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'पहले 30 लाख रुपये दो', रैगिंग के बाद PG छात्रा से मेडिकल कॉलेज ने की डिमांड; HC ने पीड़िता को दिलाया न्याय

Jabalpur Doctor Raging Case जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में पहले तो छात्रा के साथ रैगिंग की गई फिर जब छात्रा ने एडमिशन वापस लेने का फैसला किया तो कॉलेज प्रबंधन ने उससे 30 लाख रुपये मांगे। कॉलेज के इस फैसले के खिलाफ छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुनवाई के दौरान छात्रा ने बताया कि उसके साथ क्या अत्याचार हुआ है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 06 Sep 2024 11:27 AM (IST)
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सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में छात्रा के साथ रैगिंग की गई।(फोटो सोर्स: जागरण)
जेएनएम,  जबलपुर। MP High Court। जबलपुर के सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज (Subhas Chandra Bose Medical College) में रैगिंग से परेशान पीजी पाठ्यक्रम की छात्रा को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान छात्रा ने बताया कि जब उसने कॉलेज से अपना एडमिशन वापस लेने का फैसला किया तो कॉलेज प्रबंधन ने उससे 30 लाख रुपये की डिमांड कर दी। कॉलेज के इस मांग के खिलाफ छात्रा के परिवारवालों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

48 घंटे तक लगातार छात्रा से करवाया गया काम

याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करते हुए बिना राशि लिये मूल शैक्षणित दस्तावेज लौटने के आदेश जारी किए। बता दें कि कॉलेज में छात्रा को लगातार 36 घंटे से 48 घंटे तक बिना बाथरूम जाए जूनियर डॉक्टर के रूप में काम करने की सजा दी थी। जिसके बाद छात्रा डिप्रेशन में चली गई थी।

छात्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि वह मूलतः ओडिशा की निवासी है। वह ईडब्लयू श्रेणी की छात्रा है और साल 2022 में मेडिकल कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया था। छात्रा के पिता किसान हैं। अच्छी योग्यता की वजह से उसके डीएमई काउंसलिंग के माध्यम से पीजी सीट आवंटित हुई थी।

छात्रा को 36 से लेकर 48 घंटे तक बाथरूम जाने के इजाजत के बिना काम करने के निर्देश दिए गए। इस घटना के बाद वो डिप्रेशन में चली गई। वो स्पाइनल इंजरी की मरीज बन गई।

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने कहा कि बिना तीस लाख रुपये की राशि लिए कॉलेज, आवेदक के सभी मूल शैक्षणिक दस्तावेज वापस करें। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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