Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

मुस्लिमों में लड़कियों की शादी 15 या 18 साल? हाईकोर्ट ने सरकार और पर्सनल लॉ बोर्ड से मांगा जवाब

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से शनिवार को एक जनहित याचिका पर जवाब तलब किया है। दरअसल मामला शादी की न्यूनतम उम्र के प्रावधानों को सभी समुदायों पर समान तरीके से लागू कराए जाने का है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sat, 17 Aug 2024 07:08 PM (IST)
Hero Image
हाईकोर्ट ने सरकार और पर्सनल लॉ बोर्ड से मांगा जवाब (Image: File)

इंदौर, पीटीआई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से शनिवार को जवाब तलब किया। इसमें बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत शादी की न्यूनतम उम्र के प्रावधानों को सभी समुदायों पर समान तरीके से लागू कराए जाने की गुहार की गई है।

याचिका में किया गया दावा

याचिका में दावा किया गया है कि शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र को लेकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अनुप्रयोग अधिनियम 1937 के बीच ‘टकराव’ की स्थिति है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति दुप्पला वेंकटरमणा ने स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अमन शर्मा की जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य की सरकारों के साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किए और चार हफ्ते में जवाब तलब किया।

क्या कहता है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम?

याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनोडकर ने संवाददाताओं से कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के मुताबिक, देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी अपराध की श्रेणी में आती है, जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ शरीयत (अनुप्रयोग) अधिनियम के प्रावधान तरुणाई की उम्र में लड़के-लड़कियों के विवाह की अनुमति देते हैं। उन्होंने कहा कि तरुणाई की उम्र को मोटे तौर पर 15 साल माना जा सकता है।

कानूनी बदलावों के लिए उचित निर्देश जारी करने के आदेश

धनोडकर ने कहा कि जनहित याचिका में उच्च न्यायालय से यह व्यवस्था देने की गुहार लगाई गई है कि राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम को सभी समुदायों के निजी कानूनों से ऊपर रखा जाए। उन्होंने बताया कि याचिका में अदालत से यह अनुरोध भी किया गया है कि वह राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत विवाह की न्यूनतम उम्र के प्रावधानों को सभी समुदायों पर समान तरीके से लागू कराने के वास्ते जरूरी कानूनी बदलावों के लिए उचित निर्देश जारी करें।

कितनी होगी सजा?

धनोडकर ने कहा कि खासकर नाबालिग लड़कियों के विवाह से न केवल उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाता है, बल्कि इससे सामाजिक तथा आर्थिक असमानता और लैंगिक भेदभाव को भी अनुचित बल मिलता है।बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है।

यह भी पढ़ें: Chandipura Virus: युवक में मिले चांदीपुरा वायरस जैसे लक्षण, इंदौर के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत

यह भी पढ़ें: Kolkata Murder Case: 'काम पर लौटें हड़ताली डॉक्टर', मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर