MP News: स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतरवाकर जांच का मामला, हाईकोर्ट ने इंदौर कमिश्नर हाजिर होने का दिया आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सरकारी स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतारकर चेकिंग करने के मामले में इंदौर पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया है। इंदौर में सरकारी स्कूल में छात्राओं को निर्वस्त्र कर चेकिंग करने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। एक सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा ने याचिका दायर की थी।
जेएनएन, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सरकारी स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतारकर चेकिंग करने के मामले में इंदौर पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया है। 25 नवंबर को पुलिस कमिश्नर को पेश होने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्यों ना 30 अगस्त के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए? अब शपथपत्र के साथ सात दिन में जवाब देने के लिए कहा है।
इंदौर में सरकारी स्कूल में छात्राओं को निर्वस्त्र कर चेकिंग करने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मध्यपदेश के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति एसए धमाधिकारी की डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। एक सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा ने याचिका दायर की थी।
पुलिस ने अब तक जांच रिपोर्ट पेश नहीं की
याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनोतकर ने कहा कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध बन रहा है या नहीं इसकी जांच करने के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे। 30 अगस्त को दिए पिछले आदेश में एक माह में ऐसा करने के निर्देश थे लेकिन पुलिस ने अब तक जांच रिपोर्ट पेश नहीं की।इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई। याचिकाकर्ता के वकील के तर्क सुनने के बाद बुधवार को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सात दिन में जवाब पेश करना है। अगली सुनवाई 25 नवंबर के दिन पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए और शपथपत्र पर जवाब देने के आदेश दिए हैं।
यह था मामला
घटना 2 अगस्त 2024 की है जिसमें स्कूल की कक्षा में छात्रा के पास मोबाइल की घंटी बजी। इसके बाद महिला शिक्षिका ने सभी छात्राओं की तलाशी ली थी। कुछ छात्राओं ने शिकायत की थी कि बाथरूम में ले जाकर उनके कपड़े उतरवाकर शिक्षिका ने जांच की। हालांकि शिक्षिका ने आरोपों को गलत बताते हुए कहा था कि अनुशासन पर सख्ती करने पर कुछ छात्राओं ने उनकी झूठी शिकायत की थी।हाई कोर्ट ने जिलाबदर का आदेश अनुचित पाकर किया निरस्त
हाई कोर्ट ने जिला दंडाधिकारी जबलपुर द्वारा जिलाबदर का आदेश अनुचित पाते हुए निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि कलेक्टर ने बिना साक्ष्य परीक्षण, केवल एसपी की रिपोर्ट के आधार पर आदेश पारित कर दिया। याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सतीश रलहन की ओर से अधिवक्ता सुदीप सिंह सैनी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट पर कलेक्टर जबलपुर ने 31 जुलाई, 2024 को याचिकाकर्ता के विरुद्ध जिलाबदर का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता को जबलपुर सहित मंडला, डिंडौरी, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, दमोह व उमरिया से छह माह के लिए निष्कासित कर दिया था।
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