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स्वच्छता में आधी आबादी की भागीदारी, महिलाएं निभा रहीं गांव को साफ रखने की जिम्मेदारी

MP News सीईओ जिला पंचायत उमराव सिंह मरावी ने बताया कि दोनों पंचायतों में सफाई का जिम्मा महिलाएं संभाल रही हैं। इससे इनके घर की रोजी रोटी भी चल रही है। इस नवाचार के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Fri, 14 Oct 2022 05:58 PM (IST)
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महिलाओं के स्व सहायता समूह की निगरानी में गांव में सफाई कार्य पंचायत के सफाईकर्मी फोटो- नईदुनिया

अभिषेक शर्मा. शिवपुरीः मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की दो ग्राम पंचायतों में स्वच्छता को लेकर किया गया नवाचार चर्चा का विषय बना हुआ है। जिला पंचायत ने जिले की खोड़ और भौंती ग्राम पंचायतों में स्वच्छता का जिम्मा महिलाओं के स्वसहायता समूह को सौंपा है। ये महिलाएं शहरों की तर्ज पर घर-घर जाकर कचरा संग्रहण करती हैं और फिर प्रत्येक भवन स्वामी से 20 स्र्पये प्रति माह कचरा शुल्क वसूलती है। फर्क सिर्फ इतना है कि शहरों में यह काम क्लोज्ड टिपर वाहनों से किया जाता है। ये महिलाएं इस काम के लिए ट्रैक्टर ट्राली का उपयोग करती है। इसी साल फरवरी में शुरू किया गया यह नवाचार पंचायत चुनाव के कारण कुछ समय के लिए थम गया था, लेकिन अब इसने फिर गति पकड़ ली है। जिला पंचायत के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रयोग सफल रहा है। अब इसे पूरे जिले में लागू किया जाएगा।

अपने घर-आंगन को स्वच्छ रखने वाली नारी जब अपने गांव को भी स्वच्छ बनाने का संकल्प कर ले तो फिर अभियान की सफलता सुनिश्चित हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पूरा करने महिलाएं अहम भूमिका निभा रही है। शिवपुरी जिला पंचायत ने पिछोर तहसील में नवाचार करते हुए फरवरी में भौंती और खोड़ पंचायत में स्वच्छता का पूरा काम महिलाओं को सौंपा था। यहां महिलाएं आम रास्तों की सफाई, कचरा एकत्र करना, पंचायत के सफाईकर्मियों में कार्य वितरण व उसकी मानीटरिंग के साथ पंचायत का सफाई टैक्स भी वसूलती हैं।

घरों से मिलने वाला यह टैक्स उनकी आमदनी होती है। इसके लिए अनुसूचित जाति की महिलाओं ने स्वसहायता समूह भी बना लिया है। घरों से कचरा एकत्रित करने और आसपास सफाई के लिए महिलाएं हर घर से 20 रुपये प्रति सप्ताह स्वच्छता शुल्क वसूलती हैं। खोड़ में यह व्यवस्था महात्मा गांधी स्व सहायता समूह की 11 महिलाएं संभालती हैं। वहीं भौंती में 13 महिलाएं पूरे गांव को स्वच्छ बनाने का जिम्मा संभाले हुए हैं। ग्राम पंचायत के पुरुष सफाईकर्मी भी इनके ही मार्गदर्शन में काम करते हैं। इस नवाचार का लाभ यह हुआ है कि ग्राम में काफी स्वच्छता रहती है और इसके कारण बीमारियां भी नहीं फैल रही हैं। धीरे-धीरे अब यह माडल पूरे जिले की ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा।

शहरों की तर्ज पर कचरा कलेक्शन

शहरों में अब डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था लागू है। ग्रामीण स्तर पर यह काम महिलाओं के समूह बखूवी कर रहे हैं। भौंती में सरपंच ने अपना ट्रैक्टर महिलाओं को दिया है। इसी ट्रैक्टर के जरिए कचरा एकत्रित किया जाता है और फिर पूरे कचरे को ट्राली में एकत्रित कर निष्पादन किया जाता है। इस काम में इन महिलाओं के घर से अन्य सदस्य भी सहयोग करते हैं। अब प्रशासन महिलाओं को कचरा प्रबंधन का प्रशिक्षण देगा जिससे कचरे से खाद आदि बनाकर वे लोग अपनी आमदनी बढ़ा सकें।

सीईओ जिला पंचायत उमराव सिंह मरावी ने बताया कि दोनों पंचायतों में सफाई का जिम्मा महिलाएं संभाल रही हैं। इससे इनके घर की रोजी रोटी भी चल रही है। इस नवाचार के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। महिलाओं के काम को देखकर दूसरी पंचायतें भी प्रेरणा ले रही हैं और अब जल्द ही इस माडल को अन्य पंचायतों में लागू किया जाएगा।

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