणेश मंदिर, रावजी बाजार , जूनी इंदौर। (फोटो- जेएनएन)
जेएनएन, इंदौर। आज देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। राजस्थान के कोटा के विश्व प्रसिद्ध खड़े गणेश मंदिर की तरह ही इंदौर के रावजी बाजार में 700 वर्ष पुरानी खड़े गणेश की नृत्य मुद्रावाली पांच फीट ऊंची प्रदेश की एकमात्र मूर्ति है। चिंताहरण गणेश के नाम से प्रसिद्ध खड़े गणेश की यह मूर्ति 300 वर्ष पुराने मंदिर में विराजमान है।

नृत्य मुद्रा में विराजित गजानन

आमतौर पर गणेश मंदिरों में भगवान गणेश के बैठे हुए स्वरूप के दर्शन होते हैं, लेकिन यहां वे नृत्य मुद्रा में विराजित हैं। मूर्ति का निर्माण उस समय हर माह पुष्य नक्षत्र आने पर ही कारीगर द्वारा किया गया था। मंदिर की वर्तमान इमारत का निर्माण जमींदार परिवार द्वारा इंदौर स्थापना के कुछ अरसे पश्चात हुआ था।

मनोकामना पूर्ति के लिए सात परिक्रमा

चांदी के आवरण वाले गर्भगृह में लोग घरों में होने वाले मांगलिक कार्यों के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु यहां तीन या सात परिक्रमा लगाते हैं। मंदिर ट्रस्ट के सचिव राजेंद्र व्यास बताते हैं कि पुराने दौर मे पिछले बड़े दरवाजे के पास से कलकल बहती कान्ह नदी इसे शोभायमान बनाती थी।

गणनायक के नाम चिट्ठी

पहले पुजारी ब्रह्मलीन पं. शालिग्राम शास्त्री (पुराणिक) कहते थे कि शयन आरती के दौरान भक्तों को गणेश नृत्य मुद्रा की अनुभूति होती थी। श्रद्धालु गणनायक के नाम चिट्ठी भेजते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है। गणेश व्रत संकल्प पूर्ण होने पर अनुष्ठान होता है। भक्त कलावा बंधवाकर ग्रहण करते हैं प्रसाद भक्त मंडल के निलेश तिवारी बताते हैं कि विवाह तथा उपनयन संस्कार की पत्रिका यहां भी प्रेषित की जाती है।

बुधवार को विशेष पूजा

गणपति के आशीर्वाद से सभी मांगलिक कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। भक्त कलावा बंधवाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। गर्भगृह में प्रवेश हेतु नियम पालन आवश्यक है। बुधवार और प्रतिमाह की चतुर्थी पर विशेष साज-सज्जा होती है। हार-फूल के साथ पान के पत्ते भोग स्वरूप अर्पित किए जाते हैं। यहां से बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन की दूरी दो-ढाई किलोमीटर है।

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