Jabalpur News: स्वदेशी हाइड्रोजन हायब्रिड इंजन बनाने में जुटे IIITDM के विज्ञानी, डीजल संग मिश्रित कर बढ़ाया माइलेज
ग्रीन और क्लीन एनर्जी की दिशा में पारंपरिक ईंधन के विकल्प तैयार करने दुनिया के कई देशों में शोध कार्य जारी हैं। दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक हाइड्रोजन फ्यूल से वाहन दौड़ने लगेंगे। हाइडोजन से गाड़ी को दौड़ाने की दिशा में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी डिजाइन और विनिर्माण संस्थान (IIITDM) जबलपुर के मैकेनिकल विभाग के विज्ञानियों के हाथ बड़ी सफलता लगी है
पंकज तिवारी, जबलपुर। ग्रीन और क्लीन एनर्जी की दिशा में पारंपरिक ईंधन के विकल्प तैयार करने दुनिया के कई देशों में शोध कार्य जारी हैं। दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक हाइड्रोजन फ्यूल से वाहन दौड़ने लगेंगे। हाइडोजन से गाड़ी को दौड़ाने की दिशा में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी, डिजाइन और विनिर्माण संस्थान (IIITDM) जबलपुर के मैकेनिकल विभाग के विज्ञानियों के हाथ बड़ी सफलता लगी है।
डीजल के साथ हाइड्रोजन को इनटेक कर फिलहाल 15 प्रतिशत डीजल की गिरावट लाने में सफलता मिल गई है। इस शोध की विशेषता यह है कि इन माडीफाइड इंजन वाले वाहनों में हाइड्रोजन बाहर से नहीं भरवाना पड़ेगा।
गाड़ी के इंजन से निकलने वाली ऊष्मा से ही हाइड्रोजन बनेगा। डीजल इंजन कार के इंजन एग्जास्ट, रेडियेटर आदि की ऊष्मा को हाइड्रोजन में बदला जा रहा है। अभी हुए शोध में डीजल के साथ 10 प्रतिशत हाइड्रोजन मिलाया गया जिसके बाद माइलेज 20 किलोमीटर प्रतिलीटर से बढ़कर 35 किलोमीटर हो गया।
"कंप्रेशन इग्निशन इंजन में सह-फायरिंग के लिए ऑनबोर्ड हाइड्रोजन उत्पादन के लिए कॉम्पैक्ट थर्मो-इलेक्ट्रिक जेनरेटर इंटीग्रेटेड पीईएम इलेक्ट्रोलाइज़र का विकास: एक हाइब्रिड दृष्टिकोण" नाम की इस परियोजना को केंद्र सरकार की तरफ से 48 लाख रुपये मिले हैं। अब आगे इंजन की डिजाइन बदलने की योजना है।
लक्ष्य एक लीटर हाइड्रोजन से कम से कम 100 किलोमीटर का माइलेज निकालना है। इसके लिए एगजेस्टिंग इंजन को माडिफाई किया जा रहा है। यह शोध कार्य इंटरनेशन जनरल आफ हाइड्रोजन एनर्जी (एल्जेबियर-पब्लिकेशन हाउस) और फ्यूल जैसे छह जनरल में प्रकाशित हो चुका है।
मैकेनिकल विभाग के विज्ञानी तुषार चौधरी ने बताया कि हाइब्रिड इंजन विकसित करने के लिए हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए डीजल इंजन से अपशिष्ट ताप के उपयोग की दिशा में अनुसंधान कार्य चल रहा है।
यह शोध कार्य एसईआरबी (अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) द्वारा प्रायोजित है। इंजन पर हाइड्रोजन की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाकर नतीजे जांचे जा रहे हैं। उनके अनुसार तीन साल के भीतर उन्हें ऐसा इंजन तैयार करना है जो गाड़ी के विभिन्न उपकरणों से निकलने वाली ऊष्मा (हीट) को हाइड्रोजन में बदल सके। इसके लिए सिर्फ वाहन में कुछ पानी की जरूरत होगी। जिससे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग कर गाड़ी के ईंधन में बदला जाएगा।
विज्ञानी तुषार चौधरी के अनुसार देश में हाइड्रोजन इंजन को लेकर कई जगह कार्य हो रहा है लेकिन ट्रिपलआइटी डीएम में गाड़ी के अंदर की हीट को ही ईंधन में उपयोग करने वाले हाइब्रिड इंजन में पहला काम किया जा रहा है।
प्रदूषण मुक्त रहेगा वाहन
हाइब्रिड इंजन पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगा। इसमें कार्बन रहेगा ही नहीं इसलिए प्रदूषण नहीं होगा। आने वाले समय में पर्यावरण के लिहाज से ऐसे वाहनों की मांग अधिक होगी। इस नवोन्मेषी परियोजना का लक्ष्य इंजनों से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पादन में क्रांति लाना है।
तुषार चौधरी ने कहा, "हम यह अनुदान पाकर रोमांचित हैं, जो हमें हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और इंजन दक्षता की सीमाओं को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।" "हमारा लक्ष्य एक टिकाऊ, उच्च दक्षता प्रणाली विकसित करना है जो आंतरिक दहन इंजन के पर्यावरणीय प्रभाव को काफी कम कर सकता है।"
कैसे कार्य करेगी प्रणाली
अनुसंधान एक पीईएम (प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन) इलेक्ट्रोलाइज़र के साथ एकीकृत एक कॉम्पैक्ट थर्मो-इलेक्ट्रिक जनरेटर विकसित करने पर केंद्रित है। यह प्रणाली इंजनों से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा को बिजली में परिवर्तित करेगी, जिसका उपयोग हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा। यह अभिनव दृष्टिकोण न केवल इंजन की समग्र दक्षता में सुधार करता है बल्कि उत्सर्जन को भी कम करता है, जिससे यह स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन के लिए एक व्यवहार्य समाधान बन जाता है।