MP News: इंदाैर के हजारों मजदूरों को 30 वर्ष बाद आज मिलेगा हक, कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होंगे PM Modi; सीएम भी रहेंगे मौजूद
मिल का संचालन वर्ष 1991 तक चलता रहा पर वर्ष 1992 के बाद विभिन्न कारणों से मिल प्रबंधन को मिल बंद करना पड़ा। मिल प्रबंधन द्वारा मिल लगाने के लिए एवं मिल संचालन के लिए लिया गया ऋण चुकता न होने के कारण एवं मजदूरों को वेतन एवं अन्य देनदारियों का भुगतान न होने के कारण मिल प्रबंधन के विरुद्ध कई न्यायालयीन वाद वित्तीय संस्थानों एवं मजदूरों द्वारा लगाए गए।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। इंदाैर की हुकुमचंद मिल के मजदूरों को 30 वर्ष बाद आज उनका हक मिलने जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे सरकार की ऐतिहासिक पहल बताया है। इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे। माेदी मजदूरों से संवाद भी करेंगे। लगभग पांच हजार मजदूरों को उनके हक की राशि मिलेगी। मिल के विवाद से जुड़े 15 बिंदुओं का समाधान मुख्यमंत्री की पहल पर लगभग 10 दिनों में हो गया।
मिल की भूमि पर महत्वाकांक्षी योजना के लिए देश एवं विदेश के वास्तुविदों को नियुक्त करने के संबंध में निविदा बुलाई गई है। शहर की भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए उत्कृष्ट प्लानिंग की जाएगी एवं अगले तीन माह में इसे अंतिम रूप देकर अधोसंरचना के कार्य शुरू किए जाएंगे। कार्यक्रम सोमवार सुबह 11 बजे शुरू होगा। कार्यक्रम में 428 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण भी होगा।
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव कार्यक्रम में आठ विभागों के 71 कार्यों का लोकार्पण करेंगे। इन विकास कार्यों की कुल लागत 105.73 करोड़ हैं। इसी तरह तीन विभागों के विकास कार्यों का भूमिपूजन/शिलान्यास भी किया जाएगा। इसकी कुल लागत 322.85 करोड़ रुपये है।
ये है मामला
कपड़ा मिल संचालन के लिए सेठ हुकुमचंद को वर्ष 1923 में तत्कालीन शासन द्वारा 17.52 हेक्टेयर भूमि लीज पर आवंटित की गई थी, जिस पर मिल संचालित थी। मिल में लगभग 7000 मजदूर एवं कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत थे। मिल का संचालन वर्ष 1991 तक चलता रहा, पर वर्ष 1992 के बाद विभिन्न कारणों से मिल प्रबंधन को मिल बंद करना पड़ा।
मिल प्रबंधन द्वारा मिल लगाने के लिए एवं मिल संचालन के लिए लिया गया ऋण चुकता न होने के कारण एवं मजदूरों को वेतन एवं अन्य देनदारियों का भुगतान न होने के कारण, मिल प्रबंधन के विरुद्ध कई न्यायालयीन वाद वित्तीय संस्थानों एवं मजदूरों द्वारा लगाए गए। शासन को भी पक्षकार बनाया गया। उच्च न्यायालय ने वर्ष 2001 में ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी.) को नीलामी कर देनदारियों का निपटान करने के निर्देश दिए गए।
डीआरटी द्वारा कई बार नीलामी के प्रयास हुए पर सफलता नही मिली। मप्र शासन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के सामने वर्ष 2016 में आवेदन लगाया गया कि भूमि पर परियोजना की अनुमति दी जाती है तो शासन द्वारा सभी देनदारियों का निपटान किया जाएगा। चार अक्टूबर 2023 को मंत्रिपरिषद की बैठक में इस समझौता प्रस्ताव को स्वीकृति मिली।ये भी पढ़ेंः ताइवान में एक लाख प्रवासी भारतीय कामगारों को लाने की योजना नहीं, श्रम मंत्री बोलीं- MoU पर नहीं हुए हस्ताक्षर
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