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Jabalpur: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कई छात्रों को मिले '0' नंबर, कुलसचिव ने दिया ये जवाब

मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अपनी कार्यशैली से सबको चौंका दिया है। विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति के तहत बीए-बीकॉम प्रोग्राम के छात्रों के लिए एक नया नियम निकाला है। जिसमें विद्यार्थी यह नहीं कह पाएंगे कि उन्होंने पेपर पूरा किया था लेकिन उसके बाद भी उन्हें परीक्षा परिणाम में शून्य नंबर मिले।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Sat, 18 May 2024 02:46 PM (IST)
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मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अपनी कार्यशैली से सबको चौंका दिया है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अपनी कार्यशैली से सबको चौंका दिया है। विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति के तहत बीए-बीकॉम प्रोग्राम के छात्रों के लिए एक नया नियम निकाला है। जिसमें विद्यार्थी यह नहीं कह पाएंगे कि उन्होंने पेपर पूरा किया था, लेकिन उसके बाद भी उन्हें परीक्षा परिणाम में शून्य नंबर मिले।

इसलिए विवि ने उठाया यह कदम?

विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे छात्रों के लिए कदम उठाते हुए कहा कि सामान्यत: बीए, बीकॉम के छात्र सालभर मौज मस्ती करते थे। लेकिन जब परीक्षा का वक्त आता है तो कभी परीक्षा में अनियमितताओं की बात कहकर सारा दोष प्राध्यापकों पर मढ़ देते थे।

इतना ही नहीं, छात्र इस तरह की भी शिकायतें करते आ रहे हैं कि परीक्षा के दौरान हमने तो सारे प्रश्न के उत्तर दिए थे। पेपर अच्छे से पूरा किया था। फिर भी ना जाने कैसे परीक्षा परिणाम में इतने कम नंबर आए हैं। कुछ छात्रों का तो अक्सर कहना होता था कि परीक्षा हमने अच्छे से दिया है लेकिन नंबर शून्य आए हैं। विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने कहा कि छात्र परीक्षा परिणाम के बाद सारा दोष शिक्षकों के सिर पर मढ़कर खुदकी साफ छबि बना लेते थे। अब ऐसा नहीं चलेगा।

बीए-बीकॉम की पूरक परीक्षा में शून्य या 10 से कम नंबर ही मिले हैं

एक और नया कारनामा कर दिया है। इस बार बीए और बीकाम की पूरक परीक्षा देने वाले दर्जनों छात्रों को शून्य या 10 से कम नंबर ही मिले हैं। विद्यार्थी परेशान हैं कि उन्होंने पूरा पेपर किया था उसके बाद भी उन्हें शून्य नंबर कैसे मिल सकते हैं?

कुलसचिव ने दिया ये जवाब

कुल सचिव का कहना है कि अनेक बार छात्र ऐसे जवाब नहीं लिखते जिसमें कोई नंबर दिया जाए और बाद में आरोप लगाते हैं। इसलिए जो बच्चों को शून्य नंबर मिले हैं, उनके अभिभावकों को विश्वविद्यालय बुलाकर उनके सामने ही पुनर्मूल्यांकन कराया जाएगा।

उत्तर पुस्तिका अभिभावकों के सामने खोले जाएंगी

नई शिक्षा नीति के तहत जिन छात्रों को 35 अंक से कम अंक मिलते हैं उन्हें ग्रेड पॉइंट और क्रेडिट मार्कस जीरो मिलते हैं इसलिए भी छात्रों में भ्रम फैल रहा है कि उन्हें जीरो अंक प्राप्त हो रहे हैं। सैद्धांतिक प्रश्नों में जीरो अंक प्राप्त हुआ है तो इसकी जांच वह जरूर करेंगे। यदि यह गड़बड़ी हुई है तो इन छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को उनके अभिभावकों के सामने खोला जाएगा।

छात्र या छात्रा ने क्या लिखा?

विश्वविद्यालय के कुलसचिव का कहना है कि अनेक बार छात्र ऐसे जवाब नहीं लिखते जिसमें कोई नंबर दिया जाए और बाद में आरोप लगाते हैं, इसलिए जो बच्चों को शून्य नंबर मिले हैं, उनके अभिभावकों को विश्वविद्यालय बुलाकर उनके सामने ही पुनर्मूल्यांकन कराया जाएगा, ताकि वह देख सकें कि छात्र या छात्रा ने क्या लिखा है और उसे क्यों शून्य अंक प्राप्त हुआ है?

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