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'दुनिया में त्याग और बलिदान की मिसाल हैं शहीद अमृता देवी विश्नोई', सीएम मोहन यादव ने सिटी फॉरेस्ट में बनी प्रतिमा का किया अनावरण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहीद अमृता देवी और उनकी बेटियों ने वन और पेड़ों को बचाने के लिए हंसते-हंसते अपना बलिदान दिया। उनका बलिदान दुनिया को बड़ी सीख देता है कि किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण के लिए 300 साल पहले भी आंदोलन किया गया। मुख्यमंत्री जी ने शहीद अमृता देवी के पर्यावरण संरक्षण के बलिदान के लिए समस्त विश्नोई समाज को धन्यवाद अर्पित किया।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 18 Sep 2024 09:17 PM (IST)
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहीद अमृता देवी विश्नोई की प्रतिमा का किया अनावरण

डिजिटल डेस्क, इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज इंदौर में शहीद अमृता देवी विश्नोई की प्रतिमा का अनावरण किया। इंदौर के सिटी फॉरेस्ट में 30 लाख रूपये की लागत से शहीद अमृता देवी की प्रतिमा बनायी गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शहीद अमृता देवी विश्नोई एवं अन्य के बलिदान को मैं नमन करता हूं। उन्होंने कहा पर्यावरण और वन से ही हमारा जीवन है, शहीद अमृता देवी जी दुनिया में त्याग और बलिदान की मिसाल है।

इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, राज्यसभा सांसद मती कविता पाटीदार, सांसद शंकर लालवानी, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, विधायकगण मती मालिनी गौड़, गोलू शुक्ला, मधु वर्मा और मनोज पटेल, सभापति मुन्ना लाल यादव, अखिल भारतीय विश्नोई समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र बुडिया, विश्नोई समाज के अध्यक्ष आत्माराम विश्नोई, संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह, आयुक्त नगर निगम शिवम वर्मा, जनकार्य प्रभारी राजेंद्र राठौड़, यातायात प्रभारी राकेश जैन, हीरालाल विश्नोई, अरविंद सारण सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहीद अमृता देवी और उनकी बेटियों ने वन और पेड़ों को बचाने के लिए हंसते-हंसते अपना बलिदान दिया। उनका यह बलिदान दुनिया में एक अलग पहचान रखता है। उनका बलिदान दुनिया को बड़ी सीख देता है कि किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण के लिए 300 साल पहले भी आंदोलन किया गया। मुख्यमंत्री जी ने शहीद अमृता देवी के पर्यावरण संरक्षण के बलिदान के लिए समस्त विश्नोई समाज को धन्यवाद अर्पित किया।

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने बताया कि शहीद अमृता देवी राजस्थान की खेजडली गाँव की एक बहादुर महिला थीं। उन्होंने विश्नोई धर्म की वेदी पर अपने जीवन का बलिदान दिया। सन 1730 में राजस्थान के मारवाड़ में खेजडली नामक स्थान पर हरे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई ने अपनी तीन बेटियों आसू, रत्नी और भागू के साथ अपने प्राण त्याग दिए। उनके साथ 363 से अधिक अन्य विश्नोई पेडों को बचाने के लिए शहीद हो गए।

शहीद अमृता देवी ने राजा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि उन्होंने विश्नोई धर्म में निषिद्ध हरे पेड़ों को काटने का प्रयास किया था। पुरुषवादी सामंती पार्टी ने उससे कहा कि अगर वह चाहती है कि पेड़ों को बख्शा जाए, तो उन्हें रिश्वत के रूप में पैसा देना चाहिए। उसने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया और उनसे कहा कि वह इसे अज्ञानता का कार्य मानेंगी और अपने धार्मिक विश्वास का अपमान करेंगी। उसने कहा कि वह हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दे देगी।

उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम द्वारा वर्ष 2008 में बिचौली हप्सी में 27 एकड भूमि पर सिटी फारेस्ट विकास कर वृहद वृक्षा रोपण किया गया है। सिटी फॉरेस्ट का नामकरण मेयर-इन-कौसिंल के संकल्प से "शहीद अमृता देवी विश्नोई" के नाम पर किया गया है। अंत में कार्यक्रम का आभार सभापति मुन्ना लाल यादव ने माना।