Ram Mandir: अकबर बोले- हम भी राम वाले... गंगा जल से पांचों वक्त करते हैं वजू
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से मुस्लिम समुदाय के लोग भी प्रभावित हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बसे ग्राम हापला-दीपला के नेत्र दिव्यांग कवि अकबर ताज भी इन्हीं में से एक हैं। अकबर दिल्ली जयपुर हैदराबाद लखनऊ व सूरत सहित देशभर के हिंदी मंचों पर रचनापाठ कर चुके हैं। रामलला पर आधारित उनकी रचनाओं ने उन्हें खूब सम्मान दिलाया।
जेएनएन, खंडवा। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से मुस्लिम समुदाय के लोग भी प्रभावित हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बसे ग्राम हापला-दीपला के नेत्र दिव्यांग कवि अकबर ताज भी इन्हीं में से एक हैं। उनकी रचना की पंक्तियां हैं,
बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं।
44 वर्षीय अकबर ताज को जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले विशेष आयोजन में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया है। अकबर ताज अपनी रचनाओं से देशभर में श्रीराम के चरित्र का गुणगान कर रहे हैं। वह कहते हैं भगवान श्रीराम सबके हैं। उनका अवतार मानव जाति की भलाई के लिए हुआ।
जब शैलेष लोढ़ा नहीं रोक पाए थे अपने आंसू
अकबर दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ व सूरत सहित देशभर के हिंदी मंचों पर रचनापाठ कर चुके हैं। रामलला पर आधारित उनकी रचनाओं ने उन्हें खूब सम्मान दिलाया। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर वह खुश हैं। वह कहते हैं,
भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र हमें मर्यादा में जीने की सीख देता है। उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर लिया। ऐसा व्यक्तित्व आज कहां देखने को मिलता है। एक टीवी शो में अभिनेता और कवि शैलेष लोढ़ा अकबर की रचनाओं पर अपने आंसू नहीं रोक पाए थे।
राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है
अकबर ताज ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया से चर्चा में अपनी रचनाएं सुनाते कहा कि राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है, राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।
उन्होंने कुछ यूं भी लिखा कि यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना, ये अकबर ताज कहता है कि चारों धाम लिख देना, समंदर में भी फेकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे, मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना।
'मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना'
भगवान श्रीराम के चरित्र से प्रेरित होकर उन्होंने लिखा है कि मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना, सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना, मुझे अंधा बनाया है तो मुझको गम नहीं इसका, मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना।
अकबर ने अपनी रचनाओं में भगवान श्रीराम के वनवास गमन के दृश्य का भी बखूबी प्रस्तुत किया है। उन्होंने लिखा है,
राम वनवास पर जब चले, सब अयोध्या के घर रो दिए, कैकई तुझको दुख ना हुआ, बाकी सब नारी नर रो दिए, राम के वन गमन की खबर, मां कौशल्या को जिस दम मिली, मां की ममता तड़पने लगी, दिल जिगर टूटकर रो दिए।