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हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपी को MPPSC परीक्षा में शामिल होने की दी परमिशन, इस मामले में पैसे गबन करने का है इल्जाम

पुलिस ने बताया कि आरोपी मेश्वर परमार और इंदौर नगर निगम के अन्य लेखा परीक्षकों पर जल निकासी कार्यों के लिए ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत फर्जी बिलों के संबंध में बिना उचित जांच के भुगतान को मंजूरी देने का आरोप है। इसके अलावा ड्रेनेज लाइन बिछाने के लिए नियुक्त दस ठेकेदारों ने 64 करोड़ रुपये के फर्जी बिल दिखाए जिनमें से 47.53 करोड़ रुपये को मंजूर कर लिया गया।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Published: Fri, 21 Jun 2024 04:44 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2024 04:44 PM (IST)
आरोपी ने जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पीटीआई, इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 64 करोड़ रुपये के ड्रेनेज घोटाले के एक आरोपी को राज्य लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा (MPPSC exam) में शामिल होने की अनुमति दे दी। हालांकि, आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में है। प्रारंभिक परीक्षा 23 जून को होने वाली है।

जस्टिस विनय सराफ की एकल पीठ ने गुरुवार को जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आरोपी मेश्वर परमार को एमपीपीएससी 2024 की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने के लिए परीक्षा केंद्र तक ले जाने और वापस जेल लाने की व्यवस्था करें।

प्रारंभिक परीक्षा में 1.83 लाख अभ्यर्थी होंगे शामिल

बता दें कि रविवार को एमपीपीएससी 2024 की प्रारंभिक परीक्षा में 1.83 लाख अभ्यर्थी शामिल होंगे। यह परीक्षा 15 उप जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कलेक्टर और 22 पुलिस उपाधीक्षक सहित 110 पदों को भरने के लिए आयोजित की जा रही है।

आरोपी ने जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी

इंदौर नगर निगम के सहायक लेखा परीक्षक आरोपी मेश्वर परमार को ड्रेनेज घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया है। परमार ने एमपीपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए अस्थायी जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

'आवेदक को पुलिस हिरासत में परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है'

जस्टिस सराफ ने कहा, "दोनों पक्षों के वकील की दलीलें सुनने और इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि परीक्षा 23 जून को होनी है और एडमिट कार्ड की प्रति रिकॉर्ड में उपलब्ध है, मेरा विचार है कि आवेदक को पुलिस हिरासत में उक्त परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है।"

ठेकेदारों के फर्जी बिलों को बिना जांच के मंजूरी देने का आरोप

डीसीपी पंकज कुमार पांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि परमार और इंदौर नगर निगम के अन्य लेखा परीक्षकों पर जल निकासी कार्यों के लिए ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत फर्जी बिलों के संबंध में बिना उचित जांच के भुगतान को मंजूरी देने का आरोप है।

ड्रेनेज घोटाले में अब तक नौ ठेकेदार गिरफ्तार

इसके अलावा ड्रेनेज लाइन बिछाने के लिए नियुक्त दस ठेकेदारों ने 64 करोड़ रुपये के फर्जी बिल दिखाए, जिनमें से 47.53 करोड़ रुपये को मंजूर कर लिया गया। वहीं, ड्रेनेज घोटाले में अब तक नौ ठेकेदारों और आठ नगर निगम कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है।

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