Move to Jagran APP

इंदौर के ये शख्‍स जिनके हाथ नहीं है, उन्हें बना रहे काम करने लायक

तरुण मिश्रा रोटरी क्लब के जरिए जिन लोगों के हाथ नहीं है या किसी दुर्घटना में कट गये हैं तो उन्हें प्रोस्थेटिक हाथ लगाने का काम कर रहे हैं।

By Krishan KumarEdited By: Updated: Sat, 29 Sep 2018 06:00 AM (IST)

इंदौर,नईदुनिया प्रतिनिधि : समाज में कई संस्थाएं और समाजसेवी मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसने समाजसेवी संस्था के जरिए लोग को हाथ दिए । तरुण मिश्रा रोटरी क्लब के जरिए जिन लोगों के हाथ नहीं है या किसी दुर्घटना में कट गये हैं तो उन्हें प्रोस्थेटिक हाथ लगाने का काम कर रहे हैं। यह हाथ सिर्फ दिखाने का नहीं होता है, बल्कि वर्किंग हैंड है। इस हाथ को लगाने के बाद व्यक्ति कंप्यूटर पर टाइपिंग से लेकर ड्राइविंग तक कर सकता है। 

तरुण मिश्रा ने बताया कि उन्होंने करीब चार साल पहले अमेरिका की एक संस्था एलन मीडोज प्रोस्थेटिक हैंड फाउंडेशन का वीडियो देखा था। इसमें संस्था द्वारा बनाया गया कृत्रिम हाथ दूसरे अन्य इलेक्ट्रोनिक या अन्य कृत्रिम हाथों से बहुत अलग और सुविधाजनक था। मैं रोटरी क्लब से जुड़ा था तो इसके जरिए यहां पर यह काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि यह अभी तक इंदौर में 2 हजार से ज्यादा लोगों को यह कृत्रिम हाथ पूरी तरह से नि:शुल्क लगाया जा चुका है। अमेरिका की फाउंडेशन हाथ नि:शुल्क उपलब्ध कराती है। इसके बाद यहां पंजीयन से लेकर उसे लगवाने तक का जो भी खर्च होता है वह हमारी संस्था वहन करती है।

हाथ लगाने के बाद जिसे यह हाथ लगा है, उन्हें इसे इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसमें अधिकांश लोगों के हाथ इलेक्ट्रिक करंट लगने के कारण कटे हुए होते हैं। करीब 70 प्रतिशत केस करंट के ही होते हैं। इसके अलावा कई लोग ऐसे आते हैं जिन्हें जन्म से ही हाथ नहीं है। उन्होंने बताया कि इसके लिए कई शहरों में स्थाई केंद्र बना दिए गए हैं। हमारे सदस्यों को कहीं सड़क पर कोई ऐसा व्यक्ति दिखता है जिसे हाथ लगाया जा सकता है तो मुझे फोटो भेज देते हैं। इसके बाद हमारा ही आदमी व्यक्ति को लेकर यहां आ जाता है और हम उसे कृत्रिम हाथ लगवा देते हैं।
इसलिए खास है हाथ
यह हाथ इलेक्ट्रिक हाथ या फिर जयपुर में बनने वाले कृत्रिम हाथ से बहुत खास है। इलेक्ट्रिक हाथ बहुत महंगा होता है और हर किसी की क्षमता नहीं होती है कि वह यह खर्च उठा पाए। जयपुर में बनने वाला हाथ सिर्फ शोपीस का काम करता है। मीडोल द्वारा बने हाथ में व्यक्ति खाना खाना, करीब 10 किलो वजन उठाना, बाइक चलाना, कंप्यूटर पर टाइप करना, ड्राइंग बनाना जैसे सभी काम आसानी से कर सकता है। इसमें न बैटरी की जरूरत होती है और सादा पानी से साफ किया जा सकता है। इसका वजन भी कम होता है।
हाथ काटते समय ही कर देते हैं फोन
तरुण बताते हैं कि हमने कई हॉस्पिटल में पहले से ही बात कर रखी है। जब हॉस्पिटल में ऐसा कोई केस आता है जिसमें व्यक्ति का हाथ काटना पड़ रहा है तो पहले ही वहां से हमारे पास फोन और व्यक्ति का फोटो आ जाता है। ऑपरेशन होने के बाद जैसे ही पीड़ित का घाव भरता है, हमारी संस्था उसके यहां कृत्रिम हाथ लगवा देती है। इसमें पीड़ित को तत्काल राहत मिल जाती है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।