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Indore: ग्रामीणों ने दी जमीन तो बन गए 20 तालाब, कभी पीने के पानी का रहता था संकट, अब बोरिंग ओवर फ्लो

इंदौर जिले के पांच गांवों भगोरा कटकटखेड़ी हरसौला नावदा और पांदा में कभी पीने के पानी का संकट बना रहता था। पानी गांव में रोकने की पहल की गई। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत गांवों में पुराने नालों का चौड़ीकरण और गहरीकरण कर इन्हें तालाब में तब्दील किया गया।

By Vijay KumarEdited By: Wed, 20 Oct 2021 08:08 PM (IST)
Indore: ग्रामीणों ने दी जमीन तो बन गए 20 तालाब, कभी पीने के पानी का रहता था संकट, अब बोरिंग ओवर फ्लो
बनाए गए तालाबों और ओवर फ्लो होते बोरिंग

कुलदीप भावसार. इंदौर! इंदौर जिले के पांच गांवों भगोरा, कटकटखेड़ी, हरसौला, नावदा और पांदा में कभी पीने के पानी का संकट बना रहता था। गांव का पानी गांव में रोकने की पहल की गई। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत इन गांवों में पुराने नालों का चौड़ीकरण और गहरीकरण कर इन्हें तालाब में तब्दील किया गया। चौड़ीकरण में किसानों ने खुद आगे आकर अपनी जमीन तालाब के लिए दी।

जिले में अब तक इस योजना के तहत 20 बड़े तालाब तैयार हो चुके हैं। किसी समय एक फसल लेने के लिए परेशान किसान इन तालाबों से खुश हैं और अब वे तीन-तीन फसल लेने की बात कर रहे हैं। पीने का पानी भी काफी मिल रहा है और बारिश के बाद सूखे बोरिंग ओवर फ्लो हो रहे हैं।

किसानों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही इस योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है नागरथ चेरिटेबल ट्रस्ट नामक संस्था ने। संस्था के सुरेश एमजी ने बताया कि योजना के तहत खेत किनारे बहने वाले इन नालों को तालाब का रूप दिया गया है। इन तालाबों में रिवर्स बोरिंग भी करवाए गए हैं ताकि बारिश के पानी को जमीन में भी उतारा जा सके। गांव का पानी गांव में रोकने वाली इस योजना में किसानों ने अपनी जमीन दी है। इस बार अल्प बारिश के बावजूद इन तालाबों में पानी जमा है।

असर यह हुआ कि भूजल स्तर बहुत ऊपर आ गया है। सूख चुके बोरिंगों में भी पानी आ चुका है। एक तालाब तैयार करने में दो से ढाई लाख रुपये खर्च आ रहा है। यह खर्च शासन स्वयं कर रहा है। किसानों को सिर्फ योजना के तहत तालाब के लिए अपनी जमीन देनी होती है। सुरेश एमजी के मुताबिक पहले किसान इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन अब वे स्वयं आकर योजना की जानकारी ले रहे हैं।

पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता था

गांव में भूजल स्तर बहुत नीचे चल गया था। पीने के पानी के लिए भी भटकना पड़ता था। मवेशी पालना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हमने सिर्फ जमीन दी और सरकार ने खेत में ही तालाब तैयार कर दिया। हमारा एक पैसा भी नहीं लगा। सरकारी योजनाएं पहले भी आईं, लेकिन ऐसा काम पहले कभी नहीं हुआ। योजना ने किसानों का जीवन खुशहाल कर दिया है।

-भगवानसिंह आंजना, भगोरा, जिला इंदौर, तहसील महू

अल्प वर्षा के बावजूद तालाब लबालब

तालाब बनने के बाद गांव में भूजल स्तर में सुधार आया है। अल्प वर्षा के बावजूद इन तालाबों में पानी जमा हो गया है। हमारे गांव में इस योजना के तहत दो बड़े तालाब बनाए गए हैं। पहले नाले में बारिश का पानी बह जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। महिलाओं के जीवन में भी खुशहाली आई है। पहले उन्हें पानी के लिए भटकना पड़ता था।

-लक्ष्मी विष्णु मालवीय, सरपंच ग्राम हरसोला

कम खर्च में बेहतर परिणाम देने वाली योजना

यह योजना कम खर्च में बेहतर परिणाम देने वाली है। किसानों को जमीन देने के लिए तैयार करने में शुरुआत में दिक्कत आई, लेकिन जैसे ही पहला तालाब तैयार हुआ लोगों में जागरूकता बढ़ने लगी। अब तक संस्था इस योजना के तहत इंदौर जिले के पांच गांवों में बीस तालाब तैयार कर चुकी है। काम सतत जारी है।

-सुरेश एमजी, नागरथ चेरिटेबल ट्रस्ट