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नई राह चुनकर स्वावलंबन को गति दे रही नारी शक्ति, आत्मनिर्भरता के पहियों पर भर रहीं रफ्तार

नवरात्र में देवी मां के नौ स्वरूपों का पूजन होता है। हर रूप से नारी शक्ति को प्रेरणा मिलती है कुछ नया करने की नया गढ़ने की। पीएम नरेन्द्र मोदी देश में महिलाओं की आत्मनिर्भरता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Sat, 01 Oct 2022 07:07 PM (IST)
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आत्मनिर्भरता के पहियों पर भर रहीं रफ्तार
हर्षल सिंह राठौर, इंदौरः जिनके कदम एक वक्त घर की दहलीज तक ही रुके रहते थे, वे अब साहस और संकल्प का सशक्त उदाहरण पेश कर रही हैं। स्वावलंबी बन दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं। साहस, स्वाभिमान और स्वावलंबन की यह मिसाल पेश की है देश के सबसे स्वच्छ शहर की महिलाओं ने, जिनके निर्णय पर उनके अपनों ने ही पहले विरोध किया। आज ये महिलाएं वाहनों की मरम्मत और सर्विसिंग कर अपनी गृहस्थी की गाड़ी चला रही हैं। कोई पति के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही है तो कोई सपनों के आशियाने की ओर बढ़ रही है। इंदौर के तीन सर्विस सेंटर में 16 महिला मैकेनिक कार्य कर रही हैं। कोई दुर्गा है तो कोई सरोज, लेकिन सोच एक ही है, आत्मनिर्भरता। नारी शक्ति के लिए यह पहल की है सामाजिक संस्था समान सोसायटी ने। जो इच्छुक महिलाओं को वाहन रिपेयरिंग और सर्विसिंग का प्रशिक्षण दिलाती है।

प्रशिक्षण नहीं लिया होता तो आज स्थिति कुछ और होती

दुर्गा मीणा बताती हैं कि जब उन्होंने मैकेनिक का प्रशिक्षण प्राप्त करने का सोचा तो परिवार और पड़ोसियों ने विरोध किया। तंज कसे, लेकिन पति ने सहमति दी। तीन माह प्रशिक्षण लेने के बाद सर्विस सेंटर पर नौकरी लगी तो आत्मविश्वास बढ़ा। वर्ष 2020 में बीमारी के चलते पति का निधन हो गया तो हिम्मत हार गई। परिवार की जिम्मेदारी और प्रशिक्षकों के प्रोत्साहन ने दोबारा आगे बढ़ने का मौका दिया। जो फब्तियां कसते थे, वे आज अपने वाहन हमें सुधारने के लिए दे रहे हैं। आज परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हूं। यदि उस वक्त मैंने प्रशिक्षण नहीं लिया होता तो आज स्थिति कुछ और होती।

अपने घर का सपना सच होता दिख रहा

एक अन्य महिला मैकेनिक सरोज रावत बताती हैं कि जब उन्होंने इस कार्य का प्रशिक्षण लेना शुरू किया तो पति ने आपत्ति की। किसी तरह वे सहमत तो हुए, लेकिन प्रशिक्षण के बाद महिला मैकेनिक के तौर पर काम करने के खिलाफ थे। पड़ोसी भी इस बात पर मेरा मजाक बनाते थे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मैंने जिला जेल में प्रशिक्षण दिया और दिल्ली में पुरस्कृत हुई तो सभी का सोच बदला। जो दुकानदार पहले हमें गाड़ी के पार्ट्स मांगने पर देर तक नहीं देते थे, अब वे कहने लगे कि आप पार्ट्स के नाम वाट्सएप कर दें, हम पहुंचा दिया करेंगे। मैकेनिक का काम करते हुए आय बढ़ी जिससे एक प्लाट ले लिया है। अपने घर का सपना साकार होता दिख रहा है।

लाकडाउन की कठिनाई ने दिखाई राह

मैकेनिक बनने की यात्रा के बारे में सपना जाधव बताती हैं कि वह ऐसे परिवार से संबंध रखती हैं जहां सिर से पल्ला भी हटे तो बड़ों की त्योरियां चढ़ जाती हैं। ऐसे में मैकेनिक का काम करना कहां स्वीकार्य होता। मैंने चोरी-छुपे प्रशिक्षण प्राप्त किया। जब पति को पता चला तो उन्होंने काम करने से मना कर दिया। पति रिक्शा चलाते हैं। लाकडाउन के वक्त तीन माह रिक्शा नहीं चला और परिवार में राशन की दिक्कत आई। उस वक्त जिस संस्था ने प्रशिक्षण दिया था, उसने राशन मुहैया कराया। लाकडाउन में केवल देश ही नहीं खुला, बल्कि मेरी ख्वाहिशें भी खुलीं और पति ने काम करने की सहमति प्रदान कर दी। आज मेरे पड़ोस की ही युवती मुझसे प्रभावित होकर मेरे साथ काम कर रही है।

100 से अधिक महिलाएं ले चुकीं प्रशिक्षण

समान सोसायटी के राजेंद्र बंधु बताते हैं कि वर्ष 2018 से शहर में महिलाओं को मैकेनिक बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक 100 से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। 35 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। महिला मैकेनिक गैरेज शहर में तीन स्थानों पर शुरू कर दिए गए हैं ताकि प्राशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं यहां प्रशिक्षण भी दें और काम भी करें। कई महिलाएं आटो कंपनियों के सर्विस सेंटर पर भी कार्य कर रही हैं।

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