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Indore News: इंदौर शहर के स्वच्छता और धूल मुक्त होने का दिखने लगा असर, आधी हो गई सांस की बीमारी

विशेषज्ञ इसकी बड़ी वजह स्वच्छता को मानते हैं क्योंकि अब इंदौर की सड़कों पर कहीं धूल नहीं उड़ती है। स्वास्थ्य विभाग के गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के आकड़ों के मुताबिक इंदौर में क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)/अस्थमा के वर्ष 2021-22 में 278 मरीज मिले थे। यह संख्या 2023-24 में घटकर 150 हो गई है। बच्चों में अस्थमा के मामलों में भी कमी आई है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Sun, 02 Jun 2024 10:30 PM (IST)
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स्वच्छता में लगातार सात बार देश में नंबर वन शहर रहा इंदौर स्वास्थ्य को लेकर भी कीर्तिमान बना रहा है।

विनय यादव, जागरण, इंदौर। स्वच्छता में लगातार सात बार देश में नंबर वन शहर रहा इंदौर स्वास्थ्य को लेकर भी कीर्तिमान बना रहा है। निरंतर साफ-सफाई और कचरे के व्यवस्थित निस्तारण का प्रभाव है कि श्वसन संबंधी बीमारियों में कमी आने लगी है। बीते तीन वर्षों में सांस से जुड़ी बीमारी के मामलों में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है।

विशेषज्ञ इसकी बड़ी वजह स्वच्छता को मानते हैं, क्योंकि अब इंदौर की सड़कों पर कहीं धूल नहीं उड़ती है। स्वास्थ्य विभाग के गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के आकड़ों के मुताबिक, इंदौर में क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)/अस्थमा के वर्ष 2021-22 में 278 मरीज मिले थे। यह संख्या 2023-24 में घटकर 150 हो गई है। बच्चों में अस्थमा के मामलों में भी कमी आई है।

इंदौर नगर निगम स्वच्छता में ही नहीं बल्कि 2023 के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में भी देश में पहले स्थान पर रहा है। नगर निगम ने शहर को धूल मुक्त बनाने के अभियान में ऐसे कारण चिह्नित कर उन्हें दूर किया, जिनकी वजह से शहर में धूल उड़ती थी, जो श्वांस संबधी रोगों का कारण बनती थी।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक, सफाई के दौरान शहर में धूल न हो, इसके लिए आधुनिक मशीनें चल रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रहे हैं। यहीं कारण है कि प्रदूषण कम हो रहा है। हरियाली भी बढ़ा रहे हैं।

इन प्रयासों से धूल मुक्त हुआ शहर

  • सड़कों की मैकेनाइज्ड स्वीपिंग पद्धति से लगातार सफाई, जिससे धूल के कण वातावरण में नहीं मिल पाते।
  • निर्माण- अपशिष्ट संग्रहण की सही प्रक्रिया का पालन, सामग्री को कवर करके परिवहन की व्यवस्था।
  • सभी निर्माण स्थलों को ढंकने का समुचित प्रबंध।
  • शहरी क्षेत्र में भारी वाहनों पर प्रतिबंध।
  • कचरा, अलाव जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध।
  • मशीनों द्वारा सफाई और सड़कों से धूल का निस्तारण।
  • लोकपरिवहन साधनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि।

स्वास्थ्य विभाग के ये हैं आंकड़े

वर्ष अस्थमा सीओपीडी बच्चों में अस्थमा
2021-22 278 904
2022-23 170 368
2023-24 150 488

श्वांस संबधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में कमी सफाई व्यवस्था का असर है। एनजीओ, नगर निगम, प्रशासन की ओर से भी प्रदूषण कम करने के लिए निरंतर काम हो रहे हैं। लोग भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं।

-डॉ. सलिल भार्गव, श्वसन रोग विशेषज्ञ व वरिष्ठ प्रोफेसर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

शहर में प्रदूषण कम हुआ है, जिसके कारण श्वांस रोगों के मरीजों की संख्या कम हुई है। यह अच्छे संकेत हैं। शहर में अब इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग भी बढ़ गया है। बसों से लेकर दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक चल रहे हैं।

-डॉ. गौरव गुप्ता, श्वसन तंत्र विशेषज्ञ